जागो सिंधी समाज केलोगों जागो, अब निंद में सोने का समय नहीं है

विजय की ✒कलम

बिलासपुर ;- बड़ों ने बुजुर्गों ने बहुत सारे बातें बताई थी जो आज एक-एक करके सच साबित हो रही है अपनी संस्कृति अपने तिज त्यौहार को भूलकर अन्य संस्कृति को अपना रहे हैं अन्य तिज त्यौहार को धूमधाम से मना रहे हैं और पंथों में बटकर उनके गुरु की जय जयकार कर रहे हैं और अपने आराध्य देव को भूलते जा रहो हैं इसी का नतीजा आज सबके सामने है

पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत बिलासपुर एवं उसकी सहयोगी संस्थाएं मिलकर बिलासपुर में धार्मिक आयोजन कर रहे हैं इसके लिए ₹500 सेवा शुल्क रखा गया है प्रत्येक व्यक्ति के लिए?
पर आचार्य की बात यह है कि उनका टारगेट जो पूरा करना है वह पूरा नहीं हो पा रहा है क्यों ,
क्योंकि लोग इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं?
कल तक जो डांडिया का प्रोग्राम किए थे जिसकी पास की कीमत ₹1500 रखी गई थी?
उसे खरीदने के लिए लोग टूट पड़ते हैं और 2 दिन में ही पास पूरी खत्म हो जाती है हजार पास?
यहां तक की लोग ब्लैक में भी खरीदते हैं दो-दो हजार में?
और वही समिति और उनके सहयोगी जन मिलकर एक धार्मिक आयोजन कर रहे हैं उसके लिए ₹500 में भी कोई तैयार नहीं है शामिल होने के लिए?
लोगों को फोन लगानी पड़ रही है फोन लगा कर बोलना पड़ रहा है कि भाई बुकिंग करवाइए ₹500 सेवा शुल्क है दीजिए?
क्या कभी डांडिया के लिए अपने फोन किया था कि भाई इतने का पास है ले लो नहीं किया?
उल्टा लोग फोन करते हैं भाई हमें एक दो पास दे दो भली ₹400 एक्स्ट्रा ले लो?
कहा जाता है पास खत्म हो गया नहीं है?
और अब वही समिति ₹500 की रसीद कटवाने के लोगों को फोन कर रही है आग्रह कर रही है?
ऐसा क्यों?
इसका कारण साफ है कि आपने अपने गुरुजनों का अपने वरिष्ठ जनों का अपने बुजुर्गों का अपने माता-पिता का अपने आराध्य देव अपने इस्ट देव का अपमान किया? अपने तीज त्योहारों को भुला दिया और जब दूसरों के घरों से दीपक जलाओगे तो आपके 🏡घर में अंधेरा ही रहेगा ना?
अगर आप डांडिया की जगह सिंधी छैज कार्यक्रम करवाते और फ्री करते अपने इष्ट देव अपने आराध्य देव के बारे में जो एक व्यक्ति ने गलत शब्द का उपयोग किया था?
उस व्यक्ति से माफी मंगवाते तो यह दिन देखने को नहीं पड़ता आपको?
जब चालीहा होता है तो धर्मशाला मांगने के लिए कोई समिति के लोग जाते हैं
तो आनाकानी की जाती है?
पग पग पर आपने अर्धम ओर अपमान किया है अपने धर्म का अपने इष्ट देव का और ईमानदार लोगों का?
चेटीचंड के जुलूस के अवसर पर 👞जूता पहनकर बहराणा साहब के ठेले को खींचते थे ?
मना करने के बाद, व समाझने के बाद भी नहीं माने अपने अहंकार और पैसों के घमंड के कारण अपमान करते गए?

बहुत सारी बातें हैं जिनके कारण आज आपको 713 लोग नहीं मिल पा रहे हैं?
मैंने पहले भी कहा था जब भी समाज के कार्यक्रम हो धार्मिक आयोजन हो तिज त्यौहार हो तो उसे निशुल्क किया जाए पैसों का चार्ज न रखा जाए?
लेकिन जब सत्ता पर कुर्सी पर पैसे वालों का पावर हो दबदबा हो तो वह तो अपनी मनमर्जी करेंगे?
क्योंकि उनका धंधा करना है बिजनेस करना है सेवा नहीं करनी है ?
और उसका रिजल्ट आपके सामने हैं हमारे युवा पीढ़ी हमारा समाज कहां पहुंच गया है आज से 20 साल पीछे जाइए और आज की स्थिति देखीये जमीन आसमान का अंतर दिखेगा ?
गलतियों को सुधार करके जो व्यक्ति संस्था आगे बढ़ती है वही सच्ची और ईमानदार होती है ?
और जो व्यक्ति जान बुझकर गलती करता है और उसे मानता भी नहीं है और फिर दोबारा, तिबारा , गलती करता है मतलब समझ जाओ इनका अंत निकट है और उनके साथ चैले चपाती हैं उनका भी अंत निकट है पर इन लोगों के कारण समाज का अहित हो रहा है और थोड़ा सा भी नहीं बहुत हो रहा है यह देखकर बहुत दुख होता है?
💂अंग्रेजों की गुलामी तो 200 साल चली थी अब धन्ना सेठों की गुलामी कितने साल चलेगी?
मैं आज फिर कहता हूं

नफरत की लाठी को तोड़ो
धर्म के कार्य में बिजनेस करना और धंधा करना छोड़ो
समाज हित के लिए कार्य करो और दिल को बड़ा करो
और छोटो को प्यार बड़ों का सम्मान करो,
अपने इष्ट देव अपने आराध्य देव अपनी कुलदेवी की पूजा अर्चना शुरू करो

तुम संनातनी हो सनातन धर्म का पालन करो और सत्य की राह पर चलो समाज हित के लिए आगे बढ़ो और कार्य करो
अपनी संस्कृति बोली भाषा को बढ़ावा देने के लिए कार्य करो
जब आप यह करना शुरू कर दोगे तो आपको किसी को फोन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी ?

अभी भी वक्त है समझ जाओ सुधर जाओ और सही लाइन पर आ जाओ तो इसमें आपका भी भला है समाज का भी भला है
नहीं तो दुर्गति तो हो रही है और कुछ समय के बाद अंत भी होना तय है
मैं नहीं चाहता ऐसे ही दुर्गति और ऐसा अंत देखूँ कि जिस समाज से मैंने प्यार किया है उसकी दुर्गति अपने आंखों के सामने देख रहा हूं तो तकलीफ हो रही है और जब कुछ समय बाद इसका अंत होगा और ज्यादा पीड़ा होगी इसलिए मैं चाहता हूं उससे पहले मेरा अंत हो जाए ये दिन में देखना नहीं चाहता हद से ज्यादा देख लिया समझ गया अब और देखने की इच्छा नहीं है बस एक ही इच्छा है समाज का उद्धार हो,
बड़े , युवा ओर महिलाए सभी मिलजुल कर समाज को आगे बढ़ए और नई दिशा पर लेकर जाएं जहां पर नफरत की कोई जगह ना हो जहां पर लोग लालच धोखा फरेब विश्वास घात कोई न करें ,
ऐसी जगह ले जाएं जहां पर सिर्फ प्यार ही प्यार हो और समाज को जोड़ने का आगे बढ़ने का कार्य हो

जय भोलेनाथ जय हिंगलाज माता जय झूलेलाल

संपादकीय