निस्वार्थ भाव सेवा इनसे सीखे

लेखराज मोटवानी : सतना के झूलेलाल मंदिर बजरहा टोला हमारे इष्टदेव झूलेलाल साई का मंदिर है सिंधी समाज के अनमोल रत्नों में से एक *श्री ठाकुरदास छाबड़िया इनका जीवन झूलेलाल साई की भक्ति झूलेलाल साई की संगत की सेवा में जीवन समर्पित कर दिया उनकी सेवा का सफर 13 साल की उम्र से शुरू हो गया था जब मंदिर का निर्माण हो रहा था सेवा की भावना शुद्ध थी मंदिर में लगने वाले ईट उठाने की सेवाएं खुद अपने कंधे पर रखकर की है सिंधु विद्या मंदिर स्कूल की जमीन खरीदने से लेकर बनाने तक इनका भी अच्छा सहयोग था सिंधु नवयुवकों का मंडल के भी सदस्य रह चुके हैं दीनबंधु सेवा समिति संस्था की शुरुआत मैं इनका भी सहयोग रहा है झूलेलाल मंदिर मे निशुल्क नेत्र शिविर मे उस जमाने में सुविधा कम होने की वजह से मरीज की सेवा अपने हाथों से की है *स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सतना स्टेशन चाय पिलाने सेवा भी कि है झूलेलाल मंदिर के प्रमुख हैं आप सत्संग सेवा सिमरन की सेवा कई वर्षों से करते आ रहे हैं आज 75 साल के होने के बावजूद उसी जोश और श्रद्धा के साथ सेवा करते हैं *सिंधी समाज के मुख्य प्रोग्राम झूलेलाल मंदिर में ही मनाए जाते हैं चेट्रिचंद्र चालीसामहोत्सव जन्माष्टमी गुरुनानक जयंती कार्तिक माह में प्रभात फेरी प्रत्येक दिन सुबह सत्संग होता है और रविवार को शाम को सत्संग होता है ठाकुरदास जी का इनमें योगदान रहता है झूलेलाल मंदिर पिछले 50 वर्षों से निस्वार्थ भाव से सेवा में लगें हुए हैं सिंधी समाज आपके इस निस्वार्थ भाव सेवा के लिए धन्यवाद करता हूँ *समाज सेवा को प्रेरित करने के लिए यह जानकारी प्रस्तुत की जा रही है आप सभी दिल से इनका सम्मान कीजिए एक लाइक जरुर कीजिए