राष्ट्र की लाड़ली भाषा है हिंदी : डॉ.विजय पाटिल

।। राष्ट्र भाषा हिंदी।।
राष्ट्र की लाड़ली भाषा है हिंदी,
संस्कृत की कोख से जन्मी है हिंदी।
मृदु मनोहर शहद सी मीठी,
अनुपम अनमोल भाषा है हिंदी।।१

प्रवास में परिचय का माध्यम है हिंदी,
मित्रता की कड़ी जोड़ती है हिंदी।
साहित्य का अनंत भंडार है तुझमें,
गागर में सागर भाषा है हिंदी।।२

कबीर तुलसी मीरा दिनकर की जननी,
सुर के सागर की गागर है हिंदी।
माथे पर वरद हस्त मां शारदे का,
वंदनीय और पूजनीय है हिंदी।।३

भारत देश में असंख्य भाषाएं हैं,
हिंद के माथे की बिंदी है हिंदी।
मातृभाषा का सरताज हैं तुझ पर,

पर दिलों पर राज करती हैं हिंदी।।४

डॉ.विजय पाटिल
शिक्षक सह साहित्यकार
सेंधवा जिला बड़वानी, मप्र

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