केजरीवाल ने 5 महीने के लिए  कुर्सी छोड़ी,ताकी 5 साल के लिए कुर्सी ,फिर से, मिल जाए ?

विजय की ✒कलम

(संपादकीय)







वाह री कुर्सी वाह जो काम भक्ति , प्रेम के लिए नहीं हो  सकता है वह काम कुर्सी के लिए हर कोई आज कल कर रहा  है
ऐसा नशा है कुर्सी में की

( प्राण जाए वचन जाए पर कुर्सी ना जाए )

इस कुर्सी के चक्कर में कितने घर, समाज, बर्बाद हुए प्रदेश   बर्बाद हुए देश बर्बाद हुए फिर भी लोग कुर्सी के पीछे भाग रहे हैं जिस केजरीवाल ने  इस कुर्सी की लालच में अपने गुरु अन्ना को भी धोखा दिया ? झूठे वादे किए झूठी कसमें खाई अपने बच्चों की?
अपने सहयोगियों को भी धोखा दिया परेशान किया? पार्टी से बाहर निकाला ?, यहाँ तक किया  पर कुर्सी नहीं छोड़ी पहला ऐसा मुख्यमंत्री है इतिहास में जो जेल में रहकर सरकार चलाई  पर  कुर्सी नहीं छोड़ी,
  पर अचानक जमानत मिलने के बाद ऐसा क्या हो गया कौन सा ह्रदय  परिवर्तन  हो गया कि उन्होंने कुर्सी छोड़ दी इस बात को  हर कोई जानना चाहता है पर केजरीवाल बहुत चतुर खिलाड़ी हैं उन्हें

( 5 महीने के लिए कुर्सी छोड़ी है ताकि 5 साल के लिए कुर्सी मिल जाए)

उनके ऊपर जो आरोप लगे हैं वह पार्टी के कई नेताओं और विधायकों के उपर आरोप लगे हैं कई  तो जेल की हवा खा चुके हैं जनता में क्रेडिट उनकी गिरती जा रही है इसलिए इन सब को देखते हुए हरियाणा का विधानसभा चुनाव भी है और अगले साल दिल्ली में भी चुनाव होने वाला है तो दिल्ली की कुर्सी वापस कैसे मिले उसके लिए उन्होंने यह गहरी   चाल चली,है जनता को मूर्ख बनाने के लिए उंगली काटकर बलिदान देने कि ढोंग करके,शाहिद बनने की कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने कुर्सी भी दी तो किसको दी एक महिला को वह भी उसकी विश्वासपात्र है और जिनके ऊपर अभी कोई दाग नहीं लगा है ताकि इसका राजनीतिक फायदा दिल्ली के विधानसभा चुनाव में उठाया जाए  क्यों जानते हैं 5 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो जनता को मूर्ख बनाया जाएगा फिर से वादे किए जाएंगे और जैसे ही बहुमत आएगा फिर से मुख्यमंत्री  केजरीवाल बन जाएगा अगर सच में पछतावा होता तो अपने पुराने साथियों से  माफी मांगते  उन्हें वापस पार्टी में लेते  और कुमार विश्वास को दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी शौप कर   और कहते हैं कि ईमानदारी से आप सत्ता चलाएं सरकार संभाले मैं पार्टी को संभाल लूंगा पर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया क्योंकि उन्हें सिर्फ  कुर्सी से मतलब है बाकी किसी से मतलब नहीं जो भी कुछ करेंगे सिर्फ कुर्सी के लिए करेंगे और जेल में रहकर उन्होंने बहुत कुछ सीख लिया है और समझ गए हैं ममता दीदी बोलती रह गई इस्तीफा दे दूंगी लेकिन नहीं दिया और केजरीवाल ने करके दिखा दिया ताकि लोगों के दिलों में जगह बना सके पुराना रुतबा विश्वास वापस पा सके और 5 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में वापस बहुमत पार्टी को मिल सके पर क्या दिल्ली की जनता तीसरी बार केजरीवाल पर विश्वास करेंगी उनके वादों पर विश्वास करेगी उनकी पार्टी पर भरोसा करेंगी या फिर से केजरीवाल सपने दिखाएंगे फ्री वाले स्कीम बताएंगे पानी बिजली वाईफाई फ्री देंगे बस में फ्री घुमाएंगे मोहल्ला क्लीनिक दिखाएंगे और लोगों को फिर से उल्लू बनाएंगे?
क्या लोग फिर से उल्लू बनेंगे काट की हांडी क्या फिर से चढेगी यह देखना पड़ेगा क्योंकि अभी समय है दिल्ली दूर है 5 महीने के बाद पता चलेगा पर केजरीवाल ने शतरंज की  बिशात , में अपने मोहरे, फिट कर दिए हैं और अपनी चाल चल दी है आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर क्या आतिशी कमाल कर पाएगी पांच माह में धमाल कर पाएगी केजरीवाल के सपने पूरे कर पाएगी उसके विश्वास पर खड़ी उत्तर पाएगी दिल्ली की समस्याएं हल कर पाएगी भाजपा से लड़ पाएगी यह भी सब देखना होगा,
यही है असली राजनीतिक का दंगल अब इसमें कौन हारता है कौन 🏆जीतता है समय ही बताएगा

भवदीय
विजय दुसेजा