भाग्य से मिलता है सत्संग मैं बैठना और शरीर आपका है पर आत्मा भगवान की है,, संत  लाल सांई







भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा व चंद्र दिवस की
पूर्व संध्या पर श्री झूलेलाल मंदिर हेमू नगर में संत लाल सांई जी का सत्संग का आयोजन किया गया सत्संग रात्रि 9:30 बजे आरंभ हुआ 11:30 बजे समापन हुआ जैसे ही सांई जी का आगमन हुआ भक्तों के द्वारा 🌺🌻🌹🌷फुलो की माला पहनाकर आतिशबाजी करके भव्य  स्वागत किया गया महिला विंग के द्वारा आरती उतारी गई पुष्प वर्षा की गई सांई जी ने भगवान झूलेलाल , बाबा गुरुमुख दास जी की मूर्ति पर माथा टेकर दीप प्रज्वलित किया इस अवसर पर अनिल पंजवानी और रवि रूपवानी के द्वारा भक्ति भरे कई भजन गाए  जीसे सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गए संत लाल सांई जी ने सत्संग की शुरुआत भगवान श्री गणेश के नाम से की और सभी भक्तजनों को जगन्नाथ रथ यात्रा व चंद्र दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी सत्संग में सांई जी ने फरमाया कि बड़े भाग्यशाली होते हैं वे लोग जिन्हें सत्संग में बैठने का वह सुनने का मौका मिलता है वैसे तो इस मोहल्ले में हजारों लोग रहते हैं पर कोई घर में सो रहा है कोई टीवी देख रहा है कोई मोबाइल चला रहा है कोई दुकान में बैठा  है कोई बाहर घूम रहा है सत्संग में आप लोग आए हो इसका मतलब  हे कि आप भाग्यशाली हो कि आप सत्संग में आए हो यहाँ  बैठे हो सत्संग का लाभ ले रहे हो हर किसी को सत्संग नसीब नहीं होता है जो अच्छा कर्म करता है उन्हें सत्संग का लाभ मिलता है पर यहां आने के बाद भी अगर आपका मन घर में है दुकान में है बच्चों में है तो कोई लाभ नहीं है वह व्यर्थ है शरीर आपका है पर आत्मा भगवान की है तो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का साधन है सत्संग भक्ति सिमरन, अच्छे कर्म करोगे सत्य, मार्ग पर चलोगे धर्म के कार्य   करोगे तो आपके जीवन में सुख ही सुख होगा दुख इसलिए आता है ताकि आपको अहंकार ना हो और आपको यह एहसास हो कि आप मृत्यु लोक में हो यहां पर भगवान भी आकर  जीसने जन्म लिया है उसने भी दुख भोगा है तो आप तो इंसान हो और दुख आने के कई कारण होते हैं दुख नहीं आएगा तो आप भगवान को मनोगे कैसे भगवान की पूजा  कैसे करोगे,
जिस तरह धूप छांव दिन और रात का आप आनंद लेते हो इस तरह दुख का, भी आनंद लेना चाहिए जैसे सुख का आनंद लेते हो जब दुख आए तो घबराना नहीं है यह सोचो की भगवान हमसे परीक्षा ले रहा है और बहुत छोटी परीक्षा ले रहा है
द्वापर युग त्रेता युग और सतयुग में जिन लोगों ने परीक्षा दी है उसके सामने यह तो कुछ भी नहीं है राजा हरिश्चंद्र ने कितनी बड़ी  परीक्षा  दी राजपथ पाठ, बच्चे पत्नी सब शीन गया और एक चांडाल की नौकरी करने लगा श्मशान घाट में पत्नी दासी बन गई, दुख तकलीफ परेशानियां बहुत भोगी
भगवान ने उससे भी परीक्षा ली और ऐसी परीक्षा आज तक किसी से नहीं ली परीक्षा में पास हुआ सत्यवादी कहलाया राज  पाठ , वापस मिला और भगवान से हाथ जोड़कर प्रार्थना की दोबारा किसी से  भी ऐसी  परीक्षा मत लेना क्योंकि कलयुग में ऐसी परीक्षा कोई नहीं दे पाएंगे ,
पहले के लोग हजारों साल जंगल में तपस्या करते थे तब जाकर भगवान के दर्शन होते थे और आप लोगों को बगैर तपस्या किये यही पर सत्संग का लाभ मिलता है और भगवान को पाना चाहते हो तो थोड़ी तपस्या तो करनी पड़ेगी तो हर कोई शॉर्टकट अपनाना चाहता है , शॉर्टकट  से भगवान नहीं मिलते हैं शैतान मिलेगा यमलोक का द्वार 🚪 खुलेगा , स्वर्ग का द्वार नहीं खुलेगा इसीलिए हर जगह भगवान नहीं पहुंच सकते हैं तो भगवान ने  उसके लिए माता-पिता गुरु को भेजा है उनमे आप भगवान के दर्शन कर सकते हैं और नहीं तो साक्षात साक्षात झुलेलाल भगवान जी की मूर्ति विराजमान है इसमें भी आपको भगवान के दर्शन हो जाएंगे पर उसके लिए आपको इन आंखों की नहीं भक्ति वाली आंखों की जरूरत होगी भाव चाहिए कहते हैं ना जब तक भाव नहीं  आएगा  तो भगवान दिखाई नहीं देगा , भाव आ जाएगा  तो भगवान  आपको दिखाई देगा जैसे मीरा को,तुलसीदास जी को भगवान ने  दर्शन दिए भगवान को उन्होंने पाया भक्ति से पाया जितने भी बड़े संत साधु महात्मा हुए हैं सबने भक्ति की है और भगवान के दर्शन किए हैं आप लोग भगवान को पाना नहीं चाहते हो बल्कि अपने सुख साधन की वस्तु पाना चाहते हो इसलिए भगवान आपको मिलते नहीं है जिस दिन आप भगवान को सच्चे मन से पाना चाहोगे ना भगवान आपको स्वयं मिल जाएंगे स्वयं दर्शन देंगे और आज की पीढ़ी जिस तरह अपने संस्कारों को भूलते जा रही है बड़े दुखद बात है बड़े बुजुर्ग पेड़ के समान होते हैं हम उनकी छांव में रहते हैं अच्छा लगता है
जब यह पेड़ कट जाता है तो कितनी धूप होती है तकलीफ होती है इसी  तरह  जब बडे   बुजुर्ग, मर  जाते हैं तो उनकी बताई हुई बातें हमें याद आती है जो वह हमें ,हमेशा कहते थे समझाते थे वह हमारे भले के लिए कहते थे क्योंकि उन्होंने वह जीवन देखा है वह दुख तकलीफ सही है उन्हें प्रैक्टिकल हर चीज का अनुभव है इसलिए वह हमारे भले के लिए सोचते हैं भले के लिए कहते हैं आज भी अगर जीसके घर में बड़े बुजुर्ग हैं वह सबसे बड़ा भाग्यशाली है और अगर आप लोग उनका कहना नहीं मानते हो तो आपसे बडा़  मुर्ख इंसान कोई नहीं होगा आपके लिए भगवान वही है उनका कहना मानोगे वह आपको भगवान स्वयं मिल जाएंगे आखिर में सांई जी ने कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे आरती कि गइ पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आज के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में झूलेलाल सेवा समिति बाबा गुरमुख दास सेवा समिति,व हेमू नगर के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा

भवदीय
विजय दुसेजा