सतगुरु का गुण गाकर,  प्रभू श्रीराम का सिमरन करके ,अपने जीवन, को सफल बनाऐ,, संत सांई लोकेश






श्री प्रेम प्रकाश आश्रम जबरापाड़ा सरकंडा में, मंगल मूर्ति आचार्य सद्गुरु स्वामी Teunram महाराज जी का 40 चालीसा के
27 वे दिन श्री प्रेम प्रकाश आश्रम  धमतरी से संत सांई लोकेश जी का विशेष रूप से बिलासपुर आगमन हुआ साध संगत के उपर सत्संग रूपी ज्ञान की वर्षा करके धन्य किया कार्यक्रम की शुरुआत रात्रि 8:30 बजे हुई सद्गुरु बाबा टेऊॅ राम जी के फोटो पर  फूलों की माला पहनाकर दीप प्रज्वलित करके की गई
  संत जी के आगमन पर महिला मंडल के द्वारा सांई जी का भव्य स्वागत किया गया भक्तों के द्वारा फूलों की माला पहनाकर स्वागत सत्कार किया गया सत्संग की शुरुआत सतगुरु टेऊॅराम चालीसा पढ़कर की गई सांई जी ने अपनी अमृतवाणी में सत्संग में फरमाया कि भगवान ने इंसान बनाया वह दो चीज दी है तन और मन,
तन से आप सारे कार्य कीजिए पर मन से आप  भक्ति कीजिए नाम का सिमरन कीजिए मन को प्रभु के भक्ति में लगाइए यह मानव जीवन जो मिला है इसलिए नहीं मिला  है कि आप सिर्फ पैसा कमाने में  व्यस्त रहे
वह एंजॉय करने में लगे  रहे,
इस मानव जीवन ,मिलने का मतलब है कि आप अच्छे कर्म कीजिए धर्माथ के कार्य कीजिए प्रभु की भक्ति कीजिए सिमरन कीजिए सतगुरु स्वामी टेऊॅ राम, महाराज जी घर में भी काम करते थे दुकान भी संभालते थे अपने खेतों में भी काम करते थे वह साथ में प्रभु का नाम भी जपते थे सिमरन भी करते थे भक्ति भी करते थे गुरु की सेवा भी करते थे
हम यह नहीं कहते हैं कि आप दिन भर घर का दुकान का काम छोड़कर नाम जपो ,आप वह काम  भी कीजिए,पर माता-पिता की सेवा भी कीजिए गुरु का सम्मान भी कीजिए घर को भी संभालिए दुकान को भी संभालिए पर भगवान को मत भूलो गुरु का दिया हुआ नाम प्रभु का नाम उसे मत भुलो उसका सिमरन करते रहो दिन हीन की सेवा करके इस तन का उद्धार करें यह धन दौलत जमीन जाऐदाद  सब यही छोड़कर जाना है इसकी वहां कोई गिनती नहीं होगी जो गिनती होगी वह प्रभु के नाम की गिनती होगी प्रभु के सिमरन की गिनती होगी आपके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की गिनती होगी अंत समय में लोग नाम लेते हैं राम राम यही नाम अगर शुरुआत से लेना शुरू कर देते तो अंत समय में आपको खुद ही भगवान के पहरेदार लेने आते उन्होंने एक छोटी सी कहानी बताई तीन दोस्त थे तीनों  चर्चा करते हैं की बहुत दिन हो गये है
हम कहीं घूमने नहीं गए हैं घूमने चलते हैं विदेश सिंगापुर, रामू ,श्यामू और शंकर सिंगापुर घूमने जाते हैं  विदेश में पहुँच कर  वहा का नजारा
देखकर दंग रह जाते हैं शानदार होटल में जब रूम बुक करवाने जाते हैं तो वह होटल 75 माले की होती है और उन्हें सबसे ऊपर 75 माले पर रूम मिलता है तीनों बहुत खुश हो जाते हैं की पूरी सिंगापुर का नजारा हम सबसे ऊपर बैठकर रूम से देखेंगे मेनेजर कहता है रात्रि 9:00 बजे के पहले आप होटल में एंट्री कर लीजिए नहीं तो लिफ्ट बंद हो जाएगी क्योंकि जो लिफ्ट चलाता है वह व्यक्ति 9:00 बजे ड्यूटी खत्म करके चला जाता है तो इसलिए 9 से पहले आप आ जाएंगे तो आप लिफ्ट से सीधा ऊपर जा सकते हैं या नहीं तो फिर आपको सीढी से जाना पड़ेगा तीनों दोस्त कहते हैं कोई बात नहीं हम घूम फिर कर 8:00 बजे तक आ जाएंगे सब लिफ्ट से ऊपर जाते हैं बहुत शानदार रूम रहता है सिंगापुर का नजारा देखते हैं बहुत 😃खुश  हो जाते हैं नहा धोकर नीचे उतरते हैं और सिंगापुर घूमने चले जाते हैं दिन भर घूमते घूमते  टाइम का पता नहीं चलता है और वापस पहुंचते हैं तो टाइम हो जाता है 10 और लिफ्ट हो जाती है बंद तीनों सोचते हैं 😧 75 मंजिल तक जाना है तो सभी आपस में 25-25 मंझील तक कहानी बताएगे अपने जीवन के बारे में ताकि टाइम पास हो सके  ओर हम ऊपर पहुंच जाए ठीक है शुरुआत होती है रामू से रामू अपने बचपन के बारे में बताते रहता है स्कूल के बारे में घर के बारे में दोस्तों के बारे में ऐसे करते-करते 25 मंजिल तक पहुंच जाते हैं अब बारी आती है श्यामू की श्यामू अपने जीवन के बारे में बताता है किस तरह स्ट्रगल किया और फिर काम मिला और उसका बॉस कैसा था उसकी गर्लफ्रेंड कैसी थी कहां का घूमने क्या-क्या एंजॉय किया बातें करते-करते 50 मंजिल तक पहुंच जाते हैं अब बचा 25 माला अब बारी आती है शंकर की शंकर भी अपने बुढ़ापे की कहानी बताते रहता है कि बुढ़ापे में ऐसी प्रॉब्लम होती है ऐसा होता है वैसा होता है बीमारियों के बारे में और बच्चों के बारे में कि केसी तकलीफ होती है ऐसे करते-करते 75 माले में पहुंच जाते हैं और खुश होते हैं कि हमें समय का पता नहीं चला और हम पहुंच गए पर वहां पहुंचने के बाद वह एक बात भूल जाते हैं रूम की चाबी लाना कहानी का तात्पर्य यह है कि हमारी उम्र भी 75 साल है उससे ज्यादा नहीं है जन्म से लेकर 25 साल तक हमारा भी समय ऐसे ही कट जाता है बचपन में और पढ़ाई लिखाई में 25 से 50 साल तक हमारा समय काम धंधे में शादी में और बच्चों को संभालने में लग जाता है 50 से 75 साल तक हमारा समय बहू बेटियों के लड़ाई झगड़े में वह बीमारियों में लग जाता है और अंत समय में आता है 75 साल तब हम भगवान को याद करते हैं जब ऊपर जाते हैं तो भगवान पूछता है तुम्हारी चाबी कहां है मतलब तुमने अपने जीवन ऐसे ही गुजार  लिया प्रभु का नाम नहीं जपा, सिमरन नहीं  किया भक्ति नहीं कि वह तुम्हें  मोक्ष  कैसे मिलेगा,
मोक्ष  की चाबी तो तुम नीचे छोड़ कर आ गए हो तो तुम्हें फिर से 84 लाख योनियों में रहने के बाद फिर से तुम्हें मानव जीवन में जन्म लेना पड़ेगा इसलिए अगर आप चाहते हो कि आप को   मोक्ष मिले तो आज ही से राम का नाम  जपना
  शुरू कर दीजिए जिसका भी नाम आपको मिला हो  गुरु से उसका नाम जपिये और जिसका कोई गुरु नहीं है तो  वै, भगवान को ही अपना गुरु बना लीजिए राम है कृष्णा है बजरंगबली है झूलेलाल है  किसी भी भगवान ,का, नाम जपते रहिए सिमरन करते रहिए और मन को प्रभु के पास लगाइए तभी आपका उद्दार होगा
मंच संचालन अमर  रोहरा  ने किया
उन्होंने सांई जी को संस्था के द्वारा इन कुछ दिनों में किए गए सेवा कार्य  के बारे में जानकारी दी जैसे गौशाला में सेवा की गई विद्वा आश्रम में सेवा की गई वह रक्तदान किया गया और ग्लोबल वार्मिंग  को देखते हुए इस  भीषण गर्मी में लोग परेशान हो रहे हैं ऑक्सीजन की  कमी को देखते हुए संस्था के द्वारा सांई जी के हाथों  से सभी को पेड़ वितरण किए गए ताकि वह सभी अपने घरों के पास दुकान के पास पेड़ लगा सके और जिन जिन लोगों ने सेवा के कार्य  में सहयोग किया था उनको प्रमाण पत्र और मेडल सांई जी के द्वारा प्रदान किया गया
कार्यक्रम  मे कई भक्ति भरे भजन गाए गये जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे आखिर में  आरती की गई प्रसाद वितरण किया गया आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया इस अवसर पर हमर संगवारी के प्रधान संपादक विजय दुसेजा ओर इवनिंग
टाइम्स के पत्रकार आलम को  सांई जी के द्वारा पाखर  पहनाकर ,मिठाई देकर आशीर्वाद दिया वह सम्मान किया इस पूरे आयोजन को
सफल बनाने में संस्था के इन सदस्यों का प्रमुख रूप से सहयोग रहा चंदी रामचंदानी प्रभु लाल छुगानी देवानंद पाहुजा ,दीपक चिमनानी, मनोहर मोटवानी, गोपी पंजवानी, मनोज आडवाणी, कमल  चीमनानी सतीष सावलानी अमर रोहरा, विक्की सजनानी सोनू पाहुजा,महिला मंडल से श्रीमती रेखा वाधवानी श्रीमती राशि कैलाश केलानी श्रीमती रेखा सजनानी श्रीमती रेखा पाहुजा श्रीमती शोभा पंजवानी श्रीमती माही वाधवानी श्रीमती सोना रोहरा श्रीमती विधि छुगानी श्रीमती उषा छुगानी  श्रीमती कविता चिमनानी श्रीमती विनीता चिमनानी श्रीमती साक्षी  पमनानी एवं अन्य महिलाओं का सहयोग रहा


भवदीय
विजय दुसेजा