सतराम जी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने प्रख्यात गायिका भगवंती नावानी के साथ सैकड़ो मंचों पर गीत गाए।उनका मंच पर उपस्थित होना सफलता का पर्याय माना जाता था।

जिस साल शोले जैसी ब्लॉक बस्टर फिल्म आई जय संतोषी मां भी इस साल आई। प्रख्यात कवि प्रदीप ने इस फिल्म के गीत लिखे थे। अजमेर से एक छोटी सी संतोषी माता की कथा जो पतले पन्नों पर प्रकाशित थी उन चार आठ पृष्ठ के आधार पर फिल्म का स्क्रीन प्ले तैयार किया गया। स्क्रीन प्ले लेखक ने भी बहुत मेहनत की। फिल्मी पर्दे पर आई। पूरे देश में ऐसा भक्ति भाव पैदा हुआ। स्त्री हो या पुरुष। बच्चे हो या बुजुर्ग। शुक्रवार का व्रत रखने की लहर चल पड़ी। फिल्म के गीत जय संतोषी मां…मदद करो संतोषी माता… यहां वहां जहां-तहां है संतोषी मां अपनी संतोषी मां…. सब दूर बजते थे। सतराम रोहड़ा जी को श्रेय जाता है, हिंदी सिनेमा में ऐसी महान धार्मिक फिल्म के निर्माण का। उन्होंने कवि प्रदीप गायक महेंद्र कपूर सहित सभी का सहयोग जुटाया।

उनके अवसान की खबर सुनकर मन पीड़ा से भर गया। उनसे बरसों पहले मुलाकात हुई थी तब उन्होंने अपनी इस फिल्म की सफलता के बारे में जो कुछ बताया था वही मैंने ऊपर के पैराग्राफ में लिखा है।
सादर नमन