विजय की कलम
( संपादकीय)
कुछ साल पूर्व एक फिल्म आई थी बहुत सुपरहिट फिल्म हुई थी और उसके डाएलागं बहुत हिट हुए थे फिल्म का नाम था क्रांति वीर जिसमें नाना पाटेकर का रोल था और उन्होंने एक डायलॉग कहा था जब वह जेल में रहते हैं अंदर में तब एक मच्छर आता है और मच्छर को मारने के लिए दोनों हाथ से दबाया तो ताली बजी तब कहता है
(एक मच्छर साला इंसान को हिजड़ा बना देता है)
यह फिल्म का डायलॉग सुपरहिट हुआ और बहुत इस्तेमाल हुआ लोग बहुत इसको बार-बार बोलते थे ऐसा ही एक डायलॉग नहीं बल्कि हकीकत सच्ची मेरे आंखों के सामने घटित हो रही है एक मठाधीश है जो समाज के लोगों को अपना गुलाम बनाकर रखा है ?
बड़े शर्म की बात है कि लोग चापलूसी कर रहे हैं और गुलाम बनकर खुश हो रहे हैं शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों को अरे 75 साल से ऊपर हो गया देश को आजाद हुए 200 साल तक गुलाम रहे और कितनी गुलामी सहनी है और कितनी गुलामी करोगे हमारे पूर्वजों ने अपने धर्म की रक्षा के लिए सिंध छोड़ा धन दौलत , जमीन ज्यादाद सब छोड़ा लेकिन गुलामी पसंद नहीं की धर्म परिवर्तन करना,पसंद नहीं किया पर आज लोग जिस तरह पैसे के खातीर तवले चाट रहे हैं झूठी जय जय कार, कर रहे हैं और गुलाम बनकर रहना चाह रहे हैं ऐसे लोगों के कारण ही समाज का बेड़ा र्गक हो रहा है आज की युवा पीढ़ी गलत रहा पर चल पड़ी है एक बात हमेशा याद रखें शुरुआत हमेशा ऊपर से होती है बारिश ऊपर से आती है आंधी तूफान ऊपर में ज्यादा चलता है चंद्रमा सूरज भी ऊपर में रहते हैं तारे भी ऊपर में हैं फल भी पेड़ों में उपर में होते हैं तो गलत कार्य जो हो रहे हैं ऊपर से हो रहे हैं इसका असर धीरे-धीरे नीचे हो रहा है यह कड़वा सत्य है इसे जान लो पहचान लो समझ लो हैरानी की बात होती है इतना जगाने के बाद भी इतना पढ़े लिखे होने के बाद भी इतना पैसा होने के बाद भी ऐसे चापलूस बन कर बैठे हो दो कौड़ी का है मठाधीश, पैसे से ही इंसान बड़ा नहीं होता है जमीर भी ज़ीदा होना चाहिए दिल भी होना चाहिए धर्म कर्म के कार्य करने वाला होना चाहिए सत्य की राह पर चलने वाला होना चाहिए अच्छे संस्कार को बढावा देने वाला होना चाहिए सबका भला सोचने वाला होना चाहिए सबका भला करने वाला होना चाहिए सत्य बोलने वाला होना चाहिए
उस इंसान को हम बड़ा मानते हैं और जिसके पास पैसा है लेकिन संस्कार और धर्म कर्म के राह पर नहीं है सत्य की राह पर नहीं चल रहा है तो वो इंसान हमारी नजरों में दो कौड़ी का है , दूसरों की वह हराम की कमाई खाने वाला दूसरों को लूटने वाला समाज को धोखा देने वाला ऐसे इंसान को जीतना भी , अशब्द कहा जाए कम है रावण कंस से भी ज्यादा दुष्ट और पापी है क्योंकि छुपा रुस्तम है पैसों के माया जाल से अपना साम्राज्य खड़ा किया है लोगों को गुलाम बना के रखा है पर एक बात याद रखना पाप का घड़ा जब भर जाता है और जब टुटता है ना तो कुछ नहीं बचता ऐसा सेलाब आएगा सब बह के चला जाएगा, जो पाप करके आज तुमने कमाया है ना,सब तेरी औलाद अय्याशी में उड़ाएगी और तुझे चार गालियां भी देगी
मरेगा ना कुछ नहीं लेकर जाएगा सब यही छोड़ कर जाएगा लोग हसेंगे अच्छा हुआ साला मर गया बहुत पाप किया था बहुत अत्याचार किया था बहुत तंग किया था बहुत लूटा था
आज तुमहारे जो पूर्वज है ना
वह भी दुखी हो रहे होगैं,
ऊपर में सोच रहे होंगे कि ऐसी बेशर्म औलाद पैदा करने से अच्छा है कि हम बे औलाद होते किसी जानवर को पाल लेते कुत्ते को पाल लेते कम से काम नाम तो होता
( जो इंसान अपना ही सोचे वह इंसान कहलाने, के
लायक नहीं है)
(संगीत सुनने से ज्ञान नहीं मिलता मंदिर में जाने से भगवान नहीं मिलता पत्थर को तो इसलिए पूजते हैं क्योंकि भरोसे के लायक इंसान नहीं मिलता)
एक वह महाभारत था जो द्वापर युग में हुआ था एक यह महाभारत है जो कलयुग में हो रहा है यहां पर भी मठाधीश है दुर्योधन है दुशासन है शकुनी है जयचंद है और उसके चाटुकार है गुरु द्रोणाचार्य ,कुलगुरु भी है इन सब का भी वही हाल होगा जो उस महाभारत के काल में हुआ था सर्वनाश सर्वनाश
भगवान श्री कृष्ण ने कहा है जब जब धरती पर पाप बढेगा तब तब में पृथ्वी में किसी ना किसी रूप में आऊंगा और पापियो का सर्वनाश करूंगा और हमें पूरा विश्वास है गीता पर भगवान पर ग्रंथ पर की भगवान आएंगे और पिपियो का सर्वनाश करेंगे इनके चेहरे से नकाब तो हट चुका है बस अब इनके कर्मों की सजा बाकी है और जो लोग इनके चाटुकार बनकर बैठे हैं याद रखना इनके मरने के बाद तुम्हें भी कोई नहीं पूछेगा तुम्हारा भी हाल वैसा ही होगा
( धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का)
इसीलिए अभी भी वक्त है सुधर जाओ समझ जाओ और ऐसे अय्याशियो से और 420 , से ,पापियों से दूर हो जाओ किसी का भला नहीं कर सकते हो तो किसी का बुरा भी मत करो सत्य का साथ नहीं दे सकते तो अधर्म के साथ भी मत खड़े रहो ,
हमें भी इंतजार है तुम भी इंतजार करो वक्त आएगा जरूर कलयुग का प्रभाव बढ़ते जा रहा है
शुरुआत हो चुकी है ऊपर से अब बारी नीचे की है
भवदीय
विजय दुसेजा