समत्व ही शिवत्व है

🔺श्रावण सोमवार :-

रायपुर :- जीवन प्रतिपल एक नईं चुनौती प्रस्तुत करता है, लेकिन जो इन सभी प्रतिकूलताओं अथवा अनुकूलताओं को समभाव से स्वीकार कर लेता है, वही जीवन महान भी बन पाता है। भगवान भोलेनाथ के जीवन की यह सीख बड़ी ही अद्भ़ुत है, कि कभी दूध मिला तो प्रसन्न हो गये यदि कभी केवल पानी ही मिला तो भी प्रसन्न हो गये। कभी शहद अर्पित हुआ तो प्रसन्न हो गये और कभी धतूरा ही मिला तो भी सहर्ष स्वीकार कर लिया।
केवल एक विल्व पत्र पर रिझने वाले भगवान भोले नाथ, जीव को यह सीख देना चाहते हैं, कि जरुरी नहीं कि हर बार उतना ही मिलेगा जितनी आपकी अपेक्षा है। कभी-कभी अपेक्षा से कम मिलने पर भी अथवा जो भी मिले, जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहना तो सीखो, तुम आशुतोष बनकर अवश्य ही पूजे जाओगे।

जल– शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत एवं ठंडा होता है. …
दुग्ध/दूध– शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से हमें उत्तम स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
दही– शिवलिंग को दही से स्नान कराने से स्वभाव में गंभीरता आती है।
शक्कर– शिवलिंग पर शक्कर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।
शहद-भगवान शंकर के लिए शिवलिंग पर शहद को अर्पण करने से हमारी वाणी में मधुरता आती है।

तनाव प्रबंधन सीखें भगवान शंकर से।

1– जटा में गंगा और त्रिनेत्र में अग्नि (जल और आग की दुश्मनी)

2– चन्द्रमा में अमृत और गले मे जहर (अमृत और जहर की दुश्मनी)

3– शरीर मे भभूत और भूत का संग (भभूत और भूत की दुश्मनी)

4– गले मे सर्प और पुत्र गणेश का वाहन चूहा और पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर (तीनो की आपस मे दुश्मनी)

5– नन्दी (बैल) और मां भवानी का वाहन सिंह (दोनों में दुश्मनी)

6– एक तरफ तांडव और दूसरी तरफ गहन समाधि (विरोधाभास)

7– देवाधिदेव लेकिन स्वर्ग न लेकर हिमालय में तपलीन।

8– भगवान विष्णु इन्हें प्रणाम करते है और ये भगवान विष्णु को प्रणाम करते है।

इत्यादि इतने विरुद्ध स्वभाव के वाहन और गणों के बाद भी, सबको साथ लेकर चिंता से मुक्त रहते है। तनाव रहित रहते हैं।

और हम लोग विपरीत स्वभाव वाले सास-बहू, दामाद-ससुर, बाप-बेटे, माँ-बेटी, भाई-बहन, ननद-भाभी इत्यादि की नोकझोंक में ही तनावग्रस्त हो जाते है। ऑफिस में विपरीत स्वभाव के लोगों के व्यवहार देखकर तनावग्रस्त हो जाते हैं।

भगवान शंकर बड़े बड़े राक्षसों से लड़ते है और फिर समाधि में ध्यानस्थ हो जाते है, हम छोटी छोटी समस्याओं में उलझे रहते है और नींद तक नहीं आती।

युगनिर्माण में आने वाली कठिनाई से डर जाते है, संगठित विपरीत स्वभाव वाले एक उद्देश्य के लिए रह ही नहीं पाते है।

भगवान शंकर की पूजा तो करते है, पर उनके गुणों को धारण नहीं करते।

भगवान शिव का त्याग हमें यह सन्देश देता है कि संग्रह हमको सुख साधन तो उपलब्ध करा सकता है मगर शांति अथवा प्रसन्नता कभी भी नहीं दे पायेगा, अतः जीवन में प्रसन्न और समाज में प्रतिष्ठित रहना है तो अनावश्यक चीजों का विग्रह करना सीख लो.
भक्ति में है शक्ति भाई, शक्ति में संसार,
देवाधिदेव भोले नाथ का आज प्रिय सोमवार।

सावन के चतुर्थ एवं अंतिम सोमवार की अनंत शुभकामनाएँ, आशुतोष भगवान महादेव की कृपा हम सभी पर सदैव सपरिवार बनी रहे..✍️
🌿॥ शुभ श्रावण मास ॥🌿