महालक्ष्मी की कथा में रानी एक साल के बाद पहुँची अपने पापों का प्रायश्चित्त करने क्या मठाधीश भी अपने पापों  का प्रायश्चित करेगा,एक साल हो रहा है ?

विजय की ✒कलम

(संपादकीय)






बिलासपुर:- पितृ पक्ष में सिंधी समाज का पर्व महालक्ष्मी का पर्व आता है जो की गणेश उत्सव के समय में पवित्र हल्दी समाहित धागा (सगड़ा) कलाई में बांधा जाता है और 15 दिन के बाद उसे खोला जाता है और उस दिन महा लक्ष्मी का पर्व होता है इस पर्व को देश भर में सिंधी समाज के द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है एवं इस दौरान एक कथा का वाचन किया जाता है कथा की एक पंक्ति बता रहा हूं- एक राजा की पत्नी होती है रानी से कुछ  पाप हो जाते हैं जिसका प्रायश्चित करने के लिए वह 1 साल बाद फिर उसी  जगह में जाती है अपने पाप का प्रायश्चित्त करने,
क्या मठाधीश  भी अपने पापों  का प्रायश्चित्त करेगा ?
क्योंकि उसे भी 1 साल हो गए है जो उसने पाप किए थे और इस 1 साल में उसने कभी भी अपने पापों का प्रायश्चित्त नहीं किया है बल्कि दिन-ब-दिन अपने पापों को बढ़ाते गया है जो मठाधीश के चाटुकार है, चापलूस है  क्या उन्हें यह बात समझाएंगे की 1 साल बीत रहा है इस 1 साल में समाज का जो तुमने  बेडा़ र्गक किया है इतिहास के पन्नों में काले अक्षरों में लिखा जाएगा आज तक कभी इतना समाज का अहित नहीं हुआ जितना एक साल में हुआ है और सिर्फ मठाधीश के कारण ही हुआ है क्या वह अपनी गलती को स्वीकार
करेगा ?अपने पापो का  प्रायश्चित करेगा ?
यह देखना होगा पौराणीक कथाओं में राजा,महा राजा,रानी, पटरानी, महारानी,देवी,देवता, दानव गंधव,  ऋषि  मुनी भी अपने पापों का  प्रायश्चित करते थे तो क्या मठाधीश इन सबसे ऊपर हो गया है ?
जो कि अपने पापों का प्रायश्चित नहीं कर रहा है या करना नहीं चाहता है आखिर क्यों ?
इसका जवाब मठाधीश  को देना होगा,क्यों अपने कुल को अपने पूर्वजों की आत्मा को  दुख दे रहा है ? जबकि पितृपक्ष में कहा जाता है कि हमारे पूर्वजों की आत्माएं हमारे घर में आती है और देखती हैं कि हमारे बच्चे दान पुण्य कर रहे कि नहीं  कर रहे हैं, क्या कार्य कर रहे हैं ? अगर हम इस समय में दान पुण्य करेंगे, अच्छा कार्य करेंगे और अपने पापों का प्रायश्चित करेंगे तो हमारे पूर्वज खुश होंगे और उनकी आत्मा को शांति मिलेगी क्या मठाधीश नहीं चाहता है कि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले ? समाज की जो दुर्गति उसके कारण हुई है वह बंद हो और समाज का उद्धार हो, समाज आगे बढ़े, एक हो, मजबूत हो, समाज का विकास हो अगर चाहता है तो फिर  माफी मांगे भगवान झूलेलाल से माफी मांगे, समाज से माफी मांगे,  पत्रकारों से जिन जिन लोगों के साथ गलत ❌किया है उन सभी से सच्चे मन से माफी मांगे इससे मठाधीश का ही भला होगा उनके पूवर्जो की आत्मा को शांति मिलेगी,
ओर मठाधीश के भी पाप कम होगें
अभी  जो पितृपक्ष चल रहा है इससे
सुनहरा अवसर दुबरा फिर  नहीं मिलेगा,इस समय लोग  अपने पूर्वजों की आत्मा के लिए गीता भागवत का पाठ करते हैं दान पुण्य करते हैं और अपने पापो का प्रायश्चित्त  करते हैं
हम भगवान से यही प्रार्थना करेंगे कि मठाधीश को सद्बुद्धि दे और इस अवसर का लाभ उठाएं और अपने पापों का प्रायश्चित करे  जिससे उसका भी भला होगा और समाज का भी भला होगा


भवदीय
विजय दुसेजा