पूज्य सिंधी पंचायत कश्यप कालोनी के चुनाव में खेला हो गया है,क्या ?

विजय कि ✒कलम







हाल ही में  जिस तरह राजनीतिक चुनाव में उठा पटक हो रही है और प्रत्याशीयो में  खेला  हो रहा था सभी  विपक्षी पार्टियां भाजपा पर आरोप लगा रही थी कि वह बड़ा खेला कर रही है अलग-अलग प्रदेशों में बिहार में यूपी में एमपी में छत्तीसगढ़ में बंगाल में दिल्ली में सब जगह प्रत्याशी या तो पार्टी बदल रहे है  थे या नामांकन वापस ले रहे थे, जिसका मतलब जनता  नहीं समझ पा रही थी जो आम पब्लिक है जिसे राजनीति की समझ नहीं है यां राजनीतिक में रुचि नहीं है, पर किसी सामाजिक चुनाव में खेला हो जाए तो यह तो बड़ी अचार्य की बात है २०वर्षो के इतिहास में  पहली बार पूज्य सिंधी पंचायत कश्यप कॉलोनी के  चुनाव में मतदान आज रविवार को   रात्रि 6 से 8:00 बजे होने  थे,
जिसमें टोटल तीन उम्मीदवार थे मुरली वाधवानी जगदीश जगयाशी , नरेश कोटवानी ,जिसमें चुनाव वापसी के दिन मुरली वाधवानी ने नरेश कोटवानी के पक्ष में नामांकन वापस ले लिया, अब बचे दो उम्मीदवार  पूर्व मुखी जगदीश जज्ञयाशी और नरेश कोटवानी जो कि  पूर्व मुखी के पुत्र हैं जो पहली दफा पंचायत के चुनाव लड़ रहे थे शुरुआत में कहा जा रहा था कि नरेश डमी उम्मीदवार है वह हार जाएगा जीत नहीं पाएगा उसे बहुत कमजोर आका जा रहा था और जगदीश जज्ञयाशी को बड़ा ताकतवर माना जा रहा था शेर और बकरी की तरह खेल हो रहा था  जेसा की जानकारी मिल रही थी कि मुरली ने नामांकन  को वापस लिया नरेश के पक्ष में और उसके पूज्य पिताजी व समाज के अन्य नागरिक जैसे उसके साथ में आगे आए तो उसकी ताकत बढ़ गई अब लड़ाई बराबर की हो गई लेकिन नरेश भारी पड़ रहे थे  जब नरेश  प्रचार के लिए निकलते थे तो उसके साथ में दो पूर्व  अध्यक्ष , थे   एक उनके पिताजी ओर एक मुरली व समाज के अन्य  वरिष्ठ लोग उनके साथ थे जिनके मार्गदर्शन में चुनाव प्रचार कर रहे थे  वह चुनाव जितने की ओर  धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे और उनका पल्लड़ा भी भारी होते नजर आ  रहा था पर वर्तमान में जो पूर्व मुखी थे वह भी बहुत कॉन्फिडेंस में थे उन्हें पूर्ण विश्वास था कि मैं भारी बहुमत से विजय प्राप्त कर रहा हूं जनता उनके साथ है 2 साल के कार्यकाल में बहुत अच्छे कार्य किए हैं सामाजिक हीत के कार्य किए हैं और बहुत जन समर्थन मिल रहा है उन्हें संपूर्ण विश्वास था
उन्हें भरोसा पूर्ण था किन्तु   चुनाव के आखिरी दिन शनिवार की रात तक वह प्रचार में लगे थे, पर ऐसा क्या हुआ सुबह कि उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया बताया जा रहा है कि  वह नरेश कोटवानी के पक्ष में नामांकन वापस लिया जैसा कि सोशल मीडिया में बात चल रही है कि केंद्रीय पंचायत के एक पदाधिकारी जो कि पूर्व अध्यक्ष भी है ,
  उनके मार्गदर्शन में यह सब कार्य हुआ है ओर जगदीश ने नामांकन वापस लिया नरेश कोटवानी के पक्ष में सूत्रों से मिली जानकारी सुबह करीब 11:30 के बीच की बात है सेंट्रल   पंचायत का पूर्व अध्यक्ष, पदाधिकारी उनके निवास स्थान में पहुंचता है वह लंबी मीटिंग चलती है तब उस मीटिंग में क्या हुआ क्या  खेला गया ?
क्या ऑफर दिया गया ये बड़ा सवाल समाज के बिच चर्चा का विषय बना हुआ ? और कौन सी ऐसी कमजोर कड़ी उसकी पकड़ में आ गयी है ये भी बड़ा सवाल बना हुवा है?  जिसका पता  कुछ दिनों के बाद ही चल पाएगा  पर इतना तय है की कुछ ना कुछ तो है जरूर जिसमे खेला हो
गया है ?
जिसके कारण उन्होंने नामांकन वापस लिया क्या दबाव था ?
यां कुछ लेनदेन हुआ है जो  नामांकन  वापस लिया ?
कोई पद का ऑफर दिया गया है सेंट्रल में इसलिए नामांकन वापस लीया ?
यां कोई अन्य बात है जिसके कारण उन्हें   नाम  वापस  लेना पडा ?

जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें समाज हित के लिए नामांकन वापस लिया है वह उनका हृदय परिवर्तन हुआ है सुबह 11:00 बजे तक वो बहुमत से जित रहे थे किन्तु 11:30 बजे सेन्ट्रल पंचायत के पदाधिकारी से मिलने के बाद उनका ह्रदय परिवर्तन हो जाता है ओर समाज हीत कि बात करते है ?

(समाज का दूर्भाग्य है या कोई  बड़े पद  की लालसा , समाज भी  जानना चाहता है ? )

कहते हैं राजनीती  अगर राजनीतिक  तक  रहे  तो अच्छी बात है पर अगर वह घर समाज में घुस जाए तो बहुत ❌गलत बात है और आज वही हो रहा समाज में भी राजनीती  घुस गई है सेवा भावना खत्म होते जा रही है?
पद की ललसा पद का महत्व ने इतना अंधा कर दिया है आज समाज के कुछ लोगों को कि उन्हें सत्य और असत्य सही, गलत की सोच  खत्म हो रही है  बस किसी भी तरह सत्ता और कुर्सी  हासिल की जाए इसी में दिन-रात लगे रहते हैं जो की, न समाज के हित में है ना उनके हीत में ,हैं
यह पद सेवा का है ना कि बिजनेस का है ,
सेवा भावना से आगे आना चाहिए और जरूरी नहीं है कि पद मिले फिर सेवा करें अगर सेवा करनी है तो बगैर   पद के  भी सेवा की जा सकती है
अगर आपका मन अच्छा है स्वस्थ है सुंदर है और दिल साफ है तो आप किसी भी पद के बिना भी सेवा कर सकते हो,
पद की जरूरत नहीं है
मैंने पहले  भी कहा था कि यह चुनाव इतिहास बनाएगा चाहे इसमें जगदीश जीते या  नरेश   दोनों ही स्थिति में इतिहास बनता ,
लेकिन चुनाव, समय से  पहले कैंसिल हो गया क्योंकि एक प्रत्याशी ने नामांकन वापस ले लिया सामने वाले प्रत्याशी के पक्ष में यह भी एक इतिहास बन गया की पहली दफा चुनाव होने वाला है उसके कुछ घंटे पूर्व एक प्रत्याशी जो खुद कहता है कि मैं जीत रहा हूं फुल बहुमत से जीत रहा हूं वह नामांकन वापस ले लेता है एक नये प्रत्याशी के पक्ष में इतिहास बन गया जो हमने कहा था वह बिल्कुल सत्य निकला अब लगता है कि आने वाले अन्य पंचायत के चुनाव में भी इसी तरह खेल ,खेला जाएगा सभी समाज के लोगों को  ,चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को अब ध्यान से इस घटना का विशेषण करना होगा और सोचना होगा कि अगर वह लड़ना चाहते हैं तो इस खेल में कहीं फस,ना जाए इस बात का ध्यान देना होगा और उनके प्रत्याशी को भी इस बात का ध्यान देना होगा तभी वह जीत पाएंगे वरना वह भी इस खेल में फसते जाएंगे और जीत 🏆किसी की दूसरे की हो जाएगी, जैसा कि उन लोग चाहते हैं की तैयारी 2025 की है नजर 24 में है लेकिन खबर 25 की है

(जागो सोचो समझो, ओर सत्य की ओर अग्रसर होइये,)

(अपना एक कदम समाज हित के लिए बड़ाऐ अपनी एक आवाज समाज हित के लिए बोले)


भवदीय
विजय दुसेजा