इंसानियत अब भी दिखाई देती है ।
मिलिए डॉ. अंकुर बजाज से !
जन्माष्टमी के दिन तीन साल का कार्तिक खेलते-खेलते छत से गिर पड़ा। एक लोहे की रॉड उसके कंधे और सिर के आर-पार हो गई।
एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने ऑपरेशन के लिए 15 लाख रुपये की माँग कर दी। मजबूर माता-पिता उसे किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज ले गए, जहाँ डॉ. अंकुर बजाज और उनकी टीम ने छह घंटे लंबा जटिल ऑपरेशन करके उसकी जान बचाई।
पूरे इलाज का खर्च आया मात्र ₹25,000।
सबसे बड़ी बात यह थी कि उसी समय डॉ. अंकुर की अपनी माँ उसी अस्पताल में हार्ट अटैक के बाद भर्ती थीं। इसके बावजूद उन्होंने अपनी प्राथमिकता कार्तिक की जान बचाने को दी।
जहाँ सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने मात्र ₹25,000 में एक मासूम की जान बचा ली, वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल उसी ऑपरेशन के लिए ₹15 लाख माँग रहा था।
यही वजह है कि लोगों का विश्वास प्राइवेट हॉस्पिटल्स से धीरे-धीरे उठता जा रहा है। वहाँ इलाज नहीं, बल्कि पैसे कमाने का धंधा ज्यादा हो चुका है।
कहाँ ₹25,000 और कहाँ ₹15,00,000 — यही फर्क है सेवा और व्यवसाय में ।
सच है कि “इंसानियत अब भी दिखाई देती है “। (PC-CA Rajiv Chandak 9881098027)