सच और झूठ दोनों भाई हैं , संत लाल सांई


बिलासपुर:- नवरात्रि के पावन अवसर पर , नव दुर्गा उत्सव समिति के द्वारा तोरवा बिलासपुर  में श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चक्करभाटा  के संत लाल सांई जी के सत्संग का आयोजन किया गया
रात्रि 8:00 बजे से 10:00 बजे तक जैसे ही सांई जी का आगमन हुआ समिति के द्वारा फूलों की वर्षा करके सांई जी का स्वागत सत्कार किया गया सत्संग की शुरुआत मां दुर्गा के मूर्ति पर पुष्प अर्पण कर भगवान झूलेलाल जी की फोटो पर माला पहनाकर दिप प्रजवलित करके की गई संत लाल सांई जी ने अपनी अमृतवाणी में कहा कि हम बड़े भाग्यशाली हैं नवरात्रि का समय चल रहा है जगह-जगह माता रानी के जगराते वह भजन कीर्तन चल रहे हैं ऐसे भक्ति वाले माहौल में पावन अवसर पर हमें भी माता रानी के चरणों में हाजरी लगाने का मौका मिला सांई जी ने सत्संग में ज्ञानवर्धक दो प्रसंग सुनाए इसमें पहला प्रसंग  था कि,,
सच और झूठ दोनों भाई हैं जैसे सिक्के में चित और पट होता है दिन और रात होती है धूप और छाव होती है आज और कल होता है एक और दो होता है ईसि तरह सच और झूठ भी होते हैं और दोनों भाई हैं उन्होंने बताया कि सच और झूठ में शर्त लगी और शर्त  को जीतने के लिए दोनों नदी में उतरे कौन जल्दी नदी में नहाकर डुबकी लगाकर  बाहर आता है जो आएगा वह जीत जाएगा दौनो ने कपड़े उतारे और नदी में स्नान करने अंदर चले गए सच ने नदी के अंदर तल तक पहुंच गया और झूठ नदी में जल्दी से डुबकी लगाकर बाहर आ गया और जब सच बाहर निकाला तो देखा झूठ था ही नहीं इधर उधर चारों तरफ देखा झूठ नहीं दिखा जब सामने जहां पर कपड़े उतारे थे वहां देखा तो झूठ के कपड़े पड़े हैं पर उसके कपड़े नहीं थे वह समझ गया कि जो झूठ है उसने सच के कपड़े पहन कर भाग गया और सच बेचारा आज भी नदी में अंदर खड़ा है क्योंकि वह बाहर आकर झूठ के कपड़े पहन नहीं सकता है इसलिए वह नदी के अंदर में ही है
खड़ा है  इस कहानी का तात्पर्य यह है कि लोग आजकल झूठ को भी सच  कि चाशनी में डूबा कर बोलते हैं, ताकि उन्हें शक ना हो और वह भरोसा कर ले और दिखावे की दुनिया में लोग जी रहे हैं हकीकत में जीना चाहिए और अंत में सच  कि ही विजय होती है झूठ कितना ही बड़ा क्यों ना हो उसे हारना ही पड़ता है ओर झूठ ,पाप अन्याय ,अधर्म के साथ है और सच, न्याय धर्म के साथ है इसीलिए अंत में विजय, न्याय की धर्म की और सत्य, की होती है, दूसरा  प्रसंग था एक गांव में  रामू गधे को लेकर घर जा रहा था रास्ते में उसे एक हीरा मिला बड़ा वह उसे चमकीला पत्थर समझकर रस्सी से गधे के गले में बांध दिया ताकि रात को रोशनी दिखाई दे दूसरे दिन जैसे वह गांव पहुंचने वाला था रास्ते में एक सोनार ने देखा कि गधे के गले में हीरा बंधा हुआ है और चमक रहा है उसकी 💡रोशनी उसकी आंखों में पड़ी तो वह रुक गया और उस गधे के मालिक रामू से पूछा क्या यह पत्थर मुझे दोगे जो गधे के गले में लटका हुआ है उसने कहा दे दूंगा कितने का दोगे गधे के मालिक ने सोचा यह बड़ा पैसे वाला है तो उसने कहा 500 में दूंगा वह सोनार बहुत चतुर था वह जानता था उसकी कीमत लाखों में है उसने सोचा यह मूर्ख को पता नहीं है उसने तुरंत 500 निकाल कर उसे दे दिए रामू ने गधे के गले से रस्सी खोलकर वह हीरा सोनार को दे दिया जैसे सोनार ने उस हीरे को अपने हाथ में लिया बहुत वजन था और चमक थी उस चमक के चक्कर में वह हीरा नीचे गिर गया और टूट गया तब उस सोनार  ने  हिरे से कहा जब तुम गधे के गले में लटके थे तब तुम तो नहीं गिरे ,नहीं टूटे और मेरे हाथ में आते ही  तुम गिर के टूट गए तो उस हिरे ने कहा जब तक मैं गधे के गले में था ना गधे को पता था कि मैं हीरा हूं और ना उसके मालिक को पता था कि मैं हीरा हूं मेरी कीमत क्या है पर तुम तो समझदार हो सोनार हो तुम्हें तो पता था मेरी कीमत क्या है फिर   तुमने मुझे संभाल के क्यों नहीं पकडा़, सबसे बड़ा गधा कौन है? इस कहानी का मतलब यही है कि आजकल हम लोग भी जो हमारे हीरे मोती होते हैं ऐसे लोगों को हम छोड़कर और कंकड़ पत्थर जेसे लोगो को अपना समझ लेते हैं ,
अंत में  सांई  जी ने माता रानी  के बारे में बताया पूरे देश में 52 शक्तिपीठ है, माता सती की कथा सुनाइ  फिर किस  तरह भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसके शरीर के 52 टुकड़े किए और देश के अलग-अलग हिस्सों में वह गिरे जिसमें छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के रतनपुर में जो हिस्सा गिरा शरीर का वह दिल था इसीलिए उस मंदिर का नाम महामाया देवी पड़ा,
अखंड भारत के सिंध  प्रदेश के पास भी हिंगलाज माता का प्राचीन मंदिर है इसकी मान्यता बहुत है और हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम भी उस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं जो पहाड़ियों में आज भी स्थित है इसमें तीन देवियां विराजमान हैं जेसे जम्मू में माता जी के स्वरूप है इस तरह वहां पर भी हिंगलाज माताजी का स्वरूप है और हिंगलाज माता सिंधी समाज की कुलदेवी है जिस तरह हर घर में भगवान झूलेलाल जी का फोटो है उसी तरह अब हर घर में हिंगलाज माता जी का फोटो होना चाहिए और अब हम लोगों ने नया मिशन आरंभ किया है, जो समाज के लोग अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म अपना लिए हैं उन्हें वापस अपने धर्म में लाने का काम हमने आरंभ किया है
कार्यक्रम  के आखिर में कई भक्ति भरे भजन गाऐ जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे आरती की गई प्रसाद वितरण किया गया पल्लव पाया गया आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में नवदुर्गा उत्सव समिति के सभी सदस्यों का विशेष  सहयोग रहा


भवदीय
विजय दुसेजा