अत्यंत श्रद्धापूर्वक मनाया गया बाबा होतूराम वर्सी महोत्सव
प्रकाशनार्थ…….
रीवा/उदासीन संप्रदाय की महान विभूति पूज्य गुरुदेव स्वामी होतूराम साहिब जी के जीवन दर्शन में अन्य सद्गुणों के अलावा गुरू भक्ति एवं निष्काम सेवा भाव अत्यंत अनुकरणीय है।
बाल्यावस्था से ही आश्रम में अपने सद्गुरू स्वामी मूलाराम साहिब जी की निज सेवा के अलावा उनकी कोई विशेष दिनचर्या नहीं थी। अपनी शारीरिक जरूरतों के ऊपर भी उनका ध्यान नहीं जाता था। बस दिन रात गुरू भक्ति एवं सेवा की लगन लगी रहती।
सदैव गुरूदेव के समक्ष नम्रता से खड़े गुरुदेव के मुखारविन्द को निहारते रहते, कि कब मेरे सद्गुरू मेरे लिये कोई आज्ञा करें। और जब आज्ञा होती है तो पूरे हर्ष एवं उल्लास से उस कार्य को पूरा करने में लग जाते।
गद्दी आसीन होने के पश्चात भी उन्होंने सेवा नहीं छोड़ी। बृह्ममुहूर्त में उठ जाते और स्वयं अपने हाथों से पूरे आश्रम में झाडू और पोंछा लगाते। जीवन पर्यन्त उनका यह नियम चलता रहा।
वृद्धा अवस्था में शरीर कमजोर हो जाने पर भी गुरुदेव बैठ-बैठ कर घिसटते-घिसटते सेवा पूरी करते । और प्रार्थना करते रहते है प्रभु ! जब तक शरीर में शक्ति दोगे तब तक सेवा करता रहूंगा। सबकुछ तुम्हारे हांथ में है भगवन ! कृपा करके इतना सामर्थ्य जरूर देना।
जीवन के अंतिम दिनों में स्वास्थ्य बिगड़ने पर वे अचेतावस्था में शैय्या पर सोते रहते। कोई मिलने आता तो उसे पहचानने से इंकार कर देते थे। सारा-सारा दिन नेत्र नहीं खोलते थे।
पर जैसे ही बृह्ममुहूर्त आता ठीक सुबह 4 बजे उनके शरीर में अचानक अलौकिक चमत्कारी शक्ति आ जाती और वे उठकर स्नानादि से निवृत होकर अपनी रोज की सेवा का नियम पूरा करते, पाठ पूजा करते और वापस शैय्या पर आकर सो जाते। उनकी शारीरिक अवस्था फिर वैसी हो जाती।
जिस दिन गुरुदेव जी को इस नश्वर देह का त्याग करना था। उस दिन सेवा करने तक अपने प्राणों को रोके रखा। सेवा और नित्य नियम से निवृत होकर अंतर्यामी गुरुदेव जी ने हाँथ जोड़कर प्रार्थना की-हे प्रभु ! क्षमा करना। आज के बाद इस शरीर में इतना सामर्थ्य नहीं रहेगा। अतः सेवा में उपस्थित नहीं हो पाऊँगा।
मंदिर से बाहर आकर संगत को उपदेशामृत पिलाया और हरि परमात्मा और गुरुजनों का स्मरण करके उपस्थित भक्त-मण्डल को आशिर्वाद देकर गुरू जी परम ज्योति में समा गए।
उक्त उद्गार गुरुदेव स्वामी होतूराम साहिब जी के वर्सी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित संगीतमय प्रवचन कार्यक्रम में अखिल भारतीय सिंधु सन्त समाज ट्रस्ट के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हंसदास और स्वामी सरूपदास जी ने पूज्य गुरुदेव जी के जीवन प्रसंग सुनाते हुए व्यक्त किए।
इसके पूर्व सर्व संगत ने मिलकर श्री सुखमनी साहिब का सामूहिक पाठ किया। सत्संग प्रवचन के दौरान मधुर और सारगर्भित भजन सुनाते हुए स्वामी जी ने कहा कि आज गुरुदेव भगवान की पुण्यतिथि दिवस पर उनके श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन करते हुए प्रार्थना करते है कि हम सब पर सदैव अपनी कृपा बरसाते रहें।
श्री गुरु सिद्धात सागर ग्रन्थ के पवित्र वाणी के भोग साहिब के पश्चात मात्रा वाणी का पाठ, आरती और प्रार्थना की गई। प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ।
कार्यक्रम में सिंधी सेंट्रल पंचायत के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अलावा नगर के गणमान्य नागरिक और महिलाएं और युवा वर्ग सम्मीलित हुए।