विजय दुसेजा/सम्पादकीय : हाल ही में जो घटना शहडोल में घटी है उसे देखकर अब यही लगता है कि कुछ असामाजिक तत्व लोग नहीं चाहते हैं कि सिंधी समाज ओर पंजाबी समाज में प्यार एकता भाईचारा बना रहे, वह चाहते हैं कि
दूरियां पैदा हो खटास पैदा हो इससे पहले भी कुछ समय पूर्व ऐसी एक घटना घटी थी नागपुर व इंदौर में तब भी ऐसी विकट स्थिति पैदा हो गई थी कि हजारों सिंधी समाज के लोगों ने गुरु ग्रंथ साहब को सिख समाज के गुरुद्वारे में जाकर वापस किया था ऐसा क्यों हुआ है? इसके पीछे क्या कारण है यह जानना बहुत जरूरी है? सबसे पहली बात है सृष्टि की जब रचना हुई तो सनातन धर्म ही पहला धर्म था उसके बाद मुस्लिम धर्म बना और ईसाई धर्म बना 555 वर्ष पूर्व गुरु नानक देव जी का अवतरण “हुआ वह गुरु नानक जी बड़े हुए और एक समय ऐसा आया उन्होंने देखा कि सनातन धर्म जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं और मुस्लिम धर्म में बहुत लड़ाई झगड़ा होने लगे थे वह सब देखकर बहुत दुखी थे
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उनका कहना एक ही था कि हम सब एक ही भगवान के वंशज हैं फिर आपस में क्यों लड़ाई झगड़ा हो रहे हैं तब उन्होंने सिख पंथ की स्थापना की सिख पंथ है ना कि धर्म है लेकिन आजकल सिख पंथ को भी धर्म की मान्यता दी गई है धर्म कहना जाने लगा है हकीकत में सिख धर्म नहीं बल्कि एक पंथ है जिसकी स्थापना गुरु नानक देव जी महाराज ने की थी और उनका एक ही कहना था कि भगवान ईश्वर एक ही है ओमकार है और दूसरी बात आज जो हम गुरु नानक देव जी का फोटो देखते हैं स्वरूप देखते हैं वह हकीकत में ऐसी थी इसकी आज तक किसने भी पुष्टि नहीं की है नहीं कोई गारंटी दे सकता है? क्योंकि उस समय कोई भी कैमरा नहीं था बल्कि कलाकारों के द्वारा दीवाल में वह ताम पत्र में चित्र बनाए जाते थे यह हमारा भाव है जो हम जो स्वरूप देख रहे हैं ऐसा ही होगा करके हम उनकी पूजा करते हैं उनको मानते हैं गुरु नानक देव जी के बाद 9 और गुरु हुए ओर गद्दी में विराजमान हुए जिसमें आखिरी गुरु थे गुरु गोविंद सिंह महाराज जी सिख पंथ के दसवें गुरु थे
जिन्होंने कहा कि अब मेरे बाद कोई भी इस गद्दी में नहीं बैठेगा बल्कि गुरु ग्रंथ साहब की रचना की वह कहा कि आप सभी सिख पंथ को मानने वालों के गुरु हैं अब आपको इसे ही अपना गुरु मानकर भक्ति सिमरन करना है और गुरु गोविंद सिंह महाराज जी ने ही पंज प्यारो को तलवार सोपी थी ताकि वह मानव जाति के सिख पंथ के हिंदू धर्म के दुश्मनों को उनसे अपनी-अपनी रक्षा कर सके वह अपने परिवार की रक्षा कर सके अपने पूरे समाज की रक्षा कर सके सिंध में हमारे पूर्वज भी भगवान झूलेलाल के बाद अगर किसी को मानते थे तो गुरु नानक देव महाराज जी को मानते थे वह वहां पर ही टिकाढे की प्रथा आरंभ हुई जो बंटवारे के बाद भी यहाँ आने के बाद भी लोगों ने टिकाढे बनाए वह गुरु ग्रंथ साहब को सह सम्मान रखा और आज भी कई टिकाडे देशभर में मौजूद हैं पर कुछ समय से जो पंजाबी समाज सिंधी समाज में प्रेम भाव इतना अटूट था उसमें किसी की नजर लगी गई है ? या कुछ आज असामाजिक तत्व लोग जो नहीं चाहते हैं भारत में एकता रहे हिंदू सिख एक रहे उनके लोगों में प्रेम रहे इसलिए वह ऐसा कुछ कर रहे हैं बार-बार जिससे सभी पंथ व समाज और धर्म को मानने वाले लोग आपस में लड़े ताकि भारत कमजोर हो और यह असामाजिक तत्व और ताकतवर बने , इन सब में बाहरी ताकतों के अलावा भी खासकर हमारे देश में भी कई लोग मौजूद हैं? जो इनका साथ दे रहे हैं ?और जैसा कि इसमें आजकल कुर्सी की लालच ज्यादा हो गई है तो इसका कारण यह भी हो सकता है कि कुछ भ्रष्ट लोग सत्ता की लालच के लिए भी ऐसा करते होंगे?
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हमें उनकी चालाकियों में नहीं फसना है जो शहडोल की घटना घटी जिसमें गुरु नानक देव जी का 555 वां प्रकाश पर्व मनाने के अवसर पर एक 15 साल की लड़की के द्वारा गुरु नानक देव जी का स्वरुप बनकर आई थी, उसका भाव प्रेम भक्ति में कोई कमी नहीं थी ना कभी ऐसा किसी ने सोचा है कि हम इसका अपमान करें कभी नहीं , सिंधी समाज हमेशा सभी धर्म का सभी पंथो का मान सम्मान करता आया है और करता रहेगा, खुशी में कोई कार्यक्रम में राम बनता कोई कृष्ण व झूलेलाल बनता है इस खुशी को देखते हुए वह लड़की भी गुरु नानक देव महाराज जी का स्वरुप बनकर आई थी जिससे सिख पंथ को मानने वाले लोगों को अच्छा नहीं लगा उनका कहना है कि हमारे भावनाएं आहत हुई हैं क्योंकि गुरु गोविंद सिंह ने जैसे कहा था कि मेरे बाद गुरु ग्रंथ साहब ही आपके गुरु हैं इसके अलावा कोई गुरु नहीं है यह बात उस बालिका को पता नहीं थी वह खुशी के माहौल में हमारे जो वरिष्ठ लोग थे वह भी इस बात को नजर अंदाज करके ध्यान नहीं दे पाए जिसके कारण कई सिख समाज के लोगों को यह बात अच्छी नहीं लगी उसके लिए हमारे समाज के लोगों ने भी पूरे सिख पंथ के लोगों से माफी भी मांगी है
माता का दरबार सजा है, कर लो दर्शन सारे, माता ही तो हरती है बच्चों के दुखड़े सारे : https://youtu.be/vV-2NDbbFWY
ओर यह अनजाने में ऐसा हुआ है इसलिए इस बात को ज्यादा तुल्य नहीं देना चाहिए था पर सोशल मीडिया में कई लोगों को हीरो बनने का ज्यादा शौक हो गया है वह अपने आप को पॉपुलर करने के लिए तो कुछ लोग इस बातों को बड़ा चढ़ाकर और प्रसारित कर रहे हैं जिससे कि सिख समाज सिंधी समाज में दूरियां और बड़े सिख पंथ के मानने वाले जो ज्ञानी हैं जो अकाल तखत में बैठे हैं उनसे भी मेरा एक ही आग्रह है इस बात को ज्यादा ना बढ़ाया जाए बल्कि आपसी प्रेम सद्भभाव को देखते हुए यहीं पर बात समाप्त कि जाए और सिंधी समाज के जितने भाई साहब हैं जो सिंधी गुरुद्वारा और टिकाढे चलाते हैं उनसे भी मेरा हाथ जोड़कर एक ही विनती है कि अगर आप गुरु ग्रंथ साहब को अपने यहां रखे हैं और सिख पंथ मानने वाले , और गुरुद्वारा के जो नियम है अगर आप उन नियमों का पालन करते हैं अपने गुरुद्वारे में या टिकाडे में तो आप गुरु ग्रंथ साहब को रखें अगर आप नियम का पालन नहीं कर सकते हैं तो हाथ जोड़कर गुरु ग्रंथ साहब को सह सम्मान लेकर गुरुद्वारा में जाकर सिख समाज को दे दीजिए इसमें अपने समाज का ही भला होगा और आगे से ऐसी कोई भी घटना नहीं घटेगी जिससे दोबारा विवाद की स्थिति बने उसकी जगह में आप भगवान झूलेलाल का अमर कथा ग्रंथ रखें गीता रखे भागवत रखे रामायण रखें उसका आप पाठ कीजिए और सत्संग कीर्तन कीजिए,
चलते हुये चलते हुये भक्त आते है, माता के दरबार में दुःख भूल जाते है : https://www.youtube.com/watch?v=KloC5tU4kkQ
कोई मना नहीं करेगा पर किसी के धर्म का अपमान हो जाने या अनजाने में भी ऐसा आगे से ना हो इसके लिए जरूरी है कि अभी से आप सबक सीख लिया जाए और गुरु ग्रंथ साहब या अन्य ग्रंथ को आप माने,पर उसे रोजी-रोटी का जरिया नहीं बनाए ,
वह तो मानव जीवन को इस आत्मा को परमात्मा से मिलाने का एक जरिया है एक रहा दिखाने का रास्ता है वह उसे आप बिजनेस के तौर पर इस्तेमाल न करें? बल्कि भक्ति सिमरन और प्रभु से मिलने के लिए रास्ता जो उसमें बताया गया है वह रास्ता आप बताएं किसी की भी भावनाओं को ठैस ना लगे , सभी धर्म अपने-अपने स्थान पर बड़े हैं और पूजनीय हैं सभी देवी देवता भगवान आराध्य हैं और पूजनीय हैं, यह सोशल मीडिया एक ऐसी दो धारी तलवार है जो लोगों को जोड़ने का कार्य कम ओर तोड़ने का काम ज्यादा हो रहा है इसका इस्तेमाल सोच समझकर करें लोगों में प्यार एकता बनाए रखने के लिए करें और सिंधी समाज अब और ज्यादा पंथो में न बटे अपने घर वापसी का समय आ गया है अपने घर में वापस आ जाइए आपके भगवान झूलेलाल जी हैं उन्हें पूजीए, राम भगवान श्रीकृष्ण भगवान, उनकी पूजा आराधना करें हिंदू धर्म में 33 प्रकार के देवी देवता हैं उनकी पूजा पाठ कीजिए इसमें ही आपका भला होगा और आपके समाज का भला होगा हमारे परिवार का भी भला होगा और उसमें ही उद्वार भी होगा, भेड़ बकरियों की तरह एक के पीछे एक ना भागे इसमें कुछ नहीं मिलने वाला सिवाय दुख तकलीफ और परेशानीयों का,
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जैसे माता-पिता एक होते हैं इस तरह धर्म भी एक है और इष्ट देव भी एक हैं तो उस एक को ही माने,
गुरु नानक देव जी ने भी कहा है एक ओंकार तो आपको एक ही फॉलो करना है ना की अनेक को आप अनेक जगह जाईए माथा टेकीए कोई मना नहीं है सेवा कीजिए कोई मना नहीं है पर नाम जपना आपको अपने ही इष्ट देव का है अपने ही भगवान का है इस बात को गांठ बांध लीजिए और अपने बच्चों को आसपास पड़ोसी में अब सबको यह बात बताएं और समझाएं भी तभी समाज का उद्धार हो सकता है और फालतू की बातों को तूल देकर नमक मिर्च लगाकर सोशल मीडिया में ना चलाएं ,
आपसी प्यार प्रेम बना रहे एकता बनी रहे इसमें ही हमारे देश की मजबूती है और हमारे धर्म की भी,
किसी के भी भवकावे में ना आए अपनी सद्बुद्धि का इस्तेमाल सोच समझकर करें
( नजर हटी दुर्घटना घटी)
इस बात का ध्यान जरूर रखें