विजय की कलम
इतिहास गवाह है जैसे को तैसा जवाब जरूर मिलता है इंसान कितना ही क्यों ना तानाशाही , कर ले गलत काम कर ले अंत में उसकी सजा जरूर मिलती है आज पाकिस्तान का भी वही हाल है , 75 सालों से जो बीच बोया था आतंकवाद का भारत में लगातार आतंकवादी भेज कर बेगुनाहों कि जाने ले रहा हे और किस तरह वहां पर तानाशाही कर के लोगों का जीना हराम कर रखा है हिंदुओं, पर अल्पसंख्यक पर अत्याचार कर रहे हैं उसका तो हिसाब आखिर में देना पड़ेगा और जिस तरह उन्होंने सिंध ओर बलूचिस्तान के लोगों पर अत्याचार किया है और आज भी कर रहा हैं उसका हिसाब तो उन्हें ही देना पड़ेगा अब मगरमच्छ के आंसू रोने से कोई फायदा नहीं जिस बलूचिस्तान आर्मी ने पाकिस्तान की ट्रेन को हाईजैक किया है उन्होंने महिलाओं को बुजुर्गों को बच्चों को नहीं मारा है बल्कि उनके दुश्मन पुलिस और सेना है ,
ना कि आम जनता , इसलिए उसने उनको छोड़ दिया सिर्फ सेना और पुलिस वालों को ही उन्होंने बंधक बना के रखा और उसके बदले में उन्होंने कहा कि जो बेकसूर लोगों को वहां के सेना ने जबरदस्ती जेल में रखा है उन्हें छोड़ दिया जाए पर वहां की सेना ने नहीं माना उल्टा चीन के साथ मिलकर चीन के हाथों बुलिचस्तान को बेचने की तैयारी करके रखी थी और जितना जुलूम कर रही है और अन्य प्रदेश ,सिंध के अन्य शहरों में और पीओके में ,आज उसके पाप का घड़ा भर चुका हे अब उसका घड़ा फूटने जा रहा है पाकिस्तान के होंगे टुकड़े चार और आज उसे जवाब मिल रहा है तो मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है और झूठे आरोप भारत पर क्यों लगा रहा है यह उसकी करनी की सजा हे उसे मिल रही है जैसा करोगे वैसा फल मिलेगा, बोया बबुल तो आम कहां से पाओगे, आजादी के बाद 14 अगस्त को भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था उसमें जम्मू कश्मीर और बलूचिस्तान ,दो रियासत थी उनके राजाओं ने कहा था कि वह ना भारत में जाएंगे ना पाकिस्तान में जाएंगे पर पाकिस्तान की बुरी नजर ने उन्हें मजबूर कर दिया भारत की ओर जाने के लिए इसीलिए राजा हरि चद्र ने संदेश भिजवाया दिल्ली में कि वह भारत के साथ रहना चाहते हैं और यह बात पाकिस्तान को पता चल गई और उसने अपनी सेना को भेज कर कश्मीर का आधा हिस्सा पर कब्जा कर लिया जब तक भारत की सेना कश्मीर पहुंचती तब तक आधा हिस्सा जा चुका था और 1948 में भी जब बलूचिस्तान के शासको ने देखा कि पाकिस्तान की नियत खराब है उन्होंने भी संदेश भारत की तरफ भिजवाया की हम भारत में मिलाना चाहते हैं और जैसे यह बात पाकिस्तान को पता चली वहां के शासक जिन्ना ने अपनी सेना भेज कर बुलिचस्तान पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया जैसे चीन ने भारत के बड़े स्थान पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया , तिब्बत और अन्य कई छोटे-छोटे देश पर कब्जा करके रखा है और भारत की जमीन पर भी कब्जा करके रखा है वही काम पाकिस्तान ने किया था, आज बलूचिस्तान के लोग अपना हक मांग रहे हैं अपनी आजादी मांग रहे हैं और जो सही भी है दूसरे के घर पर कब्जा करके उन्हें लूटना मारना काटना कहां तक उचित है आखिर इसका जवाब तो मिलना जरूरी था आज उसे मिल रहा है अभी तो शुरुआत है अभी भी नहीं सुधरा पाकिस्तान तो उसके चार टुकड़े होने तय हैं भारत को भी चाहिए कि वह सिंध और बलूचिस्तान के लोगों का समर्थन करें क्योंकि वह हमारे ही लोग हैं हमारे भाई हैं बहुत जल्द पीओके भी भारत के पास आ जाएगा अब वक्त आ गया है कि देर ना की जाए पहले पीओके को अपने हाथ में लिया जाए भारत में मिलाया जाए फिर सिंध ओर बलूचिस्तान को आजाद कराया जाए जेसे बांग्लादेश को आजाद कराया था वक्त की पुकार यही है (संपादकीय)