रक्षाबंधन पर्व विशेष
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ रक्षा करने वाला बंधन मतलब धागा है। इस पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षा बंधन को राखी या सावन महीने में पडऩे की वजह से श्रावणी या सलोनी भी कहा जाता है। यह श्रावण माह के पूर्णिमा में पडऩे वाला प्रमुख त्योहार है। श्रावणी पूर्णिमा में रेशम के धागे से बहन द्वारा भाई की कलाई पर बंधन बांधे जाने की रीत को रक्षाबंधन कहते हैं।
तोड़ने से भी ना टूटे यह,
ऐसा मन बंधन है,
इस बंधन को सारी दुनिया,
कहती रक्षा बंधन है।
रक्षाबंधन, भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उन्हें सुरक्षा का आश्व़ासन देते हैं। अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रा रहित काल में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है।
कच्चे धागों से बनी ड़ोर है राखी,
प्यार व मीठी शरारतों की होड़ है राखी
भाई की लम्बी उम्र की दुआ है राखी,
बहन के प्यार का प्रतीक है राखी।
शास्त्रों में देवराज इंद्र एवं महारानी शची, माता लक्ष्मी एवं राजा बलि, द्रौपदी एवं भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीगणेश का उल्लेख रक्षाबंधन के संदर्भ में मिलता है.
सारे जमाने में सबसे जुड़ा
भाई बहन का प्यार होता है,
गंगा की तरह पावन निर्मल
रेशम के धागों में विश्व़ास होता है।
रक्षाबंधन में हमें रखी में हमें दान स्वरुप काम, क्रोध, मोह लोभ, अहंकार का दान कर देना चाहिए। रक्षाबंधन भाई बहनों के पवित्र रिश्तों का पर्व है। यह पवित्र रिश्तों की डोर है।
भगवान के प्यार के बंधन में
पवित्रता की प्रतिज्ञा का धागा बांधकर
आत्मिक स्मृति का तिलक लगाकर
ज्ञान, प्यार और शक्ति के तोहफे लेकर
दिलखुश मिठाई खाकर
अहंकार, नफरत, दु:ख, अशांति, डर….
हर ग़लत सोच, बोल और कर्म से अपनी रक्षा करें
आत्मा और परमात्मा के प्यार का बंधन ही रक्षा बंधन है
परमात्मा का आश्रय लेने का तात्पर्य यह है कि हम अपने प्रारब्धों का चिंतन छोड़ कर भगवदीय कार्यों में लगकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें
रक्षा बंधन की महत्ता अद्भ़ुत हैं….दुनिया का सबसे अनमाेल बंधन
बहन-भाई का, गुरु-शिष्य, मित्र-सखा, मालिक-कामगार
अपने-पराये का….भाव का बंधन…
ऐसे बांधें भाई को राखी
घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है जहां से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर के अंदर प्रवेश करती है, जो आपकी और भाई की समृद्धि के लिए मददगार हो सकती है।
👉 पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई, और कुछ ताज़े फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें।
👉 दीपक प्रज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं।
👉 फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं। इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें। अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें।
इसके बाद
“येन बद्धो बलि राजा,
दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि
रक्षे माचल माचल:”
👆इस “रक्षासूत्र के मंत्र” को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें। भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें।
👉 राखी बांधने के नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए वहीं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में राखी बांधने का विधान है। भाइयों को राखी बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए। शास्त्रों में काले रंग को औपचारिकता, बुराई, नीरसता और नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इस दिन बहन और भाई दोनों को काले रंग के परिधान पहनने से परहेज करना चाहिए।
हम यही प्रार्थना करते हैं कि आप सभी भाई बहनों का अटूट प्रेम बना रहे आपकी इच्छाएं पूर्ण हो एवं आपके रिश्ते में कोई बाधा नहीं आए। अंत में यही कहूंगा
रक्षा के संकल्पसूत्र में,
दिव्य पंचद्रव्यों की संगत।
भाई की कलाई को दे,
वैदिक परंपरा की रंगत॥
संकलन एवँ साभार प्रस्तुति:-
इन्दू गोधवानी, रायपुर..✍️ 9425514255