धनतेरस पर 13 स्थानों पर दीपक जरूर जगाएं – ब्र.कु. मंजू दीदी

ब्रह्माकुमारीज़ में धनतेरस और नरक चौदस का आध्यात्मिक रहस्य उजागर

बिलासपुर, राज किशोर नगर, 17/10/2025 :- दीपावली पाँच दिनों का त्योहार है और यह पर्व हमें केवल घरों की ‘बाहरी स्वच्छता’ ही नहीं, बल्कि ‘अंतःकरण की सफाई’ की ओर ध्यान देने का संदेश देता है।
धनतेरस का वास्तविक रहस्य यह है कि “धन को तेरा कर दो तो रस मिले”। इसका तात्पर्य है कि हमें अपना धन, अपनी ऊर्जा, परमपिता परमात्मा को समर्पित कर ट्रस्टी बनकर प्रयोग करनी चाहिए।

ये बातें शिव अनुराग भवन राज किशोर नगर में गुरुवार विशेष सत्संग को सम्बोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कही।दीदी ने बतलाया कि धनतेरस मुख्य रूप से आरोग्य के देवता धनवंतरी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। दीदी ने ज़ोर दिया कि दुनिया में धन-संपत्ति का बहुत महत्व है, लेकिन अगर काया निरोगी (शरीर स्वस्थ) नहीं है, तो धन का कोई महत्व नहीं है।

दीदी ने घर के 13 स्थानों पर दीपक जगाने का आह्वान किया। यह 13 दीपक ‘तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा’ का प्रतीक हैं। इसमें गणेश, लक्ष्मी, धनवंतरी, यम देवता, चित्रगुप्त, तुलसी, जल देवता, गौ माता, आंगन, छत, पितृ, गंगा मैया और तिजोरी के नाम पर दीपक जलाए जाते हैं। वास्तव में धन का अर्थ ‘ज्ञान का धन’ है। जितना हम ज्ञान धन का दान करते हैं, उतनी ही हमारी आत्मा में ऊर्जा और बल भरता है, और हम लक्ष्मी स्वरूप में स्थित होते हैं। सोना खरीदने का महत्व यह है कि हमारी बुद्धि सोने जैसी सतोप्रधान हो।

ज्ञान धन से आत्मिक ज्योति जगाकर नरक की आसुरी प्रवृत्तियों का करें नाश…
नरक चौदस का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए दीदी ने कहा कि इस दिन सूर्य उदय से पहले स्नान करने की रस्म है। इसका आध्यात्मिक रहस्य यह है कि हमें ‘ब्रह्म मुहूर्त’ में उठकर उस परमपिता परमात्मा को याद कर ‘ज्ञान स्नान’ करना चाहिए। उबटन लगाना आत्मा को ज्ञान और गुणों से निखारने का प्रतीक है, क्योंकि यह भौतिक शरीर तो छूट जाएगा, लेकिन आत्मा के संस्कार साथ जाते हैं।

शास्त्रों में वर्णित है कि श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। आध्यात्मिक रूप से नरकासुर पाँच विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) का प्रतीक है। परमपिता परमात्मा इस पुरुषोत्तम संगम युग में आकर हमें इन आसुरी वृत्तियों का नाश करना सिखाते हैं।

इस दिन यम देवता की पूजा और दीपदान का महत्व है। यह इसलिए किया जाता है ताकि अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो और आत्मा श्रेष्ठ कर्मों द्वारा अपनी यात्रा सुख-शांति से पूर्ण करे। दीपदान का अर्थ है आत्मा रूपी दीपक को जागृत करना।

दीदी ने सभी से अनुरोध किया कि “आत्मिक ज्योत जगाइए” ताकि हम नरक के अनुभव से निकलकर सच्ची-सच्ची दीपावली मना पाएं और अपने जीवन को सुख, शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति से भरपूर कर सकें।