रीवा :- बाल्यावस्था में भगवान श्रीचन्द्र जी अपनी मित्र मण्डली के साथ अक्सर भगवत चर्चा करते थे ! एक बार ज्ञान चर्चा के दौरान उन्होंने मित्र मंडली से कहा की सनातन-शास्त्रों की आज्ञा का पालन ही धर्म है और उल्लंघन ही अधर्म है! सत्शास्त्रों की आज्ञानुसार जीवन यापन करने वाला मनुष्य ही शुद्ध सनातनी है !
हमारे ऋषि मुनियों ने लाखो वर्षो के अनुसन्धानों से जो सूत्र स्थापित किये है, वो सदैव सार्थक और कल्याणकारी है! जिनका वर्णन हमे सनातन-शास्त्रों से प्राप्त होता है! आज विज्ञान भी सनातन सूत्रों के आगे नतमस्तक हो रहा है ! उन सूत्रों का पालन करके ही हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते है!

उक्त उद्गार अखिल भारतीय सिन्धु संत समाज ट्रस्ट के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हंसदास जी ने शिव अवतारी श्री श्रीचन्द्र भगवान जी के 531वें अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सतसंग-प्रवचन के दौरान व्यक्त किये !
स्वामी जी ने आगे बताया की सनातन अर्थात जिसका कोई आदि और अंत न हो ! सृष्टि के निर्माण के पूर्व और विलय के पश्चात मात्र सनातन ही विद्यमान रहता है ! और उसी सनातन धर्म की रक्षार्थ स्वयं भगवान भोलेनाथ श्रीचंद्र भगवान के रूप में इस धरा धाम पर अवतरित हुए ! और हिंन्दू धर्मवावलम्बियों को मुस्लिम आक्रांताओ से बचाकर सनातन हिन्दू धर्म की स्थापना की !


स्थानीय सिन्धु भवन में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवानश्री की पवित्र वाणी “मात्रा-शास्त्र” के सामूहिक पाठ से हुआ ! सत्संग प्रवचन के दौरान उपस्थित श्रोतागण हरिनाम संकीर्तन और मधुर भजनो के आनंद से सराबोर हो गए ! “बाबा श्रीचन्द्र का जन्मदिन प्यारा प्यारा आया है” जैसे मंगल गीत गाकर सभी भक्तो ने भगवान श्रीचन्द्र जी के जन्मोत्स्व की खुशिया मनाई ! अंत में महाआरती और विश्व मंगल की शुभ भावना से प्रार्थना की गयी !
रोट प्रसाद और महाप्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ !

इस हर्षोत्सव में स्वामी सरूपदास, भाई कृपालदास, महाराज भवानी शंकर सहित संत समाज और ब्राह्मण समाज की विशेष उपस्थिति रही !
कार्यक्रम में सर्व श्री सरदार प्रह्लाद सिंह, संतुलाल आहूजा, नंदलाल कोटवानी, लद्धाराम ठारवानी, कन्हैयालाल मंगलानी, रमेश सचदेवा, राजकुमार टिलवानी, रमेश मंशानी, हरचराम हिरवानी, कन्हैया घनशानी, दिलीप असनानी, अशोक मंजानि “पप्पू”, घनश्याम काकवाणी, हसानन्द तनवानी, सुरेश पंजवानी “पप्पन”, सत्यपाल चुंगवानी, श्रीचन्द्र कोटवानी, गिरधारी लाल गंगवानी, गोपीचंद आहूजा, घनश्यामदास कोटवानी, अशोक रोहिड़ा, प्रकाश डुडानी, तुलसीदास गंगवानी, सतीश सुंदरानी, बंटू रामचंदानी, बलराम वटवानी, कैलाश आहूजा “खट्टू”, लेखराज मोटवानी “लेखु”, विजय थावानी, दीपक दुर्गिया, सुन्दरदास तारवानी, परमानन्द झामवाणी, साधुमल मखीजा, वीरेंद्र चुंगवानी, प्रेम पंजवानी, टीनू खेमचंदानी, विनोद पुरसवानी, शेखर सचदेवा, श्याम वाधवानी, मुकेश ठारवानी, रमेश वाधवानी, कैलाश जसूजा, किशोर ठारवानी, सुमित रामचंदानी, मुकेश हिरवानी, मोनू रामचंदानी, मन्नू कटारिया, राम नारवानी, विकास मोटवानी सहित समाज के गणमान्य नागरिक, महिलाये पुरुष और बच्चे सम्मिलित हुए !