जीवन ज्योति अस्पताल” को रेफरल की तैयारी में सरकारी मेडिकल कॉलेज? — मरीजों के हित या निजी लाभ?”

अंबिकापुर | 2 अगस्त 2025
सरगुजा संभाग के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान मेडिकल कॉलेज अस्पताल, अंबिकापुर से अब जीवन ज्योति अस्पताल को गंभीर मरीजों को रेफर करने की तैयारी चल रही है। यह जानकारी हमारे विश्वसनीय सूत्रों से मिली है, जिन्होंने इस संदर्भ में शासन को भेजे गए पत्र और संबंधित आदेश की प्रतियां भी साझा की हैं।

गौरतलब है कि असिस्टेंट प्रोफेसर अकील अहमद अंसारी ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया कि जीवन ज्योति अस्पताल, जो अतीत में असंतुष्ट मरीजों की शिकायतों के कारण अक्सर विवादों में रहा है, अब खुद को “उत्तर छत्तीसगढ़ का सबसे सक्षम निजी अस्पताल” बताकर मेडिकल कॉलेज से भी ख़ुद को बड़ा अस्पताल का दर्जा दिलाने की कोशिश में है।

📜 क्या कहते हैं नियम?

भारत में सरकारी अस्पताल से किसी स्थानीय निजी अस्पताल को मरीज रेफर करने की स्थिति में निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
• सरकारी अस्पताल में वह सुविधा पूर्णतः अनुपलब्ध हो।
• शासन/स्वास्थ्य विभाग की पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त हो।

👉 यदि इन नियमों का उल्लंघन होता है तो यह ‘हितों के टकराव’ (Conflict of Interest) और ‘लोक सेवक आचार संहिता’ का सीधा उल्लंघन माना जाएगा।

इसके साथ ही, यदि यह आदेश किसी प्रकार के दबाव, प्रभाव या रिश्वत के माध्यम से पारित कराया गया है, तो यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और जनसेवा दायित्व कानूनों के तहत आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है।

💰 क्या हुआ है अंदरखाने?

सूत्रों का दावा है कि जीवन ज्योति अस्पताल प्रबंधन ने शासन व स्थानीय मेडिकल प्रशासन में भारी पैठ बनाकर यह आदेश निकलवाया है। यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र के निजीकरण की खतरनाक शुरुआत कही जा सकती है।

इसका सबसे अधिक असर उन गरीब और ग्रामीण मरीजों पर पड़ेगा, जो पहले ही इलाज के लिए ज़मीन बेचने जैसी विवशताओं से गुजरते हैं। अब उन्हें रेफरल के नाम पर निजी अस्पतालों की महंगी सेवाओं के हवाले कर दिया जाएगा।

🩺 आयुष्मान योजना का असल चेहरा:

हालांकि जीवन ज्योति अस्पताल यह दावा करता है कि आयुष्मान कार्डधारियों को नि:शुल्क सेवा मिलेगी, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग है।
आयुष्मान कार्ड को लेकर विभिन्न अस्पतालों की अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि
• “लिंक फेल है”
• “तकनीकी कारणों से क्लेम नहीं हो पा रहा”
कहकर मरीजों से मोटी रक़म वसूली जाती है।

❓ बड़ा सवाल:

जब जीवन ज्योति अस्पताल खुद को इतना सक्षम बताता है, तो क्या उसे सरकारी रेफरल की ज़रूरत है?
✅ यदि सेवाएँ सचमुच उत्कृष्ट हैं, तो मरीज स्वयं वहाँ क्यों नहीं पहुँचते?

या फिर यह एक नया खेल है, जहाँ सरकारी अस्पताल का भरोसा तोड़ा जाए और जनता को निजी संस्थानों की मँहगी गिरफ्त में फँसाया जाए?

🧾 जनता से सवाल:
• क्या यह निर्णय मरीजों के हित में है या भ्रष्टाचार का एक नया चेहरा?
• क्या सरकार को इसकी निष्पक्ष जाँच नहीं करनी चाहिए?
• क्या यह रेफरल नीति गरीबों के लिए जोखिमपूर्ण नहीं है?

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