सिन्धी समाज और युवा शक्त़ि की भूमिका


सिन्धी समाज के कार्यक्रमों में सिन्धी समाज की युवा पीढ़ी की भागीदारी बहुत ही कम देखने को मिलती है।
आज के दौर में आधुनिक पाश्च़ात्य जीवन शैली के चलते सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी तमाम प्रकार की सामाजिक बुराईयों से पीड़ित हो रही है। सिन्धी समाज के बच्चों एवं आने वाली युवा पीढ़ी को समाज में व्याप्त इन तमाम प्रकार की सामाजिक बुराईयों एवं अन्य सभी प्रकार के व्यसनों से दूर रखने तथा सिन्धी समाज की आने वाली युवा पीढ़ी को अपने सिन्धी समाज की बोली सभ्यता एवं संस्कृति से अवगत कराने एवं बच्चों के ज्ञानवर्धन बाबत् आज़ के समय की महती आवश्यकता है कि हम अपनी युवा पीढ़ी को समाजसेवा के क्षेत्र में आगे आने हेतु प्रेरित करें।
हमारे पूर्वजों की अपेक्षा आज़ के वर्तमान दौर में सिन्धी समाज के युवा उच्च शिक्षित है और समाज का युवा वर्ग यदि अपनी ऊर्जा, आधुनिक तकनीक तथा एक नई सोच के साथ जब समाजसेवा के क्षेत्र में अपना योगदान देगा तो निश्च़ित रुप से युवा जोश और बुजुर्गों के होश से सिन्धी समाज एक नई इबारत लिखने में कामयाब होगा।
आज़ के वर्तमान दौर में जब सिन्धी समाज में बहुत सारी समस्याएं चुनौती बनकर हम आप सबके समक्ष विकराल रुप धारण करके खड़ी हो, कुरीतियां और अन्य बहुत सारे व्यसनों की ओर जब युवा पीढ़ी आकर्षित हो रही हो तो ऐसे समय में यह जरुरी हो जाता है कि सिन्धी समाज का युवा अगर चाहें तो अपने कैरियर के साथ-साथ समाजसेवा में भी अपनी हिस्सेदारी निभा सकते हैं। जरुरी नही है कि आपकी समाजसेवा दिनभर हो या कई घंटों की हो। अगर आप अपने व्यस्त कार्यक्रम में से एक-दो घंटे भी जनसेवा के लिए देते हैं, तो निश्च़ित रुप से यही बहुत बड़ी बात होगी। क्योंकि युवा जब एक-दो घंटे कहीं खर्च करते हैं तो सभी युवाओं के कुल मिलाकर यह बहुत सारे घंटे हो जाते हैं और समाजसेवा के बड़े- बड़े काम आसानी से संपन्ऩ हो जाते हैं।
इसी सोच और दृष्टिकोण की आवश्यकता वर्तमान समय में सिन्धी समाज को है क्योंकि सिन्धी समाज एक व्यापारी समाज है और यदि सिन्धी समाज का युवा वर्ग अपने व्यापार में से यदि एक-दो घंटे भी समाज को समर्पित करने को तैयार हो जाये तो सिन्धी समाज में समाजसेवा हेतु युवाओं की एक बड़ी फौज खड़ी की जा सकती है।
हमारे समक्ष ऐसे बहुत सारे समाजों के संगठन कार्यरत है जो जनसंख्या की दृष्टि से हमारे सिन्धी समाज से कम होने के बावजूद भी बहुत सारे सामाजिक कार्यों में नित नये आयाम स्थापित कर रहे है।
समाजसेवा करने की कोई उम्र निर्धारित नहीं होती और यह सोच तो बिल्कुल ही गैरवाजिब ही लगती है कि सेवानिवृत्ति के बाद हम समाजसेवा करेंगे। सिन्धी समाज के युवा जो कि सिन्धी समाज की धरोहर है उन सभी को सिन्धियत की आन बान और शान को बढ़ाने की दिशा में हमेशा अपने भागीरथी प्रयासों को हमेशा जारी रखने की दिशा में महती भूमिका निभाने की नितांत आवश्यकता है।
सिन्धी समाज के युवाओं से करबद्ध निवेदन है कि आप सभी आगे आकर समाजसेवा में प्रतिदिन कुछ समय अवश्य देवें एवं अपने जीवन को एक नई दिशा देने की कोशिश कीजिए।
इन्द्र कुमार गोधवानी..रायपुर..✍️ 9425514255