


बिलासपुर उस्लापुर:- ब्रह्मा कुमारी सेवाकेन्द्र में चल रहे “बाल व्यक्तित्व विकास शिविर” समर कैम्प के सातवें दिन क्लासिकल नृत्य ‘श्री डांस एकैडिमि’ की सानू भट्ट बहन जी के द्वारा बच्चों को सिखाया जा रहा है। प्रेरणादायी गीत – ‘जैसा सोचोगे तुम, वैसा बन जाओगे….’ बी के गरिमा बहन एवं बी के खुशी बहन ने बच्चों को सिखाया। शिविर में बच्चों को प्रतिदिन कहानियों के माध्यम से नैतिक मूल्यों की शिक्षाएँ दी जा रही है।
हंस की ड्राइंग बनाते हुए बी के छाया दीदी जी (ब्रह्माकुमारी, सेवाकेन्द्र संचालिका उस्लापुर), ने हंस की विशेषता बताई कि जिस प्रकार हंस, दूध और पानी से दूध ग्रहण करता है, मोती और कंकड़ से मोती चुगता है ऐसे ही हमें अपनी बुद्धि हंस की तरह बनानी है अच्छी बातों को सुन कर धारण करना है एवं बुरी बातों पर ध्यान नहीं देना हैं। उन्होंने बताया कि निरंतर मेडिटेशन करने से हमारी बुद्धि हंस जैसी बनती है और हंस जैसी बुद्धि वाला सदैव हसमुख होता है। दीदी जी ने ड्राइंग पेंटिंग के द्वारा हाथी, स्माइली फेस, नेचर (जंगल, बादल, रैंबो) आदि भी बनाना सिखाया। तत्पश्चात बच्चों को पैरासुट मेडिटेशन के द्वारा मन से उड़ना एवं हल्के पन का अनुभव कराया।
मुस्कान के विषय में बताते हुए बी के विनोद भाई जी ने कहा कि मुस्कान सेहतमंद और सुखी जीवन का मंत्र है। सदैव मुस्कुराने से शक्ति का अहसास होता है और मस्तिस्क भी सक्रिय रहता है। उन्होंने कहा कि प्रसनन्ता प्रत्येक बीमारी की रामबान दवाई है। विटामिन की गोलियों और ताकत की सैकड़ों दवाइयों से कहीं बेहतर है – मुस्कुराना। मुस्कुराने का हमारे शरीर की सभी प्रनालियों पर सकारातमक प्रभाव पड़ता है जैसे, श्वसन प्रणाली, अंतः स्त्राव प्रणाली, रक्त वाहन प्रणाली आदि। उन्होंने बताया कि 20 सेकंड की अच्छी हंसी, 3 मिनट नाव चलाने के व्यायाम के बराबर है। उन्होंने आगे बताया कि आपकी मुस्कुराहट दूर दूर तक खुशी की किरणें बिखेरती है यह केवल बाहरी मुस्कुराहट से नही होगा, तब होगा जब हम भीतर से खुश होंगे। इसके लिए छोटी-छोटी बातों से मन भारी न करें सदा मुस्कुराइये। सच्चे दिल से, निश्वार्थ भाव से, निर्दोष भाव से मुस्कुराइये ताकि हमारा तन और मन स्वस्थ रहे।
लक्ष्य के विषय में बी के गरिमा बहन ने बच्चों को बताया कि अनेक लोगों के असफल होने का कारण – लक्ष्य निर्धारित न होना है। उन्होंने कहा कि बारिश के पानी को लक्ष्य ना दिया जाये तो उसका कोई उपयोग नहीं। लेकिन अगर उसी पानी को बांध बनाकर नियंत्रित किया जाये तो बिजली बनाने और सिंचाई के काम में ले सकते हैं। उसी प्रकार जीवन में लक्ष्य बनाने से जीवन में लक्ष्य प्रमाण लक्षण आते जाते हैं। समय व्यर्थ नहीं जाता। निर्णय शक्ति बढ़ती है। अपने सपनो को साकार करने की योग्यता आती है। जीवन में ऊँचे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए छोटे लक्ष्य बनाकर उसे पाने का अभ्यास करते रहना चाहिये इससे हमारे आत्मविश्वास मे वृद्धि होती है। ततःश्चात् लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उन्होंने लक्ष्य के साथ विज्युलाईजेशन टेकनिक से मेडिटेशन कराया।
बी के अनामिका बहन ने बताया कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए एकाग्रता का विशेष महत्व है। एकाग्रता अर्थात मन और बुद्धि की स्थिरता। हर कार्य को एकाग्रता से करने से ही कार्य मे सफलता मिलती है विशेष पढाई को एकाग्र होकर करने से कम समय और कम मेहनत में बहुत होशियार हो सकते हैं। आप कितना समय पढ़ाई करते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन आप कितना समय एकाग्र होकर पढ़ते हैं यह महत्वपूर्ण है। एकाग्रता से ग्रहण शक्ति, स्मरण शक्ति, कार्यकुशलता बढ़ती है। लक्ष्य की ओर अग्रसर होते हैं। शोरगुल में भी कार्य कर सकते हैं। अभ्यास में रुचि बढ़ती है। आगे उन्होंने एकाग्रता बढ़ाने की विधि बताई- सवेरे उठकर राजयोगा मेडिटेशन करें, ओम की ध्वनि करें, प्राणायाम करें, अच्छी किताबें पढ़ें, टी वी से बचें, व्यर्थ बातों में समय न गवाएं आदि।
आत्म रक्षा (सेल्फ डिफेंस) के लिए टाई कांडो ट्रेनर भ्राता कान्हा साहू जी ने बच्चों को कई प्रकार के पंच मारना सिखाया।
ईश्वरीय सेवा में
बी के छाया बहन
ब्रह्माकुमारीज उसलापुर