लेखराज मोटवानी/हिरदाराम नगर। भारत पाकिस्तान विभाजन के वक्त सिंध से आकर विस्थापित हुए सिंधी समाज ने अपने पर्व एवं त्योहार मनाने का सिलसिला थमने नहीं दिया। रोजीरोटी के संघर्ष के साथ सिंधियत से जुड़े रहे। राजधानी भोपाल के सबसे प्राचीन राजावीर विक्रमादित्य मंदिर इसरानी मार्केट हमीदिया रोड में वर्ष 1949 से राजावीर विक्रमादित्य (मेले) महोत्सव मनाया जा रहा है। 74वें राजावीर विक्रमादित्य महोत्सव की तैयार जोर शोर से चल रही हैं। दो दिवसीय आयोजनों के बीच मनाया जाएगा।
आयोजन समिति के अध्यक्ष लखू अंदानी ने बताया कि 16 व 17 मार्च को आयोजन होगा। 16 मार्च सुबह 12 बजे बहिराणा साहिब सजा कर शुभारंभ होगा, जिसमें इस बार सतों द्वारा संगत को निहाल कर सत्संग एवं पल्लव होगा।
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संत साई लाल दास जी (चक्करभाटा) एवं संत साई ओमी राम जी वसण शाह दरबार (ऊलाहनगर)से आएंगे। सिंध से आने के बाद से ही राजावीर विक्रमादित्य महोत्सव मनाने की शुरूआत हुई थी, हर साल सिंधी समाज के लोग राजवीर की पूजा अर्चना और आरती करते हैं।
पहली बार 1949 में हुआ था मेला, साल 1949 में पहली बार राजवीर विक्रमादित्य महोत्सव की शुरूआत हुई थी। मेले के आज तक के सफर में रेवतमल अंदानी, जेठानंद लालचंदानी, गेहीमल कुंदानी, अमल मल राजदेव, पजाणमल, लालचंद अंदानी, वीरभान कल्याणी, चन्द्र कंजानी, रामचन्द्र मूलचंदानी, मोहन लाल कुंदानी के नाम जुड़े हैं, जिनकी परंपरा को मौजूदा सेवाधारी आगे बढ़ा रहे हैं। राजवीर विक्रमादित्य मंदिर समिति के अध्यक्ष लखू अंदानी, रवि कंजानी, वासदेव कल्याणी नरेश अंदानी और किशन टेकचंदानी आयोजन की तैयारियों में लगे हुए हैं।
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