लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न देना,,, क्या मोदी जी का यह चुनावी स्टंट है या अपने गुरु के प्रति सम्मान है ?

जैसे-जैसे चुनाव की घड़ी नजदीक आ रही है वैसे-वैसे चुनावी सर गर्मियां भी बहुत बढ़ती जा रही है घटनाक्रम भी बदलते जा रहा है पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी नेता स्वर्गीय कपूरी ठाकुर को भारत रत्न देना फिर नीतीश कुमार का लालू से गठबंधन तोड़ना भाजपा से गठबंधन जोड़ना वह कई प्रदेशों में अन्य पार्टियों के द्वारा उनके नेताओं का भाजपा में प्रवेश करना, वह उनके साथ चुनावी गठबंधन करना 22 जनवरी के बाद जो घटनाक्रम घट रहे हैं वह सब कहीं ना कहीं चुनाव की ओर ही इशारा कर रहे हैं
और जो
(भाजपा ने ठाना है इस बार 400 पार जाना है)
यह सब उसी की रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है सभी जातियों को एक शुत्र में पिरोना है अन्य पार्टियों के नेताओं को अपनी और आकर्षित करके पार्टी में शामिल करना है कई छोटी बड़ी पार्टियों को अपने साथ जोड़ना है यह सब चुनावी गणित के हिसाब से कार्य हो रहा है इसमें नया टर्निंग पॉइंट यह आ गया कि लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ क्या यह मोदी का चुनावी स्टंट है या अपने गुरु के प्रति सम्मान है क्योंकि 2014 में प्रधानमंत्री उम्मीदवार कि रेस में आडवाणी थे पर उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह अन्य लोगों ने मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जबकि सीनियर ईमानदार निष्ठावान और पार्टी को मजबूत करने में पूरे देश भर में घर-घर तक पहुंचाने में आडवाणी की भूमिका महत्वपूर्ण थी पार्टी के संस्थापक सदस्य थे सोमनाथ से अयोध्या तक राम मंदिर के लिए रथ यात्रा निकाली कई बलिदान दिए पर उन सबका सिला क्या मिला?

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मोदी जी को गोधरा कांड के बाद अटल जी मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते थे आडवाणी जी ने अटल जी को मनाया वह उन्हें मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया अगर आडवाणी जी नहीं होते तो आज मोदी जी दो बार पीएम भी नहीं बनते तीन बार मुख्यमंत्री भी नहीं होते उसका सिला उन्होंने क्या दिया , कई मौके आए जब अपने गुरु का अपमान कर रहे हैं
एसे पोस्ट व कई वीडियो फोटो सोशल मीडिया में वायरल भी हुए और हाल ही में राम मंदिर के उद्घघाटन समारोह में भी ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला जबकि होना यह चाहिए था कि राम मंदिर के पूजा में मोदी जी को आडवाणी जी को भी साथ में बैठना चाहिए था

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वह सम्मान जो मिलना चाहिए था उन्हें नहीं मिला इस बात का दुख कहीं ना कहीं आडवाणी के फॉलोर को भी है वह खास कर सिंधी समाज को भी जरूर हो रहा था
और सबको खुश करने के लिए साधने के लिए बात जबी जूबान से उठ रही थी कि आडवाणी जी को भी भारत रत्न दिया जाए और लोगों का रुख समझ कर क्या मोदी जी ने बड़ा गेम खेला है एक तीर से कई निशाने किए हैं आडवाणी को भारत रत्न देकर
आडवाणी के फॉलोर को भी खुश कर दिया पार्टी में भी अपनी स्थिति और मजबूत कर ली और सिंधी समाज को भी खुश करने की कोशिश की हाल ही में विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में बहुत बवाल मचा था एक भी सिंधी समाज को टिकट नहीं दी गई मोदी बहुत चतुर खिलाड़ी है सत्ता तक कैसे पहुंचना है कैसे टिके रहना है

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जनता की नजम को अच्छी तरह समझ लेते हैं वह टटोल लेते हैं कहते हैं ना कि इंसान चार गलत काम कर ले और उसके बाद अगर एक अच्छा काम कर देगा बहुत बड़ा कर लेगा तो लोग उन चार गलत कामों को भूल जाते हैं इस मंत्र को मोदी जी ने अच्छी तरह पकड़ लिया है दो काम ऐसे करते हैं जिससे जनता को तकलीफ होती है व्यापारी को तकलीफ होती है परेशानी होती है पर उसके बाद एक दो काम ऐसे करते हैं जो राष्ट्रहित के होते हैं वह जनता के दिल 💜❤ से जुड़े हुए होते हैं इसलिए जनता पुरानी बातों को भूल जाती है और इन बातों को याद रखती है और फिर से मोदी को चुनाव में जीता देती है इसी खेल को खेलते हुए उन्होंने 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन किया यह र्गव की बात तो है कि 500 साल बाद यह क्षण आया है पर इस क्षण को लाने वाले सिर्फ मोदी ही अकेले नहीं है लाखों कार सेवक भी है जिन्होंने 1992 में कार सेवा की लाखों वह लोग भी हैं जो दिन रात प्रार्थना करते थे संत महात्मा भी है जिन्होंने यह लड़ाई लड़ते हुए प्राण त्याग दिए और इस ज्योत को जागने के लिए जो कार्य किया वह आडवाणी थे
उन्हें ही पीछे धकेल दिया गया पूरे देश में एक अद्भुभूत धार्मिक वातावरण बनाया गया और राम मय देश हो गया होना भी चाहिए हमारा देश राम और कृष्ण का देश है पर सियासत के लिए इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए पर लोग कहते हैं ना जंग और प्यार में आज की राजनीतिक में सब चलता है

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आप खुद ही देख लीजिए किस तरह सत्ता के लिए कुर्सी के लिए चाचा भतीजा लड़ रहे हैं चेला गुरु लड़ रहे हैं आप बेटा लड़ रहे हैं हर किसी को कुर्सी चाहिए सत्ता चाहिए सेवा के नाम पर मेवा खाना चाहते हैं उंगली काटकर शाहिद बनना चाहते हैं कांग्रेस की दुर्गति का कारण उन्ही के नेता हैं अगर कांग्रेस पार्टी चाहे तो 2024 में वापस सत्ता में आ सकती है पर उसे गांधी परिवार का मोह‌ छोड़ना पड़ेगा वह एक धर्म के प्रति जो झुकाव है उसे भी छोड़ना पड़ेगा जनता के हित के बात करनी होगी जनता के हित के लिए कार्य करना होगा जमीनी कार्यकर्ताओं को साथ लाना होगा अच्छे उम्मीदवार को टिकट देनी होगी जनता के मुद्दों को उठाकर जनता के साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा तभी वह सत्ता तक पहुंच सकती है पर ऐसा होगा मुझे नहीं लग रहा है इसलिए कांग्रेस अभी 2050 तक आराम करें भाजपा 2050 तक देश में राज करेगी मोदी के बाद योगी आएंगे और पाकिस्तान का विनाश समय शुरू हो जाएगा , चीन की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी और बाकी देशों की बोलती बंद हो जाएगी क्योंकि 2029 में योगी को आना है और मोदी को जाना है मोदी 2029 के बाद भी बने रहना चाहेंगे ,,
यह तो समय ही बताएगा आगे क्या होगा पर इस बार मोदी तीसरी बार सत्ता में आएंगे प्रधानमंत्री बनेंगे यह तैए हो गया है चुनावी बिसाद बीछ चुकी है शतरंज की बड़ी चाल विपक्ष हार चुका है अब तो सिर्फ फॉर्मेलिटी बाकी है मोदी को ही तीसरी बार आना है उन्होंने जिस तरह खेल खेला है विपक्ष अपने ही जल में फंस गया है
अब उसका कोई विकल्प नहीं है क्योंकि

( जो राम का नहीं है वह किसी काम का नहीं है)

विपक्ष ने अपने पांव में खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है
(मोदी को सत्ता तक पहुंचाने के लिए सीढी खुद ही बना ली है )
अब तो मोदी का खेल देखो सत्ता के उस पार देखो मोदी को हराने के लिए मोदी जैसा सोचना पड़ेगा उस जैसा बनना पड़ेगा जो विपक्ष में ऐसा कोई है नहीं पप्पू के आश्रय में ममता के छांव में केजरी के ख्यालों में अखिलेश के भाव में लालू की बातों में अब कुछ नहीं रखा है मोदी ने बड़ा चक्रव्यूह रचा है और विपक्ष उसमें गिर गया है अब उससे बाहर निकलना तो दूर की बात है उसी में फंसकर उन्हें अब सत्ता से दूर रहना है

(मोदी की गारंटी है कुछ भी करना पड़े 400 पार जाना है 2024 भी जितना है 2029 के आगे भी जाना है)

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