माँ, माटी, मानुष, कहां गया,, ममता दीदी ••••• : विजय दुसेजा

भारत के इतिहास में कुछ ही महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक में अपनी एक अलग पहचान बनाई है जिसमें सबसे पहला नाम जो लिया जाता है वह इंदिरा गांधी तेज तरार अपनी छवि बनाई वह 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर में भी अलग पहचान बनाई राजनीतिक में वैसे महिलाएं तो बहुत है लेकिन, कम ऐसी महिलाएं होती हैं जो अपनी अलग पहचान बना पाती हैं ,
जैसे स्वर्गीय सुषमा स्वराज भाजपा की नेता अच्छी प्रवक्ता थी, मायावती यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री, स्वर्गीय जय ललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रह चुकी थी, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी वह उनकी पुत्री प्रियंका वढेरा ऐसे कुछ नाम ओर मिल जाएंगे जो राजनीतिक में चर्चित और प्रमुखता से नाम लीए जाते हैं और सक्रिय भी थी और कुछ अभी वर्तमान में जीवित हैं और राजनीतिक में सक्रिय हैं इनमें से एक नाम ऐसा है जिसने अपनी एक अलग पहचान बनाई अपने दम पर बनाई, शुरुआत उन्होंने कांग्रेस पार्टी से की थी पर 1997 में अपनी एक अलग पार्टी बनाई ,जिसे बंगाल की शेरनी भी कहा जाता है जीसका नाम है ममता बनर्जी ,

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34 साल वामपंथियों के शासनकाल को उन्होंने 2011 में उखाड़ के फेंका वह गैर कांग्रेसी और गैंर वामपंथी सरकार अपने दम पर उन्होंने बनाई
1997 में कांग्रेस पार्टी से अलग होने के बाद अपनी नई पार्टी का गठन किया नई पार्टी बनाने के बाद में जमीनी शुरुआत की लोगों के जुड़ी रही और जमीनी मुद्दे उठाएं और सबसे बड़ा जो मुद्दा बना वह नंदीग्राम जमीन अधिग्रहण का आंदोलन था जीसके बाद वामपंथियों को 34 साल का शासन छोड़ना पड़ा और ममता ने बंगाल में राज किया और अभी भी वह वहां की मुख्यमंत्री हैं उन्होंने नारा दिया था ( मां माटी मनुष्य ) का उनके इस नारे ने कमाल भी दिखाया वह उन्हें तीन बार सत्ता तक पहुंचा और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बनाई अटल बिहारी वाजपेई सरकार में भी वह साथ रही पर 2014 के बाद बंगाल की राजनीतिक में परिवर्तन देखने को मिल रहा है और देश की राजनीतिक में भी जब मोदी प्रधानमंत्री बने और 2019 में तो भूचाल आ गया 2 सीट जीतने वाली भाजपा 2019 में 18 सीट जीत गई लोकसभा में और 2021 , विधानसभा चुनाव में तो 77 सिट जीत गई, इसमें वामपंथियों व कांग्रेस का तो सफाया हो गया अब बंगाल में प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी बनी है
जो गलती , वामपंथी पार्टियों ने की थी वह गलती अब ममता बनर्जी कर रही है इसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है 2019 लोकसभा चुनाव में भी मिला और 2024 के लोकसभा में भी मिलेगा क्योंकि ममता बनर्जी किसी एक धर्म के खास लोगों की तरफ़ दारी कर रही है और उनका कार्य कर रही है घुसपैठियों पर ज्यादा मेहरबान है भ्रष्टाचार की विरोधी ममता बनर्जी के खुद उनके पार्टी के नेता मंत्री अब भ्रष्टाचार में डूबे हैं जिस तरह आज बंगाल के हालात हैं उसे देखकर यही लगता है अब ममता का किला बहुत जल्द डूबने वाला है, क्योंकि जनता आप जान चुकी है

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ममता को पहचान चुकी है और उसके शासन से बहुत परेशान हैं जिस तरह अत्याचार भ्रष्टाचार पाप घुसपैठ बढ़ रही है और जनता के प्रति जवाबदारी कम हो रही है जनता पर अत्याचार बढ़ रहा है कुछ हालात और खराब हो गए हैं हाल ही में कुछ पत्रकारों को साथ मारपीट की गई जबरन उन्हें जेल में डाला गया क्योंकि वह सच दिखा रहे थे और सच लिख रहे थे जैसे मैंने पहले भी कहा था जो गलती वामपंथियों ने की थी वहीं अब ममता बनर्जी भी कर रही है अति का अंत जरूर होता है चाहे राजा हो चाहे रंक हो, ममता को भी सोचना चाहिए जिस नारे के साथ वह सत्ता में आई थी क्या वह उसे पूरा कर पाई है उसे पूरा कर रही है संविधान की जो कसम खाई थी मुख्यमंत्री बनते समय क्या उसे निभा रही है लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार है चुनाव लड़ने का अधिकार है लेकिन जिस तरह वह शासन कर रही है उससे तो अलग ही संदेश जा रहा है दूसरों को गलत कहने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए कि वह क्या कर रही है मोदी को कोस रही है लेकिन जो बंगाल में हो रहा है क्या वह सही हो रहा है

(अब ना उनमें जनता के प्रति ममता रही ओर ना अब जनता उनहे दीदी बोल रही है,)

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अपने नाम के उलट व कार्य कर रही है भोखलाट में और गलत दिशा में चल पड़ी है उसका खामियांजा लोकसभा 2024 के चुनाव में भुगतना पड़ेगा अभी भी वक्त है अपनी कार्यशाली को बदलें वह 2011 में जब सत्ता हासिल की थी और जी नारे के साथ की थी उस पर अमल करें लोकतंत्र को मजबूत करें ना कि उसे खंडित करें जनता से प्रेम करें ना कि उस पर अत्याचार करें खुद एक महिला होकर आज जिस तरह महिलाएं सड़कों पर उतर रही हैं न्याय पाने के लिए क्या यह उचित है? ममता को सोचना चाहिए देखना चाहिए समझना चाहिए वह निष्पक्ष होकर कार्रवाई करनी चाहिए दोषियों को सजा देनी चाहिए उन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए पर क्या ऐसा हो रहा है नहीं हो रहा है इसके कारण जनता सड़कों पर उतर रही है और महिलाओं में ज्यादा गुस्सा देखा जा रहा है सत्ता के लिए ताम भेद जो अपनाए जा रहे हैं वह गलत है जिन बातों का जिस कार्य का वह बखान करती थी आज वह खुद ही कर रही है जैसा नतीजा और जैसा हाल वामपंथियों का हुआ था वैसा,
ममता बनर्जी की पार्टी का भी होगा
अभी भी समय है दीदी जाग जाओ समझ जाओ और सत्य की राह पर चले तो आपकी पार्टी की साख बनी रहेगी नहीं तो फैसला जनता को करना है और 2024 में करना है कुछ समय बाद ही करना है अब हमें भी देखना है जनता अपना फैसला क्या सुनती है,,,

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