रायपुर : क्या आप को मालूम है कि राजधानी में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेडियो का संग्रहालय है। लंदन के गेरी वेल्स, नेपाल के एक रेडियो प्रेमी के बाद बड़े ही गर्व की बात है तीसरा अपने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रावणभाटा में है। चौथे स्थान पर पाकिस्तान का एक रेडियो प्रेमी है।

रेडियो का अनोखा संग्रह
यहां पर 1940 से अब तक के 765 से ज्यादा छोटे-बड़े रेडियो को संग्रहित किया गया, जो कि चालू हालत में है, वहीँ इनके अलावा अन्य पुराने संगीत बंद वाद्य मिलाकर ढाई हजार से ज्यादा हो जायेंगे, इनके पास रिकार्ड प्लेयर भी चालू हालत में है। यह संग्रह भी राजधानी के एक रेडियो के दीवाने मनोहर डेंगवानी ने किया है। राजधानी के रावणभाटा क्षेत्र में रहने वाले मनोहर डेंगवानी का शौक भी काबिले तारीफ है। ऐसा शौक जो आज की दुनिया के लोगों से उन्हें अलग पहचान दे रहा है।
आज स्मार्ट फोन, ऑनलाइन रेडियो के दौर में भी जहां पर लोग रेडियो सेट को तकरीबन भूलते जा रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि रेडियो के दीवाने अब नहीं है। मनोहर ने इसी बात को सच कर दिया है। अपने दादाजी भीखम चंद्र व पिता मंगलदास डेंगवानी की आजादी के पहले से संजोकर रखी गई विरासत मनोहर ने तकरीबन 45 साल से संजो कर रखी है। वहीँ मनोहर डेंगवानी के पुत्र और अब उनके पोते भी रेडियो सुन रहे है, जिसमें 4 इंच से लेकर 4 फीट तक के रेडियो मौजूद हैं। खास बात यह है कि इनके पास एक ऐसा रेडियो भी है, जो अंग्रेजों के समय का है। इस रेडियो को मनोहर के दादाजी ने खरीदा था। इस रेडियो में आज भी लाहौर सहित अन्य जगहों के नाम लिखे हुये हैं। 1948 से यह रेडियो इनके परिवार के पास है। आज इस रेडियो को 5 पीढ़ी सुनते आ रही है। इतना ही नहीं एक रेडियो तो ऐसा भी मौजूद है, जिसे 1965 की दो फिल्मों में दिखाया गया है।
आज भी बजते हैं सभी रेडियो :
सबसे अहम बात यह है कि इनके संग्रह में रखे हुए सभी 765 रेडियो आज भी बजते हैं। इनके एक कमरे में सजे हैं और वो भी सभी चालू हालत में। मनोहर जी ने न केवल देश में ही नाम कमाया, बल्कि विदेशों में भी उनको ख्याति मिल चुकी है।
पेशे से तो मनोहर टाइल्स व्यापारी हैं, लेकिन दुकान से वे इस अपने शौक के लिए समय निकाल ही लेते हैं। मनोहर ने बताया कि उनके दादा भारत-पाकिस्तान पार्टिशन के पहले पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में रहते थे। जब बंटवारा हुआ, उस समय वहां से उनके पिताजी वॉल्व वाला रेडियो सेट लेकर चले थे। जो अब तक चल रहा है।

देश-विदेश की हस्तियां पहुंची देखने :
रेडियो कलेक्शन देखने के लिए श्रीलंका के रेडियो सिलोन से मनोहर के घर आ चुके हैं। इसके अलावा वॉइस ऑफ अमेरिका के प्रतिनिधि विजय लक्ष्मी डिसेरम ने भी कलेक्शन को देखा और उन्हें सम्मानित किया है।
मिले हैं सैंकड़ों पुरस्कार
राजभवन में राज्यपाल और कई संस्थाओं की ओर से भी उन्हें इस अद्भुत संग्रह के लिए सम्मान मिल चुका है। इसके अलावा विदेशों से भी उनके कलेक्शन को देखने आई प्रसिद्ध हस्तियों ने उनका सम्मान किया है। इसके अलावा मध्यप्रदेश सरकार व दिल्ली सरकार ने भी उन्हें सम्मानित किया है। इसके अलावा प्रदेश के रेडियो स्त्रोता संघ ने उनके कलेक्शन को राष्ट्रपति सम्मान व गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराने के लिए भेजा है।
45 साल से सहेज रहे हैं रेडियो :
टाइल्स व्यापारी मनोहर की उम्र 63 साल है। 45 साल से वे रेडियो का संग्रह कर रहे हैं। वे कहते हैं कि विभाजन के समय तो मैं पैदा नहीं हुआ था। लेकिन उस समय की खबरों के चलते दादाजी को रेडियो से विशेष लगाव था। पिताजी भी रेडियो के दीवाने थे। बचपन से प्रेरणा मिली और मैंने संग्रह शुरू कर दिया। मैं भी जब घर में रहता हूं रेडियो ही सुनता रहता हूं।