51 बटुकों का संत लाल दास जी के सानिध्य में हुआ जनेऊ( उपनयन ) संस्कार श्री झूलेलाल मंदिर चक्करभाटा में

परम पूजनीय बाबा गुरमुख दास साहेब जी की 25वीं वर्षी महोत्सव के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी श्री झूलेलाल मंदिर सिंधु अमर धाम आश्रम में संत लालदास जी के सानिध्य में 21 जनवरी को निशुल्क सामूहिक जनेऊ संस्कार हुआ
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह पूज्य बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रजवलित करके, भगवान झूलेलाल,बाबा गुरमुख दास साहेब जी की पूजा अर्चना की गई


इस अवसर पर पंडित पूरनलाल शर्मा जी के द्वारा विधि विधान के साथ 51 बटुकों का जनेऊ संस्कार कराया गया हवन कराया गया पूजा अर्चना की गई हवन में आहुतियां दी गई पहले के जमाने में किस तरह बालक भिंक्षा मांग कर गुरु को देते थे आज उसी तरह बटुकों से भिंक्षा मंगवाई गई 👦वह गुरु जी को अर्पण की गई जनेऊ संस्कार का मतलब व्यक्ति की आधी शादी हो जाना बराबर है बगैर जनेऊ संस्कार किये कोई भी व्यक्ति या,बालक हवन में आहुती नहीं दे सकता है अगर वैसा करता है तो उसका फल उसे नहीं मिलेगा जब तक जनेऊ -धारण नहीं कर लेता है जनेऊ धारण करने के बाद ही वह पूजा करने का अधिकारी होता है हवन में आहुती देने का अधिकारी होता है और जिसका लाभ उसे मिलता है जनेऊ का महत्व क्या है सनातन धर्म में हिंदू धर्म में जनेऊ, तिलक, और चोटी यह सनातन की पहचान है एक हिंदू की पहचान है

जनेऊ का महत्व इतना अधिक क्यों है जनेऊ के धागों में ब्रह्मा विष्णु महेश का वास होता है जानेऊ सिर्फ पीले रंग का सफद रंग का धागा नहीं है बल्कि यह पवित्र बंधन है जो इंसान को भगवान से जोड़ता है जनेऊ धारण करने के बाद क्या-क्या नियम है जो व्यक्ति को पालन करना होता है वह विधि विधान के साथ साथ पंडित जी ने बताया संत लाल दास जी के द्वारा प्रत्येक बच्चे को जनेऊ धारण करवाया गया वह आशीर्वाद दिया गया दोपहर 1:00 बजे से 2:00 बजे तक रवि रुपवानी अनिल पंजवानी म्यूजिकल पार्टी के द्वारा शानदार सिंधी लाडा की प्रस्तुति दी गई एक से बढ़कर एक सिंधी गीत भजन और लाडा गया जिसे सुनकर भक्तजन उपस्थित आए हुए सभी मेहमान झूम उठे कार्यक्रम के आखिर में संत लाल दास जी के द्वारा प्रत्येक बच्चे को पाखर पहनाकर प्रसाद देकर आशीर्वाद दिया सांई जी ने अपने अमृतवाणी में आशीष वचन में कहा कि विगत 6 वर्षों से बाबा गुरमुख दास साहेब जी के वर्षी महोत्सव पर झूलेलाल मंदिर में जनेऊ संस्कार का आयोजन किया जाता है


16 संस्कारों में से दसवां संस्कार है जनेऊ संस्कार, इंसान के जन्म से लेकर मरण तक 16 संस्कार होते हैं जिनको प्रत्येक व्यक्ति को उसका पालन करना होता है
इसका एक कारण और भी है जनेऊ संस्कार इसलिए भी कराया जाता है ताकि हमारे जो बच्चे हैं वह अपनी संस्कृति से अपने धर्म से जुड़े और अपनी संस्कृति को समझे जाने और जिस तरह आजकल देखा देखी में लोग फीलचुल दिखावे में खर्चा करते हैं उसे भी कहीं ना कहीं विराम लगे आज यहां पर 51 बटुकों ने जनेऊ संस्कार धारण किया जो छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश महाराष्ट्र उड़ीसा से आए थे गरीब से लेकर आमिर तक बच्चों ने आज यहां पर उपनयन संस्कार में शामिल हुए इसका महत्व और भी है कि यहां पर आने के बाद कोई भी छोटा बड़ा अमीर गरीब नहीं होता है सब एक समान होते हैं सब भगवान के भक्त होते हैं
ओर भेदभाव को मिटाना भी इसका एक कारण है हमारा तो यही कहना है कि हमारे समाज में सभी को मुंडन जनेऊ और विवाह अपने अपने इष्ट देव अपने भगवान के घर में मंदिर में सामूहिक रूप से जब होता है तो उसमें करना चाहिए इससे संत का तो आशीर्वाद मिलता ही मिलता है साथ में अपने इस्ट देव भगवान झूलेलाल का भी आशीर्वाद मिलता है और ऐसे पवित्र जगह में जब ऐसा आयोजन होते हैं तो साथ-साथ में सभी भगवान आकर शामिल होते हैं


आखिर में सांई जी के द्वारा पंडित पूरनलाल शर्मा जी वह स्वयंभू मंदिर मोह भाठा
के संत भी पहुंचे थे आज के कार्यक्रम में उनका भी वह अन्य दो पंडितों का स्वागत सत्कार और सम्मान किया गया आए हुए मेहमानों के द्वारा भी सांई जी का सम्मान और स्वागत किया गया
आए हुए सभी मेहमानों के लिए भक्तों के लिए आम भंडारा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया
पूज्य बहराणा साहब को ढोल बाजे के साथ मंदिर से लेकर तालाब पहुंचे यहां पर विधि विधान के साथ बहराणा साहब का विसर्जन किया गया वह अखंड ज्योत को परवान किया गया
आज के इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया घर बैठे हजारों की संख्या में लोगों ने आज के कार्यक्रम का आनंद लिया इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा इस पूरे कार्यक्रम को कवर करने के लिए हमर संगवारी से विजय दुसेजा विशेष तौर पर मंदिर पहुंचे वह पूरे कार्यक्रम को कवर किया