विगत एक सप्ताह से पूरे प्रदेश मे छत्तीसगढ़ पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष पद के चुनाव की जो गहमी चल रही थी जिसमें छत्तीसगढ़ सिंधी समाज की पूरे छत्तीसगढ़ के छोटे बड़े शहरों में चुनाव की सरगर्मी मची हुई थी खास कर राजधानी रायपुर में सुबह से लेकर शाम तक चौक चौराहा में चाय के ठेले में,पान ठेले में बस एक ही चर्चा थी कि इस चुनाव में कौन जीतेगा कौन बाजी मारेगा, चेतन तारवानी या महेश दरयानी क्योंकि इस चुनाव में चेतन को पाने के लिए बहुत कुछ था और खोने के लिए भी पर महेश को पाने के लिए बहुत कुछ था पर खोने के लिए कुछ नहीं
सिन्धी समाज के छत्तीसगढ़ पंचायत चुनाव के संपन्न होने के बाद और रिजल्ट आने के बाद सारी शंकाओं, का अंत हुआ और कई सारी ऐसी बातों का भी अंत हुआ जो लोगों को पता नहीं थी कई लोगों के सपने टूटे तो कई लोगों की सत्ता से भी छुट्टी हो गई कहा जाता है कि चेतन तारवानी को पूर्व अध्यक्ष श्री चंद सुदरानी का सपोर्ट था जिन्होंने विगत 17 सालों से छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत में चुनाव नहीं कराया और एक छत्र राज किया कुछ सालों से विरोध के स्वर शुरू हो गए गए , और परिवर्तन के लिए लड़ाई शुरू हो गई थी लोकतंत्र को बचाने के लिए आंदोलन शुरू हो चुका था और यह आंदोलन की मशाल जो हाथ में लेकर चल रहे थे वह थे
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पूज्य सिंधी पंचायत धमतरी के पूर्व अध्यक्ष महेश रोहरा, समस्त छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत की कई बैठके , धमतरी,रायपुर, बिलासपुर, तिल्दा, दल्ली राजहरा , में हुई पर बैठकों का कोई रिजल्ट नहीं निकला सबका यह कहना था कि संविधान में संशोधन होना चाहिए और चुनाव होना चाहिए और चुनाव में छत्तीसगढ़ का कोई भी शहर का पंचायत का अध्यक्ष हो या वरिष्ठ सदस्य हो चुनाव लड़ सकता है सिर्फ रायपुर के ही लोग चुनाव लड़े यह नहीं होना चाहिए इसके लिए संविधान में बदलाव होना चाहिए इसको लेकर बहुत गहमा गहमी रही आखिर में यह फैसला हुआ कि इस साल चुनाव होगा और रायपुर का ही निवासी ही छत्तीसगढ़ सिन्धी पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ सकता है।
अगले 3 वर्ष पश्चात होने वाले छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत के चुनाव में छत्तीसगढ़ के किसी भी नगर से अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड सकता है।
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एक तरफ देखा जाए तो यह लड़ाई पूरी नहीं हुई, अधूरी रह गई फिर भी कुछ बातें आगे बडी थोड़ी सी सही जीत तो हासिल हुई चुनाव तो हुए और लोकतांत्रिक तरीके से हुए निष्पक्ष हुए ईमानदारी से हुए ,जिन्हें गुमान था अपने ऊपर अभिमान था सत्ता के मोह में वह सब दूर हो गया, और सारे सपने चकनाचूर हो हो गए
इस चुनाव ने बहुत कुछ लोगों को सिखाया भी दिखाया भी और संदेश भी दिया की जो लोग समाज को उसकी कुर्सी को अपनी बपौती, समझते हैं अपना गुलाम समझते हैं वह उनकी भूल है जो अहंकार में जीते हैं उनका अहंकार भी अब टूटेगा क्योंकि जनता जाग चुकी है और इस चुनाव में जेसे सभी वर्ग के लोगों ने जो अपनी भागीदारी निभाई और सत्ता तक पहुंचे ओर विजय🏆 प्राप्त की एक नया इतिहास बनाया और एक संदेश भी गया है कि आप सत्ता युवाओं को दे वरिष्ठ जन मार्गदर्शन करें वह अपने से छोटे को भी कमजोर ना समझे और अहंकार ना करे, चाहे राजा हो या रंक अहंकार सबका टूटा है।
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छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत के इस चुनाव में भी दिखा दिया यह सत्ता जो मिली है कुर्सी मिली है समाज की सेवा के लिए मिली है अपनी सेवा के लिए नहीं मिली है इसे आप सेवा के लिए इस्तेमाल करें अपने लाभ के लिए नहीं समाज के भले में ही आपका भला है समाज के उत्थान में ही आपका उत्थान है जिस दिन हर कोई यह समझ जाएगा उस दिन हमारा समाज संवर जाएगा चुनाव के बाद बिलासपुर में भी हलचल मच गई है 2025 की तैयारी शुरू हो गई है कहने वाले कहते हैं
( खाली करो कुर्सी , अब , राज तिलककी करो तैयारी आ रहे हैं ईमानदारी वाले भगवाधारी )
क्योंकि बिलासपुर में भी कुछ लोग समाज को अपना गुलाम समझने लगे हैं और एक छत्र राज कर रहे हैं खुद भी, वह एक ग्रुप बनाकर सत्ता को अपने हाथ में दबा कर रखे हैं कुर्सी का सुख ले रहे हैं नाम तो लेते हैं समाज सेवा का पर करते हैं अपना भला खाते हैं मेवा अब उनकी भी कुर्सी खतरे में नजर आने लगी है 😱डर सताने लगा है कहीं रायपुर जैसा हाल हमारा भी ना हो जाए हमारी भी इतने सालों से जमी जमाई, कुर्सी हाथ से चली ना जाए उसे रोकने के लिए उसे पाने के लिए अभी से ही शुरू हो गए हैं और कर रहे हैं 2025 की एक बार फिर से तेयारी
समाज के ईस पद को हलवा पूरी समझ बैठे हैं अपने-अपने लोगों को बारी-बारी से बंटाने लगे हैं एक सिंडिकेट बनाकर हर बार कुर्सी को पा लेते हैं 2023 में उनकी चूल्हे हिला दी है और रही सही कसर 2024 के रायपुर के चुनाव ने पूरी कर दी है
कुछ भी कर लो अब जनता जान चुकी है सब कुछ पहचान चुकी है अब तो इंतजार है 2025 का फिर इतिहास बनेगा बिलासपुर में भी भ्रष्ट लालची सत्ता के भूखे लोगों को सबक मिलेगा और ईमानदार लोगों को कुर्सी मिलेगी सेवा करने का मौका मिलेगा
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