नानक राम साहित्य/रायपुर : अवतारी सतगुरुओ की संत परंपरा का भारतीय सनातन संस्कृति और सभ्यता का विश्व विख्यात केंद्र पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ में 21 जुलाई रविवार के दिन गुरु पूर्णिमा का महोत्सव सम्पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। शिष्यों के कल्याणार्थ एवं विश्व शांति- सद्भावना के लिए आज के दिन विशेष रूप से प्रार्थना की जाती है, क्योंकि सनातन संस्कृति वसुदेव कुटुंबकम की बात कहती है, और संपूर्ण मानव समाज के हित की बात व कल्याण की बात कहती है। 315 वर्ष प्राचीन संत परंपरा में नवम् पीठाधीश्वर सतगुरु संत डॉ युधिष्ठिर लाल जी के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में यह पर्व समग्र मानवता की सेवा को समर्पित किया जाता है। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताए।। तीन लोक नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोई। ईश्वर भी यदि अवतार धारण कर इस धरा पर आते हैं तो वह भी गुरु के आज्ञा में रहकर गुरु की सेवा कर ज्ञान प्राप्त करते हैं ,चाहे राम अवतार हो, चाहे कृष्ण अवतार हो, भगवान जी ने ही गुरु के महत्व को जन सामान्य के सम्मुख रखा है। भगवान वेदव्यास जी के जन्मोत्सव को ही गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि व्यास जी ने सनातन धर्म के पूर्ण विकसित स्वरूप और निरंतरता के लिए ग्रंथों को रचकर अमूल्य आवश्यक योगदान दिया। उन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित किया, उसके पश्चात् भी वेदों को स्पष्ट करने के लिए पुराणों की रचना की।
सावन में महत्वपूर्ण महामृत्युंजय मन्त्र, इसकी उत्पत्ति की कथा और महत्व के साथ , पूर्ण सुनना आवश्यक है: https://www.youtube.com/watch?v=L0RW9wbV1fA
महाभारत ,18 पुराण, श्रीमद् भागवत तथा ब्रह्म सूत्र और मीमांसा आदि अद्वितीय साहित्य दर्शन के ग्रंथों की रचना की, जिससे मानव (सनातन धर्म प्रेमी) अपने जन्म के रहस्य (धर्म के मर्म) को समझ सकें । इस पावन पर्व के शुभ अवसर पर शिव अवतारी संत परंपरा के अष्टम सतगुरु संत गोविंद राम जी के श्री विग्रह को पंचामृत एवं गंगाजल से स्नान करा कर चरण वंदना की जाती है, तत्पश्चात् भजन- कीर्तन, गुरु महिमा पर प्रवचन, आरती, प्रार्थना (अरदास) सभी शिष्यों के कल्याण हेतु की जाती है। पूरे दिन गुरु वंदना से संबंधित कार्यक्रम किए जाते हैं। देश के कोने-कोने से एवं विदेशों से श्रद्धालु इस अवसर पर आकर अपने को धन्य करते हैं। उत्सवों की इस दरबार तीर्थ में 12-14 जुलाई से ही परम पूज्यनीय शिव अवतारी सतगुरुओं की परंपरा की पंचम ज्योति परम पूज्यनीय माता साहिब के अवतरण महोत्सव से ही लगातार प्रतिदिन कार्यक्रमों की श्रृंखला चली आ रही है। पूज्य माता साहेब के जन्मोत्सव के पश्चात् 17 जुलाई पूज्य दरबार तीर्थ का पाटो उत्सव, सतगुरु जी की विवाह वर्षगांठ,18 जुलाई भिलाई के श्रद्धालुओं द्वारा भिलाई में माता साहिब के जन्मोत्सव का कार्यक्रम, 20 जुलाई शिव अवतारी संत परंपरा के संस्थापक सतगुरु संत शदा राम साहब जी के अवतरण उत्सव का चतुर्दशी का भव्य कार्यक्रम तथा 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का महोत्सव लगातार श्रद्धालुओं के कल्याणार्थ, उत्सवों की यह श्रृंखला चली आ रही है। सेवा कार्यों के लिए प्रसिद्ध यह शदाणी दरबार, सेवा के विभिन्न कार्यक्रम ऐसे अवसरों पर करती रहती है।