🕉️ चन्द्र (चण्ड्र) दिवस विशेष:-
किसी भी समाज के त्यौहार और संस्कृति उसकी पहचान होते है। वैसे तो चन्द्रमा जी के दर्शन अक्सर हमको होते ही रहते है, लेकिन सिन्धी समाज में चण्ड्र की महिमा निराली है क्योंकि पवित्र और पावन चण्ड्र दिवस हर माह की अमावस्या के बाद प्रतिपदा और प्रतिपदा के बाद द्वितीया को पड़ता है। सिन्धी टिप्पणों अविभाजित भारत में मूल रुप से सिन्ध प्रांत में निवास के समय से सिन्धी समाज में प्रचलित है। सिन्धी टिप्पणों सिन्धी समाज द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक कैलेंडर है, जो विभाजन के पश्च़ात भारत में रह रहे सिन्धी समाज के लोग मानते आ रहे है। सिन्धी टिप्पणों हिन्दू चंद्र कैलेंडर का अनुसरण करता है, जिससे सिन्धी समाज के लोगों को महत्वपूर्ण तिथियों और व्रत त्योहारों की जानकारी रखने में मदद मिलती है। सिन्धी पंचांग में हर नये माह की शुरुआत चन्द्र दिवस के साथ पहली तिथि यानि की पहली तारीख से होती है और चैत्र मास की शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष का आरंभ होता है। इसे “चेट्री-चण्ड्र” के नाम से जाना जाता है। “चेट्री-चण्ड्र” को सिन्धी समाज के आराध्य देव जलदेवता वरुणावतार भगवान श्री झूलेलाल साँई जी के जन्म दिवस के रुप में जाना जाता है।
भगवान झूलेलाल साँई जी को “जल और ज्योति” का देवता माना गया है।
चण्ड्र के दिन अथवा अन्य मांगलिक अवसरों पर सिन्धी समाज द्वारा एक लोटे में जल और साथ में एक बड़े थाल में ज्योति प्रज्वलित की जाती है और इस थाल को श्रद्धालु अपने सिर पर उठाते हैं, जिसे “बहिराणा साहब” कहा जाता है। लोग नदी, तालाब या झील के किनारे जाते हैं और रीति रिवाज के साथ पूजा-पाठ करते हैं।
सिन्धी महीनों के नाम इस प्रकार से है:-
चेट्र (मार्च-अप्रैल),
वैसाखु (अप्रैल-मई),
जेठु (मई-जून),
आखाडु (जून-जुलाई),
सावण (जुलाई-अगस्त),
बड्रो (अगस्त-सितंबर),
असू (सितंबर-अक्टूबर),
कत्ति (अक्टूबर-नवंबर),
नाहिरी (नवंबर-दिसंबर),
पोहु (दिसंबर-जनवरी),
मांघ (जनवरी-फरवरी)
फगुणु (फरवरी-मार्च)
आज 26 जुलाई 2025 वर्षा ॠतु, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है और आज़ सिन्धी समाज का चन्द्र दिवस अर्थात चण्ड्र है, आज़ से सिन्धी समाज के नये माह की शुरुआत हो रही है। सिन्धी समाज में किसी भी मास के चन्द्र दिवस का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है। सिन्धी समाज का हर नया माह इसी पहली तारीख के चन्द्र दिवस से ही आरंभ होता है। चन्द्रमा को ज्ञान, बुद्घि और मन का स्वामी ग्रह माना गया है। यही कारण है कि जीवन में शुभता और सौभाग्य की कामना लिए लोग इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं। चंद्र दिवस पर पूजन से व्यक्त़ि के मन से जुड़ी चिंताएं दूर होती है और घर-परिवार में सुख-सौभाग्य बना रहता है।
आप हम सभी सिन्धी समाज के साथियों की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना के साथ..चन्द्र दिवस (चण्ड्र) की बहुत बहुत बधाई.!
🚩इन्द्रकुमार गोधवानी (इन्दू), संत कंवरराम नगर, कटोरा-तालाब, रायपुर..✍️ 9425514255