बिलासपुर:- बाबा आनंदराम दरबार, चकरभाठा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े धूम धाम एवं भक्ति सत्संग के साथ मनाया गया,
जिसमे प्रातः काल सुबह 6 बजे प्रभात फेरी निकाल कर नगर कीर्तन किया गया, श्रीकृष्ण भजन एवं धुनि गाकर सारे नगर में श्री कृष्ण जन्म के उत्सव का आगाज हुआ।
रात्रि 9 से 12 सत्संग कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसका प्रारंभ श्री बलराम भैया (एकादशी वाले) जी ने अपनी मधुर वाणी में हरि संकीर्तन से किया एवं बताया की भगवान का एक नाम अमना भी है, अर्थात जिसका मन न हो, भगवान श्री कृष्ण कहते है कि अगर कोई एक चीज़ मुझमें नहीं है तो वो है मेरा “मन” क्योंकि मेरा मन तो गोपियों के पास है, और भक्त माधवदास जी की बड़ी प्रेम भरी कथा सुनाई कैसे वो भगवान श्री कृष्ण के साथ कई लीलाओं में शामिल हुए है।
तत्पश्चात श्री गोविंद भैया ने “ब्रज में हो रही जय जयकार, नंदघर लाला जायो है” भजन गा कर संगत को निहाल किया एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव में अपने भजन से चार चांद लगा दिए।
अंत में श्री साई कृष्णदास जी ने सर्वप्रथम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की संपूर्ण नगरवासियों एवं उपस्थित सारी संगत को अनंत अनंत बधाई दी और बताया की हर उत्सव भक्ति के बिना अधूरा है, भगवान श्री कृष्ण एक है मगर वही भगवान उड़ीसा में भक्तों के लिए भगवान जगन्नाथ बन जाते है तो गुजरात में द्वारकाधीश बन जाते है, महाराष्ट्र में भगवान विट्ठल के नाम से जाने जातें हैं तो ब्रज में वही भगवान बांके बिहारी कहलाते हैं।
हर जगह भक्तों ने अपने अपने तरीकों से भगवान की भक्ति एवं भजन कीर्तन किया है। साई कृष्णदास जी ने किस जगह कैसा कीर्तन होता है यह भी संगत को करके दिखाया और संगत को कीर्तन के माध्यम से भक्ति में सराबोर कर दिया। भक्त नरसी मेहता जी की कथा भी सुनाई की कैसे भगवान ने अपने भक्त के पुत्र के विवाह में नृत्य भी किया है, और राजा जरासंध जो भगवान श्री कृष्ण को अपना दुश्मन मानता था उससे किसीने ने एक बार पूछा की भगवान श्री कृष्ण की पहचान क्या है तो उन्होंने बहुत सुंदर जवाब दिया की भरी सभा में जो सबसे सुंदर मुस्कुराता है वो भगवान श्री कृष्ण है, परिस्थिति कोई भी हो चाहे हार हो या जीत हो, जो हमेशा मुस्कुराए वो भगवान श्री कृष्ण है। अंत में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का केक काटकर कार्यक्रम का समापन किया गया।