वक़्फ बोर्ड के विधेयक पर इतना बवाल क्यों,?

विजय की कलम

   (संपादकीय)

बिलासपुर:- हाल ही में  जिस तरह संसद के भीतर और  बाहर में वक्फ बोर्ड के नया कानून पर जो बहस चालू हो चुकी है उसका औचित्य  क्या है क्यों सरकार को कानून लाने   की जरूरत पड़ी और वक़्फ बोर्ड के पास  कितनी संपत्ति है और भारत में और कितने वक़्फ  बोर्ड    है कि जानकारी पुरे भारतवासियो को होना चाहिए
मीडिया में जिस तरह से खबर चल रही है कि पूरे भारत में रेल्वे और  सेना  के बाद सबसे ज्यादा जमीन अचल संपत्ति  है तो वक्फ  बोर्ड के पास है रेल्वे  और भारतीय सेना के पास जो जमीन है वह तो देश के लिए काम आ रही है पर क्या वक्फ बोर्ड   के पास जो जमीन है जिसकी  सालाना आय होती है  उसका उपयोग भारतदेश  के हित में हो रही है या सिर्फ निजी उपयोग हो रहा है  ? क्या वाकई में जरूरतमंद लोगों के लिए होता है? जैसी कई महत्वपूर्ण जानकारी  कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जबकि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को यह जानकारियां  आम जनता को सांझा करना  चाहिए कि वक्फ बोर्ड की कितनी संपत्ति है वह उसका उपयोग कितना और किन मदों में उपयोग हो  रहा है.?वक्फ बोर्ड मुस्लिम हितो केलिए जरूर बनाया गया है किन्तु पूरा राजस्व अधिकार अपने पास रखा है? जिसकी सुनवाई न्यायपालिका में नहीं बल्कि उन्ही के वक्फ बोर्ड में हो सकती है जिस देश में सभी को संविधानिक अधिकार प्राप्त है उसी देश ऐसा भी बोर्ड है जहाँ संविधान के नियम और कानून लागु नहीं होते? इसलिए भी वक्फ बोर्ड के वैधानिक अधिकारों और गतिविधियों पर सवालिया निशाना लगाना अति आवश्यक है ?क्योकि वक्फ बोर्ड पर कोई नियंत्रण नहीं है? इसलिए अपनी मनमानी करते हुए किसी कि भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड का होना बता कर कब्जा सिलसिलेवार जारी है? जिस पर अंकुश लगाना जरुरी है? जब भारत देश आजाद हुवा तब मुस्लिमो ने पाकिस्तान देश की मांग रख कर भारत से अलग हो गए और भारत देश में 1950  में देश में गणतंत्र लागु कर संविधान जारी किया गया जिसके तहत एक देश एक कानून होना तय हुवा फिर किस अधिकार से वक्फ बोर्ड का निर्माण किया गया? जबकि पाकिस्तान चुनने वाले मुस्लिम ही थे फिर भारत देश में किन मुस्लिमो केलिए वक्फ बोर्ड बनाया गया और क्यों बनाया गया ..??  जिस देश में संविधान सर्वोच्च और सर्वोपरि है उसी देश में एक ऐसा बोर्ड भी है  जिस पर देश का संविधान लागु नहीं होता ..??

वक्फ  बोर्ड की स्थापना सन 1954 में की गई थी उद्देश्य था मुस्लिमो की  धर्म स्थलो को संजोने  का किन्तु  वक्फ बोर्ड को इतना शक्तिशाली बना दिया गया कि जितनी संख्या में मुस्लिम यहाँ से नहीं उससे कही ज्यादा उनके मकबरे और धर्म स्थल और भवन है बोलकर कब्ज़ा कर लिया गया? जिस पर कांग्रेस शासन में कभी जाँच नहीं हुई जिसका परिणाम आज देश में तीसरे नंबर पर जमींन का मालिकाना हक वक्फ बोर्ड है?  मीडिया में यह चर्चा आग की तरह फ़ैल गई की आज रेलवे और भारतीय सेना से तीसरे पायदान पर वक्फ बोर्ड की अचल संपत्ति है जबकि आजादी के बाद देश में अल्पसंख्यक कहलाने वाले मुस्लिम ही है तो फिर वक्फ बोर्ड के पास इतनी बड़ी अचल संपत्ति कहाँ से आगयी .?तो क्या सच में वक्फ बोर्ड किसी की भी संपत्ति को अपना बता कर लगातार कब्ज़ा कर रही है? जिस कोई भी राजस्व नियम कानून लागु नहीं हो रहे है.कोर्ट भी वक्फ बोर्ड मामले में सुनवाई नहीं करती है?  निर्णायक भी खुद न कोई अपील न कोई तारिक फैसला हमेसा से वक्फ बोर्ड के पक्ष में? ऐसी स्थिति में क्या संविधान का मजाक नहीं बन रहा है और  राजनीतिकरण होना शुरू से हावी है  समय बितता  गया मंहगाई बढ़ती गई जमीनों का रेट भी बढ़ता गया तो कहीं ना कहीं इसमें भी राजनीति होने लगी जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए जिस उद्देश्य के लिए  बोर्ड की स्थापना की गई थी उस उद्देश्य को आगे लेकर चलना चाहिए था पर कहीं ना कहीं इसमें कुछ बातें ऐसी हो गई जीसके कारण विवाद की स्थिति बनती गई पूरे देश में लगभग 30 वक्फ बोर्ड है केंद्रीय अलग और राज्य  में अलग वक्फ बोर्ड,
      कुछ शक्तियां ज्यादा ही दि गइ है,? एक पार्टी ने एक धर्म के लोगों को खुश करने के लिए यह सब गड़बड़ जाल कर दिया उनको कानून से ज्यादा शक्ति दी गई ?जो की उचित नहीं था  अब जब वक्फ बोर्ड को लेकर चर्चाएं गरमा रही है तो इस पर निर्णय लेकर इस पुरे बोर्ड को भंग कर देना चाहिए? क्योकि इस बोर्ड ने उद्देश्य के विपरीत जाकर काम किया है  देश के अंदर जो स्थिति बोर्ड ने पैदा कर दिया है उसे
देखते हुए अब हिंदू धर्म के लोग भी चाहते हैं  हैं कि हिंदू धर्म बोर्ड का गठन किया जाए ताकि हिंदू समाज के जितने धार्मिक स्थल है वह जमीन है जो पुरानी है वह भी वापस हमें मिल सके वह हिंदू धर्म के पास सब का डाटा आ सके और उसको संभालने का पूरी एक समिति बनाई जाए यह तो बात बाद की है पर जो अभी विवाद है वह नए कानून को लेकर है नया कानून सभी के लिए है और सही माइनो में उसमें अन्य धर्म का भी फायदा है नुकसान नहीं है पर कुछ राजनेता अपनी रोटियां सेकने के लिए उनको सच नहीं बता रही हैं उन्हें गुमराह कर रहे हैं आज  वक्फ बोर्ड ने अपने धर्म के कितने बच्चों को कितनी लड़कियों को पढ़ाई के लिए या काम धधैं के लिए विवाह के लिए कितना धन दिया उनके उद्धार के लिए कितना खर्च किया क्या आज तक उन्होंने कभी इसको  सार्वजनिक रूप से बताया ?
पूरे देश में 8.7 लाख संपत्तियां  वक्फ बोर्ड के पास है अगर इसका सदुपयोग किया जाए तो उन्हीं के धर्म के लोगों का ज्यादा से ज्यादा उद्धार होगा ,?
इसलिए ,
विधयक का और जो उसमें संशोधन है इसका विरोध नहीं होना चाहिए बल्कि उसका स्वागत होना चाहिए वह सभी के भले के लिए है किसी एक धर्म कि संपत्ति को लूटने के लिए या कंट्रोल करने के लिए नहीं है बल्कि उसका सही इस्तेमाल हो उसके लिए है कोई भी वाद-इवाद ना हो उसके लिए यह कानून है
कोई भी अपनी अपनी राय वक्त करने से पहले पूरी तरह समझ ले सोच ले पढ़ ले उसके बाद अपनी राय  व्यक्त करें सिर्फ कुछ लोगों के भयकावे  में आकर इस कानून का विरोध ना करें
देश के हित में वह अपने धर्म के हित में इस विधायक का समर्थन करें इसमें ही सबका भला है,

जय हिंद


भवदीय
विजय दुसेजा