*विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष

भारत सहित पूरी दुनिया में विभिन्न शारीरिक अंगों के कैंसर बढ़ना चिंता का विषय है। समाज में आमजन को जानना चाहिए कि व्यक्ति को कौन से लक्षण हैं जो कैंसर जैसी खतरे की निशानी को इंगित करते हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों में कैंसर के लक्षण होने तक बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। यदि हमें लगातार बुखार,सरदर्द, लंबे समय से खांसी,दस्त, घटता बजन व भूख में कमी, शरीर में फोड़ा या घाव का न भरना, आवाज में बदलाव, शरीर के किसी अंग में गांठ, तिल या मसा का अचानक बढ़ना, सौंच या पेशाब में अनियमितता या खून आना, जैसी तकलीफें जो सामान्य उपचार से ठीक नहीं होती तो कैंसर की संभावना की जांच होना चाहिए। तंबाकू का सेवन करने वाले पुरुषों का मुंह का न खुलना, सफेद दाग व छाला की तत्काल कैंसर की जांच करायें। महिलाओं में 30 वर्ष की उम्र के पश्चात लगातार रक्त स्राव, अनियमित माहवारी, जननांग से सफेद बदबूदार पानी आना, संभोग के पश्चात बच्चेदानी से खून आना तथा स्त्रियों के स्तन में सूजन, गांठ या घाव कैंसर की संभावना को इंगित करता है।
*कैंसर रोकथाम हेतु हम क्या करें*_
यदि हम तीन दशक पूर्व जैसी लोगों की जीवन शैली का अनुसरण करेंगे तो निश्चित ही कैंसर रोगियों की संख्या आधी हो जाएगी। किशोर व किशोरियों में बढ़ रही तंबाकू_ धूम्रपान_ शराब के सेवन की प्रवृत्ति, संतुलित भोजन का सेवन,फास्ट फूड का सेवन, नियमित रूप से कसरत योग की प्रति दिवस 30 मिनट की आदत, 7 से 8 घंटे की पूर्ण निद्रा, शारीरिक वजन का नियंत्रित होना, विद्यालय/ महाविद्यालय में नियमित स्वास्थ्य शिक्षा का संचालन, जागरूकता हेतु कैंसर की रोकथाम हेतु पाठ्यक्रम में शामिल करना, तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को जिला प्रशासन के नेतृत्व में प्रभावशाली बनाना, युवक व युवतियों को नियमित रूप से मुख, स्तन व बच्चेदानी का कैंसर को शीघ्र पहचान हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना, महिलाओं में व्यक्तिगत स्वच्छता, परिवार नियोजन साधनों का उपयोग, वायु प्रदूषण पर नियंत्रण जैसी गतिविधियों से दो तिहाई कैंसर कम हो सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर बी एल मिश्रा ने किशोर-किशोरियों से अपील किया है कि वह अपने परिवार, समाज व देश की खुशहाली हेतु “जिंदगी चुने, तंबाकू नहीं”।
(डा. बी एल मिश्रा ) 9424974800