जनम जनम का साथ है गुरुदेव तुम्हारा हमारा, वरूण सांई






बिलासपुर:- गुरु पूर्णिमा र्पव देशभर में श्रद्धा भक्ति,व प्रेम के साथ मनाया गया लाखों की संख्या में लोग अपने-अपने गुरु के आश्रमों में जाकर गुरु पूजा अर्चना की  नाम दान लिया भक्ति सिमरन किया इसी कड़ी में श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर  चक्करभाटा में भी गुरु पूर्णिमा र्पव  बड़े ही, हरर्षो उल्हास व भक्ति के साथ मनाया गया  कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 8:00 बजे  संत लाल दास जी के द्वारा भगवान झूलेलाल एवं बाबा गुरुमुख दास जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराया गया सुंदर वस्त्र धारण कराए गए आभूषण पहनाए गए विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई आरती की गई भोग लगाया गया 9:00 बजे झंडा वंदन किया गया 11:00 नाम दान की दीक्षा दी गई  12:00 बजे से आकाश म्यूजिकल पार्टी कटनी के द्वारा  भक्ति मय कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई शानदार भक्ति भरे गुरु के भजन गीत गाए जिसे सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गए
1:00 पूज्य बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रजवलित की गई इस अवसर पर वरुण एवं ओम सांई  के द्वारा अपने पूज्य पिता जी के चरणों को गंगाजल से दूध से धोया गया चंदन का लेप लगाया गया पिता को मुकुट पहनाया गया सुंदर वस्त्र पहनाए गए आरती की गई वह पांच चक्कर लगाए गए कहते हैं माता-पिता के चक्कर लगाने से आप पूरी पृथ्वी के चक्कर लगा लेते हो और सभी तीर्थ स्थलों का आपको फल भी मिल जाता है अपने पिता से आशीर्वाद लिया गुरु पूर्णिमा की बधाई दी
1:30 बजे श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप की सदस्यों के द्वारा शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया भक्ति भरे भजनों पर सुंदर नृत्य की शानदार प्रस्तुति पेश की गई
जीसे देखकर सभी भक्तजन बहुत खुश हुए और सांइ जी के द्वारा सभी का सम्मान किया गया
अब  वह घड़ी आ गई जिसका सभी गुरु भक्तों को इंतजार था सांई जी के द्वारा अमृत वाणी से भक्तों को सत्संग का रसपान कराया सत्संग की शुरुआत सभी भक्तों को गुरु पूर्णिमा की बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं दी और कहा आज बहुत ही बड़ा पर्व है खासकर एक शिक्षय के लिए और गुरु के लिए ,
इसका महत्व वही समझ सकता है जिसने गुरु किया हो गुरु का नाम लिया हो और दीक्षा ली हो और गुरु के बताए मार्ग पर चलता हो
इस अवसर पर ज्ञानवर्धक दो प्रसंग सुनाए एक गांव था रामपुर वहां पर एक माता रहती थी माया उसे कोई औलाद नहीं हो रही थी तो वह पास के एक आश्रम में पहुंची ऋषि मुनि के पास और उससे कहा कि मुझे कोई संतान नहीं हो रही बाबा मुझे कोई फल दीजिए आशीर्वाद दीजिए ताकि मुझे संतान हो ऋषि मुनि बहुत ज्ञानी थे उन्होंने अपने ज्ञान के माध्यम से समझ लिया कि इस जन्म में उसे
संतान नहीं हो सकती है अगले दो जन्मो
  में संतान नहीं होगी चौथा जन्म में संतान होगी और वह भी नालायक निकलेगी  चोर निकलेगी यह बात सुनकर उस माता ने कहा गुरुजी जब मुझे चौथ जन्म में संतान का सुख मिलेगा और वह भी संतान सुखी नहीं देगी तो उससे अच्छा कि मैं उस समय का दुख अभी भोग लूं आप मुझे अभी चौथे  जन्म वाली संतान दे दीजिए गुरु ने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा उन्होंने एक 🍎🍊🍌🍉🍇🍒🍍फल दिया उन्हें फल ग्रहण किया कुछ समय बाद भगवान की कृपा से उसके घर में एक पुत्र का जन्म हुआ  जेसा की गुरु ने कहा था ठीक वैसे ही पुत्र बचपन में ही उसके लक्षण समझ में आ गए थे जैसे थोड़ा बड़ा हुआ स्कूल जाने लगा स्कूल में उन्होंने चोरी करना शुरू किया बच्चों के कलम लेकर आए कापी लेकर आ जाए कंपास लेकर आ जाए पेंसिल लेकर आ जाए जब यह बात  मां को पता चली तो वह सोचने लगी
अभी से यह हाल है तो आगे चलकर पता नहीं क्या करेगा उसने सोचा गुरु ने ही मुझे यह संतान दि है गुरु के ही पास लेकर चलती हूं अपने बेटे गोविंद को गुरु के पास लेकर पहुंची और सारी कहानी बताई उन्होंने कहा मैंने तुम्हें पहले बताया था कि छापीत  है तो माता ने कहा गुरु आप ही इसका उद्वार कीजिए,
गुरु ने कहा ठीक है इसको छोड़ कर जाओ गुरु उसको आश्रम की सेवा कार्यों में लगा दिया जंगल से लकड़ी लाना गायों को चारा खिलाना भक्तों को खाना खिलाना नित्य नेम  वह कार्य करता रहा ईमानदारी से और रात को गुरु उसे सोते समय अच्छी-अच्छी शिक्षा देते थे की चोरी नहीं करनी चाहिए सोना चोरी करने से अगले जन्म में सांप की योनि मिलेगी चांदी चोरी करने से यह  योनी मिलेगी हर चोरी की एक योनी मिलेगी उसे बताता रहा 20 दिन गुजर गये उस बच्चे गोविंद ने चोरी नहीं की एक दिन रात्रि को गुरु की सेवा करते हुए पंखा देते हुए गुरु को नींद आ गई और गोविंद को पेट में दर्द होने लगा वह समझ गया कि मैंने चोरी नहीं की है इसलिए पेट में दर्द दे रहा है बाहर जाकर कहीं चोरी करके आता हूं और चुपचाप आश्रम से बाहर निकल गया चोरी करने एक बड़े साहूकार के घर पहुंचा तो वहां  सोना था तो उसे गुरु की बात याद आ गई कि सोना चोरी करूंगा तो नाग
की योनि मिलेगी अगले घर में चांदी देखा ऐसे करते-करते कई घरों में पहुंचा उसे हर बात गुरु की याद आ रही थी तो सब जगह छोड़ दिया
फिर वह एक राइस मिल में पहुंचा
   याद आ गया गुरु ने कहा था अनाज चोरी करूंगा तो चूहा बनूगा अगले जन्म में तो उसने फिर चावल का जो भूसा होता है उसे उसने बोड़े में भर के उठाकर आश्रम पहुंचा और जैसे बोरा फेका वैसे ही गुरु की आंख खुल गई आवाज से गुरु ने पूछा कहां गए थे बेटा गोविंद उसने बताया गुरु जी आपको पता है कि मैं छापीत हूं मुझे चोरी नहीं करूंगा तो मुझे तकलीफ  होती है थोड़ी देर पेट में दर्द हो रहा था इसलिए मैं चोरी करने चला गया और मैं चावल का जो भूसा होता है वह चोरी करके लाया हूं गुरु ने कहा यह किस काम का बेटा उसने कहा गुरु जी बहुत काम का है गोबर में डालेंगे लेब करेंगे तो अच्छा रहता है अन्य कार्य के लिए अच्छा रहता है कई सारे कार्य बताएं गुरु ने सोचा चोरी की तो है जरूर लेकिन आश्रम को  लाभ हो उस कार्य के लिए की है अपने हित के लिए नहीं की है जो हाथ पंखा   वह गुरु को हवा देता था तब  उस  पंखे को गुरु ने  उठाया और उसके अंदर लकड़ी निकल कर उसके सामने सिर्फ मे जहां पर तिलक लगाते हैं दे मारी,  वैसे ही उसका सिर पर निशान हो गया और उसे  ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हुई और आगे चलकर वह बच्चा गोविंद बड़ा संत बना उसका नाम था रजब जिसके दोहे हम सुनते रहते हैं इस कहानी का तात्पर्य यह है कि जीस  भक्त  पर , गुरु की कृपा हो जाए वह जो भक्त गुरु का कहना माने वह कभी दुखी नहीं रहेगा बल्कि दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करेगा और उसका नाम होता रहेगा आप  त्रेता युग में देखिए भगवान रामचंद्र अपने गुरु की सेवा करते थे आज भी उसका नाम लोग   लेते हैं सम्मान के साथ द्वापर युग में श्री कृष्ण को देख ले अपने गुरु की सेवा करता था आश्रम में आज उनका नाम भी आदर्श के साथ लेते हैं ओर भव्य सागर पार करने वाला नाम कहलाता है संत तुलसीदास संत रविदास संत कालिदास ऐसे हजारों संत हैं जिन्होंने अपने  गुरु की सेवा की उनका नाम अमर हो गया सिंधी समाज में ही देख लीजिए सिंध के सरताज संत भक्त कंवर राम अपने गुरु सतराम दास की सेवा की और उसका नाम अमर हो गया अमर शहीद भक्त संत कंवर राम के नाम से जाना जाता है  गुरु जो भी बात कहते हैं उसे ध्यान से सुनना चाहिए वह अमल करना चाहिए गुरु अगर कुछ कह भी दे तो  बोलते हैं उसमें भी तुम्हारा कहीं ना कहीं भला है इस बात को जान जाओगे आपका जीवन संवर जाएगा कार्यक्रम के  आखिर में सांई  जी के द्वारा
गुरु  शिक्षय का नाता  अनमोल है ऐसे कई भक्ति भरे भजन गाये   जीसे सुनकर भक्त जन झुम उठे  ,
आरती की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी साध संगत के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में लोगों ने भंडारा ग्रहण किया आज के  इस पूरे आयोजन का सोशल मीडिया के माध्यम से लाईव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे लोगों ने आज के कार्यक्रम का आनंद लिया इस पूरे आयोजन में   शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग,छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र राजस्थान  गुजरात,दिल्ली से आए थे आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरुमुख दास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा

भवदीय
विजय दुसेजा