आर्य समाज बहतराई  रोड के तत्वाधान में घर-घर यज्ञ की प्रक्रिया हुई संपन्न



बिलासपुर:- आर्य समाज बहतराई  रोड के तत्वाधान में घर-घर यज्ञ की प्रक्रिया में यज्ञ व सत्संग का कार्यक्रम आर्य रूपलाल चावला जी के सरकंडा स्थित निवास स्थान पर रखा गया।

जिसमें सर्वप्रथम यज्ञ का कार्य आचार्य जयदेव शास्त्री जी के ब्रह्मत्व में प्रारंभ हुआ। यजमान के रूप में चावला परिवार ने आहुतियां दी। यज्ञ के उपरांत वैदिक सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें सर्वप्रथम आर्य समाज के संरक्षक वयोवृद्ध रूपचंद जीवनी जी और आर्या संध्या शर्मा जी ने एक भजन प्रस्तुत किया । तत्पश्चात यज्ञ ब्रह्मा आचार्य जयदेव जी ने चावला परिवार को आशीर्वाद दिया और  और कहा अगर हमारी संस्कृति और सभ्यता को बचाना है तो हर घर में वेद का ज्ञान पहुंचना जरूरी है और हर घर को सनातन परंपराओं से अवगत कराना बहुत जरूरी है चंपा से आई आचार्या गीता वेदालंकर ने सभी उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा हमारे देश का प्राचीन नाम आर्यावर्त है क्योंकि यहां आर्य लोग निवास किया करते थे और आर्य राजाओं का ही चक्रवर्ती राज्य हुआ करता था और इसका कारण था यहां के लोगों का आचरण। जो की वेदों के अनुसार था ।

मनु महाराज ने कहा भी है-
“एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः । स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः।”

अर्थात् पृथ्वी के सभी मानव अपने चरित्र की शिक्षा इस आर्यावर्त से ही ग्रहण किया करते थे।
जब तक लोग वेद पढ़ते – पढ़ाते रहे तब तक यह देश सुखों से परिपूर्ण रहा, किंतु जब से वेदों का पठन-पाठन छोड़ा है तब से हमारा पतन प्रारंभ हो चुका है।
वर्तमान समय में स्थिति भयावह है । आज परिवारों में भाई-भाई आपस में लड़ रहे हैं परिवार में फूट पड़ रही है ,आपस में ही लड़कर परिवार टूट रहे हैं । ऐसे में देश में सुख शांति की कैसे कल्पना कर सकते हैं।
आज भी अगर हम वेदों की ओर लौटे तो पुनः अपनी खोई हुई अस्मिता को प्राप्त कर सकते हैं। यदि पुनः वेदों का पठन पाठन प्रारंभ हो तो सभी लोग फिर से आर्य हो सकते हैं और चहुंओर सुख शांति का वातावरण स्थापित हो सकता है। पुनः रामराज्य की कल्पना की जा सकती है।
सभी पुनः वेदज्ञान को प्राप्त कर सकें और परिवार समाज तथा राष्ट्र में सुख शांति का वातावरण हो इसी उद्देश्य को लेकर घर-घर यज्ञ व सत्संग का कार्यक्रम आर्य समाज बहतराई रोड की ओर से किया जा रहा है।
इस अवसर पर आर्य समाज के प्रधान श्री रूपलाल चावला जी ने कहा- परिवारों में संस्कारों को पुनर्जीवित करने के लिए यज्ञ व सत्संग एक अच्छा माध्यम है।
आर्य समाज बहतराई रोड इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए दो दिवसीय लघु गुरुकुल शिविर का आयोजन करता है जिससे वर्तमान युवा वर्ग अपने धर्म को वैज्ञानिक ढंग से समझ सके और वेदों के अनुसार अपने जीवन को चला सके।
इस अवसर पर उपस्थित आर्य लोगों ने व अन्य लोगों ने कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में लगभग 70से 80 की संख्या रही मंच का संचालन आर्य बसंत देवांगन जी ने किया डॉ प्रेमभंगुर गुप्ता, डॉ नवीन कौशिक जी, आर्य दुख भंजन जायसवाल जी, आर्य देव यादव जी, आर्य सुनील आहूजा, जी आर्य सूरज वस्त्रकर जी, आर्य आदित्य गुप्ता जी, आर्य अमित जी, आर्य सूर्यकांत शर्मा जी, आर्य प्रेम साहू जी, आर्य अरुण साहू जी, आर्य हीरा चंद्र जी, आदि सपरिवार उपस्थित रहे