सिंधी प्रीमियम लीग क्रिकेट टूर्नामेंट बना सट्टेबाजो की पहली पसंद ?

सम्पादकीय/विजय दुसेजा : क्रिकेट का नाम जैसे ही जुबां पर आता है वैसे ही आंखों के सामने छक्के चौके वह बड़े-बड़े खिलाड़ियों के नाम सामने आते हैं, जेसे, सचिन सहवाग ,युवराज ,रैना, धोनी, व अन्य खिलाड़ियों के नाम,
क्रिकेट एक ऐसा खेल बन चुका है भारत के लिए जिसमें जुनून ज्यादा रहता है लोग पागलों की तरह इस खेल को पसंद करते हैं चाहे वह स्टेडियम में देखने वाले की बात हो जाए वह टीवी में देखे घर में बैठकर और जब मैच भारत और पाकिस्तान का हो तो बात ही अलग है पर इस लोकप्रिय खेल के साथ-साथ एक दाग भी जुड़ गया है और वह दाग है सट्टा, कुछ लोग इस खेल को और बदनाम करने की कोशिश करने या अपना धंधा करने की कोशिश में लगे रहते हैं जिसका नाम है सट्टा,
खेल प्रेमी तो खेल का मजा लेते हैं पर जो इसे बिजनेस करना चाहते हैं वह सट्टे के माध्यम से अपना खेल खेलते हैं वैसे भी ईसे बड़ा जुआ बना दिया है पहले तो कुछ लोग इसमें शामिल थे लेकिन धीरे-धीरे अब यह अरबो रुपए का खेल हो चुका है जो देस ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सट्टेबाजों ने अपना जाल बिछा दिया हैं? और हमारे देश प्रदेश शहर में भी उन्होंने अपना जाल बिछा दिया है? विगत विधानसभा चुनाव में यह तो बहुत बड़ा इशू बन गया था जिसके चक्कर में सत्ता पर असर पड़ा ओर सट्टा जल्दी गवानी पड़ी,
अब क्रिकेट चाहे अंतरराष्ट्रीय हो चाहे राष्ट्रीय हो या प्रदेश स्तरीय हो चाहे वह शहर स्तरीय हो या गली मोहल्ले का स्तरीय हो सब में आजकल सट्टे बाज सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और जुआ यह बहुत बड़े स्तर पर खेला जा रहा है कुछ साल पहले सिंधी प्रीमियम लिंग क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था इसका उद्देश्य एक था कि सिंधी समाज के जो युवा हैं उनको भी खेल के प्रति रुझान बड़े वह एक प्लेटफार्म मिले और हमारे युवा, शहर प्रदेश और देश के लिए जाकर क्रिकेट खेले, उनके लिए प्लेटफार्म के रूप में इसे चालू किया गया था पर इसे नजर लग गई सट्टेबाजों की ओर यह पहली पसंद बन गया उनकी,
कुछ वर्ष पूर्व एक आयोजन क्रिकेट टूर्नामेंट का रेलवे मैदान में हुआ था उस समय फाइनल मैच में बिलासपुर और चक्करभाटा की टीम पहुंची थी और यह मैच भी वैसे ही बन गया था जैसे भारत और पाकिस्तान का था जो लोग चक्करभाटा के रहने वाले बिलासपुर में रहते हैं वह भी अपनी चक्करभाटा टीम का सपोर्ट करने के लिए पहुंचे थे पूरा मैदान खचाखच भरा था हर गेंद पर बहुत शोर मच रहा था चौके छक्के लग रहे थे तो पटाखे फूट रहे थे दोनों टीमें जिन जान लगाकर क्रिकेट मैच खेल रही थी और अच्छा स्कोर बनाया चक्करभाटा टिम ने,सेकंड टिम बिलासपुर की तोरवा टीम थी जो अच्छा खेल रही थी और उसे आखिरी गेंद पर 6 रन चाहिए थे बॉलिंग पर चक्करभाटा के बॉलर आल राउंडर और बेस्ट मैन हक्कू बॉलिंग कर रहे थे और बैटिंग पर तोरवा टीम के उस समय के जहां तक मुझे याद है कप्तान थे रोबिन वाधवानी वह बैटिंग पर थे एक गेंद 6 रन चाहिए थे सबकी सासे अटकी हुई थी जो मैच देखने आए थे वह भी और जो मंच पर बैठे थे मुख्य अतिथि समाज के वरिष्ठ लोग महिला विंग के केंद्रीय पंचायत के वार्ड पंचायत के जितने भी अध्यक्ष पदाधिकारी थे सबकी सासे थमी हुई थी कि एक आखरी गैंद में क्या होगा , बिलासपुर जीतेगा , या चक्करभाटा, पर जैसे ही हक्कू ने बोलिंग की उधर रॉबिन ने लगाया सीधा छाट गेंद ऊपर उड़ते हुए बाउंड्री के पास जैसे पहुंचती चक्करभाटा के फील्डर ने कैच पकड़ लिया और पब्लिक अंदर घुस गई अब जिसने कैच पकड़ा उसका कहना था कि मैं बाउंड्री के अंदर केच पकड़ा है इसलिए वह आउट है और जो बैटिंग कर रहे थे उनका कहना है कि 6 है ओर उसने मैदान के बाहर जाकर कैच पकड़ा है इस बात का फैसला नहीं हो पा रहा था अंपायर भी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर इसका फैसला क्या करें क्योंकि पब्लिक अंदर आ गई तो अंपायर ने कहा हमने भी ठीक से नहीं देखा अब नजर तीसरे अंपायर पर थी जो की ऊपर मंचान पर बैठे थे जिनका नाम था जहां तक मुझे याद है अजय भीमनानी जो वर्तमान में अभी युवा विंग के अध्यक्ष भी हैं उनका कहना था कि वह भी ठीक से नहीं देख पाए क्योंकि भीड़ अंदर घुस गई बहुत हल्ला मचा बिलासपुर टिम का कहना था बिलासपुर जीती है फैसला नहीं हो पा रहा था की हकीकत क्या है कई लोग मोबाइल से वीडियो शूट किए थे वह दिखा रहे थे कि भैया देखो आप भी की यह कैच अंदर पकड़ा गया है बाहर नहीं पकड़ा गया है इसलिए चक्करभाटा टीम को विजय घोषित किया जाए पर इस भीड़ को और उग्र देखते हुए उस समय महिला विंग की सीनियर लीडर विनीता ने कहा कि इसका फैसला हम संत जी के ऊपर छोड़ते हैं वही फैसला करेंगे आप आपस में न लडे ,हम सभी आपस में भाई हैं और खेल को खेल की तरह ले दोनों टीमों ने अच्छा खेला है लेकिन अब कौन विजयी है और कौन हारा है इसका डिसाइड तो अंपायर भी नहीं कर पा रहे हैं इसलिए इसका फैसला हम संत के ऊपर छोड़ते हैं आप लोग शांत हो जाइए किसी तरह सबको शांत कराया गया यह बात सांई जी को पता चली अध्यक्ष पहुंचे बिलासपुर के अध्यक्ष को बुलाया गया सब ने आपस में चर्चा करके यह फैसला किया कि वह दोनों टीमों ने बहुत अच्छा खेला था और दोनों समाज की टीम है और अपने घर के बच्चे हैं इसलिए दोनों को ही संयुक्त विजेता घोषित किया जाए और दोनों टीमों के कप्तानों ने भी इस फैसले को स्वीकार किया दोनों पंचायत के अध्यक्ष ने भी इस फैसले को स्वीकार किया और खुशी-खुशी, कुछ समय बाद झुलेलाल मंगल धाम में दोनों टीमों को सभी खिलाड़ी को बुलाया गया और सांई जी ने पंचायत के अध्यक्ष के साथ मिलकर संयुक्त विजेता की ट्रॉफी दोनों टीमों को प्रदान की गई एक-एक यह बात तो उस समय खत्म हो गई पर कुछ साल बाद सूत्रों से हकीकत पता चली कि वह गेंद जो कैच पकड़ा गया था वह वाकई में six नहीं था बल्कि आउट था उसनें बाउंड्री के अंदर गेंद पकड़ी थी यह बाद मुझे भी पता चली तब तक कुछ साल बीत चुके थे और सब फैसला भी हो चुका था तो मैं इस बात को भूल गया

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पर आज इस बात को इसलिए याद कर रहा हूं क्योंकि उस मैच में हल्ला इसलिए मचा था मुझे जानकारी मिली कि बिलासपुर और चक्करभाटा के कुछ सट्टेबाजों का लाखों रुपए इस मैच में लगा था चक्करभाटा की टीम के ऊपर की वह विजई होगी इसलिए हल्ला ज्यादा मचा और उसके बाद फिर क्रिकेट में सीसी कैमरे लगाने शुरू किए गए थे, पर सट्टेबाजों की पहली नजर तब भी लगी रही और जैसे से समय बढ़ता गया इस खेल को अब बिजनेस का रूप ले लिया और आजकल तो यह टोटल बिजनेस बन चुका है जिस खेल को हमने अपने युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्लेटफार्म के रुप में चालू किया था आज एक धंधा बन चुका है बिजनेस जिस तरह आईपीएल मैच होते हैं उसी तरह इस सिंधी क्रिकेट लिंक टूर्नामेंट को भी आईपीएल की तरह बिजनेस ,व धंधा बना दिया है आईपीएल में खिलाड़ियों को खरीदा जाता है टीम बेची जाती है यहां पर भी वैसे ही किया जा रहा है और 5 जनवरी को यहां पर भी मैच टूर्नामेंट आरंभ हो चुका है जिससे पूर्व सभी खिलाड़ियों की बोली लगाई गई खरीदा गया टीम को भी बेचा गया यहां तक की जो दर्शक देखने आ रहे हैं चाय कॉफी पानी भी पैसे में बेचा जा रहा है उसको भी ठेका दे दिया गया विज्ञापनों के माध्यम से तो पैसा कमा रहे हैं खिलाड़ियों को बेचकर टीमों को बेचकर पैसा कमा रहे हैं और जिस उद्देश्य से शुरू किया गया था आज वह उद्देश्य खत्म हो चुका है बस टोटल सिर्फ पैसा पैसा कमाना रह गया है क्या यह उचित है?
आखिर इसके पीछे किसका दिमाग है जो खेल आरंभ किया गया था हमारे समाज के युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए उसे धंधा बना दिया गया? बिजनेस बना दिया गया पैसा कमाने का एक जरिया बना दिया गया? बड़े शर्म की बात है जहां तक मुझे सूत्रों से जानकारी मिल रही है इसके पीछे एक बड़े व्यक्ति का हाथ है जो पूरे समाज को कंट्रोल करके रखा है जो ईमानदार पत्रकार पर गलत आरोप लगाता है क्यों ,
क्योंकि उसकी ढोल की पोल खुलती है उसी का ही पूरा हाथ है क्योंकि जब भी कोई बात आती है तो युवा विंग के टीम से भी फंड से पैसा लिया जाता है काम अपने मतलब का करता है पैसा समाज का इस्तेमाल करता है इसलिए इसे बिजनेस का रूप दिया गया ताकि ज्यादा कमाई हो सके? और जो उद्देश्य है वह खत्म हो गया? इसीलिए आज यह टूर्नामेंट सट्टेबाजों की पहली पसंद बन गया है क्योंकि अब यह टोटल बिजनेस बन गया है?

(क्या समाज कभी इन लोगों को माफ करेगा ?)

जो युवाओं का भविष्य बिगाड़ रहे हैं?

पहले से ही हमारे युवा कुछ गलत राह पर चल पड़े हैं शराब जुआ सट्टे में और यह सब देखकर तो इन्हें और बढ़ावा मिलेगा क्या यह उचित?

क्या युवा विंग का गठन इसलिए किया गया था?

कि वह सिर्फ पैसे कमाने का जरिया बने?
चाहे क्रिकेट हो चाहे चैत्री चंद्र की शोभा यात्रा हो या डांडिया हो सबको सिर्फ पैसा कमाने का जरिया बना दिया गया है?
हम कहां जा रहे हैं हमारे युवाओं का भविष्य कहां जा रहा है क्या समाज के हमारे वरिष्ठ जन व विद्वानों एवं मुखियाओं ने सोचा है?

बस एक आदमी की हां में हां मिलाना और अपनी कुर्सी को बचाना क्या यह उचित है?

जैसा कि कहा जाता है समाज का अगवान मुखिया पिता के समान होता है तो क्या एक पिता अपनी औलाद को गलत रहा पर जाते देख रहा है उसे रोक नहीं रहा है क्या यह उचित है?

अगर अपने घर का अपना पुत्र हो तो क्या आप ऐसा करेंगे?

सवाल बहुत है पर इसका जवाब कोई देना नहीं चाहता है क्यों?

इन सारे सवालों के जवाब हम समाज के लोगों पर छोड़ते हैं और उन्हें एक बार जरुर कहना चाहेंगे की आने वाले चुनाव में अपना वोट देते समय इन सारी बातों का ध्यान जरूर रखें क्योंकि आपका एक वोट आपके परिवार का आपके समाज का भविष्य तय करेगा?

फैसला आपको करना है हम सदा सच के साथ हैं धर्म के साथ हैं