पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ के नवम् पीठाधीश्वर संतश्री डॉ. युधिष्ठिरलाल जी महाराज के नेतृत्व में 84 तीर्थयात्रियों का जत्था 05 जनवरी 2025 से 15 जनवरी 2025 तक पाकिस्तान के सिंध प्रांत के विभिन्न पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा पर गया। ज्ञात हो कि पिछले 40 वर्षों से भारत और पाकिस्तान के बीच प्रोटोकॉल एग्रीमेंट के तहत शदाणी दरबार तीर्थ के माध्यम से ऐसी यात्राएं नियमित रूप से आयोजित की जाती रही हैं।

इस बार के जत्थे में देश के 06 राज्यों से 51 पुरुष और 34 महिलाएं शामिल थीं। ये श्रद्धालु रायपुर, अमरावती नागपुर, अहमदाबाद, पुणे, जयपुर, इंदौर, भोपाल, अजमेर और दिल्ली जैसे शहरों से आए थे। दरबार तीर्थ के सचिव श्री उदय शदाणी और श्री संतोष चंदवानी ने जानकारी दी कि यह जत्था अमृतसर से वाघा बॉर्डर क्रॉस कर लाहौर पहुंचा, जहां पाकिस्तान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और हिंदू काउंसिल ऑफ पाकिस्तान ने पूज्य संतश्री और जत्थे का भव्य स्वागत किया।
मुख्य पड़ाव और कार्यक्रम
हयात पिताफी (06-08 जनवरी):
सिंध प्रांत के हयात पिताफी में पूज्य शदाणी दरबार के आदिस्थान पर तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए। शुरुआत हवन और यज्ञ से हुई, जिसके बाद पूज्य संतश्री के सान्निध्य में भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया।
51 सामूहिक उपनयन संस्कार और 12 विवाह समारोह आयोजित किए गए। इसके साथ-साथ एक विशाल मेडिकल कैंप भी लगाया गया, जिससे हजारों लोगों को मुफ्त चिकित्सा सेवा मिली।

खानपुर महेर और साधुबेला (09-11 जनवरी):
जत्थे ने खानपुर महेर में परम पूजनीय माता साहिब हसी देवी जी के जन्मस्थान पर दर्शन किए और वहां भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना की गई।
इसके बाद साधुबेला तीर्थ में सिंधु नदी के किनारे श्रद्धालुओं ने विश्व शांति और मानवता की भलाई के लिए प्रार्थना की। साधुबेला में आयोजित विशेष कार्यक्रमों ने श्रद्धालुओं को गहराई से प्रभावित किया।

वेद रचना स्थल माथेलो साहिब और अन्य स्थान (12-15 जनवरी):
माथेलो साहिब में पूज्य संतश्री के सान्निध्य में भजन-कीर्तन, ज्ञान चर्चा और सामूहिक प्रार्थनाओं का आयोजन हुआ। जत्था ननकाना साहिब, मीरपुर माथेलो और पंजा साहिब जैसे पवित्र स्थलों पर भी गया, जहां श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा-अर्चना की।
जत्थे और संतश्री का विदाई समारोह
15 जनवरी 2025 को वाघा बॉर्डर पर विदाई का दृश्य अत्यंत भावुक था। पाकिस्तान के अधिकारियों, हिंदू काउंसिल और स्थानीय श्रद्धालुओं ने पूज्य संतश्री और जत्थे को विदाई दी। भक्तों की आंखों में नमी और दिलों में आभार का भाव था। इस दौरान पूज्य संतश्री ने कहा,
“यह यात्रा सीमाओं से परे प्रेम और शांति का प्रतीक है। जब दिल जुड़े होते हैं, तो भौगोलिक दूरियां महत्व नहीं रखतीं। यह हमारी साझा संस्कृति और मानवता का उत्सव है।“यह यात्रा केवल तीर्थयात्रा नहीं थी, बल्कि मानवता, प्रेम, और शांति का संदेश देने का प्रयास था। साधुबेला तीर्थ पर शदाणी घाट का निर्माण हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति के भीतर प्रेम और सेवा का दीप जलना चाहिए। जब हम दूसरों की भलाई के लिए आगे बढ़ते हैं, तभी सच्चा धर्म और आध्यात्म प्रकट होता है। याद रखें, जहां विश्वास और एकता होती है, वहां कोई भी सीमा बाधा नहीं बन सकती। जय शदाराम! धूणी वाले महादेव की जय!*
पूज्य संतश्री के इन प्रेरक शब्दों ने उपस्थित सभी लोगों को भावुक कर दिया। वाघा बॉर्डर “जय शदाराम” और “धूणी वाले महादेव” के नारों से गूंज उठा।

रायपुर एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत
16 जनवरी 2025 को दोपहर 1:45 बजे रायपुर एयरपोर्ट पर पूज्य संतश्री और जत्थे का भव्य स्वागत किया गया। हजारों श्रद्धालु, शदाणी सेवा मंडल और शदाणी युवा मंडल के सदस्य फूलों की मालाओं और जयकारों के साथ उपस्थित थे।