सावन” आषाढ़ के बाद और भाद्रपद के पहले का महीना …

रायपुर :-
सावन का महीना अपने आप स्वयं में एक अनोखी विशेषता लिए हुए है।
बचपन की यादों को कौन भूल सकता है भला। यही तो जीवन का वह समय होता है, जब हम खुल कर अपने जीवन का आनंद लेते हैं। इसके बाद तो जैसे-जैसे उम्र बढती जाती है वैसे-वैसे जीवन का आनन्द कम होता जाता है। फिर कुछ बाकी रह जाता है तो बस बचपन की यादें। सावन के महीने की बारिश भी बचपन का एक ऐसा हिस्सा है, जो हर सावन में हमें याद आता है और हम फिर से बचपन की यादों में डूब जाते हैं।
सावन का महीना सभी के लिए राहत का महीना होता है। अप्रैल से जून तक की भीषण गर्मी से मनुष्य और जीव दोनों त्रस्त हो जाते है, पेड़-पौधे, नदी, नहर, तालाब और कुएं आदि सुख जाते हैं और कई स्थानों पर तो सूखे जैसे हालात बन जाते है जो जन जीवन को बदहाल कर देता है। सावन के महीने में होने वाली तेज़ बारिश पृथ्वी के इस बदहाल वातावरण में एक नई जान फूंक देती है, जिससे कि हर तरफ हरियाली छा जाती है और मौसम ठंडा हो जाता है। सावन के महीने में वायु की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है और हर तरफ खुशी की एक नई लहर दिखने लगती है।
सावन का नाम सुनते ही जेहन में रिमझिम रिमझिम बारिश और हरियाली छा जाती है। यह प्रकृति को तो सराबोर करता ही है साथ ही मन को भी भिगो देता है। मन हरा-भरा हो जाता है। आलता (महावर) से हथेलियां सजने लगती हैं। डालियों पर उमंग के झूले पड़ जाते हैं।
सावन मास हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह माह भगवान शिव को समर्पित होता है और विशेष रुप से सावन के “पहले सोमवार” का दिन अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और शिवजी का अभिषेक करने का विधान है। इसे ‘पहला सोमवारी’ भी कहा जाता है।
सावन माह को भक्ति, हरियाली और प्रेम का प्रतीक माना गया है। इस दौरान महादेव की पूजा करना बेहद शुभ होता है। इस माह में आने वाले सोमवार को व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि कुंवारी कन्याओं द्वारा इस उपवास को रखने से भगवान शिव जैसा जीवनसाथी और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्रावण मास का महीना, जिसे उत्तर भारतीय राज्यों में सावन महीने के रुप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। अपने धार्मिक महत्व और रीति-रिवाजों के लिए जाना जाने वाला यह महीना भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार संसार को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान जिस समय सर्वोच्च देवता भगवान शिव ने विषपान किया था और उससे उनका कंठ नीला पड़ गया था और वे नीलकंठ कहलाए। विष की ज्वाला को शांत करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक किया था। जिससे ज्वाला शांत हुई थी। इससे वे प्रसन्न हुए। पुराणों में वर्णित समुद्र मंथन सावन के पवित्र महीने में ही हुआ था। तभी से शिव भक्त सावन के महीने में भगवान शिव को पवित्र नदी गंगा से जल लाकर अर्पित करते हैं।
देख नजारा मौसम का,
ये मन को कितना भाता है..
जब सावन खुद महादेव को
जल चढ़ाने आता है..!
श्रावण मास की वर्षा, भगवान शिव के विषपान के कारण गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती है। शायद इसीलिए श्रावण माह, भगवान शिव का सबसे अधिक प्रिय मास माना जाता है। हिंदू पंचांग में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखे गए हैं। उसी प्रकार श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है।
सावन मनभावन लगता है क्योंकि सावन के आने से मन में उमंग भर आती है तथा सावन की बूँदों की ध्वनि से उसे अपने प्रभु के आगमन की अनूभूति होती है। नन्ही-नन्ही बूँदों के बरसने से उन्हें शीतलता महसूस होती है।
आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु में जब हवा में नमी की मात्र अधिक होती है उस समय शरीर में वात (वायु) का प्रकोप रहता है जिसे नियंत्रण में लाने के लिए सावन (वर्षा ऋतु) में “दही, छाछ, दूध, हरी पत्तेदार सब्जियों” का सेवन वर्जित माना गया है क्योंकि यह वात (वायु) वर्धक होते है, इसलिए इन्हें सावन में नही खाया जाता है। अपितु इन सभी खाद्य पदार्थों को महादेव पर अर्पित किया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि “महादेव” हर प्रकार के विष को ग्रहण कर लेते है। इसलिए सावन में इन खाद्य पदार्थों का सेवन नही किया जाना चाहिए।
सावन के महीने का महत्व प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती धरती लोक पर निवास करते हैं। यह महीना भक्ति के महीने के साथ ही जीवन का भी महीना है, क्योंकि सावन का महीना केवल भक्ति के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है। बल्कि इस महीने में कई महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार भी पड़़ते हैं। यह भी एक कारण है जिसके लिए हिन्दू धर्म में सावन महीने की मान्यता इतनी अधिक है। श्रावण महीने में मनाये जाने वाले मुख्य हिन्दू त्यौहारों में रक्षाबंधन, नाग पंचमी और हरियाली तीज है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव सावन महीने की पूर्णिमा के 7 दिन के बाद अष्टमी के दिन मनाया जाता है।
सावन का महीना किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सावन के महीने में किसान अपनी कई प्रकार की नई फसल अनाज, सब्जी और फूल, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, सूरजमुखी और कई प्रकार की सब्जी आदि की बुआई सावन के महीने में करते है और प्रकृति भी सावन महीने में नए पेड़-पौधों को जन्म देती है। सावन का यह महीना मनुष्य, पशु-पक्षी सबके लिए खुशहाल मौसम लेकर आता है।
ऋतुओं के पन्ने पलट जाने से
प्रकृति का सावन हरा होगा.
हमारे मन का सावन तो आप सभी के
स्नेह व अपनेपन से ही हरा होगा..!
उसको निरंतर बनाये रखिये
श्रावण मास के पावन अवसर पर आप सभी स्नेहीजनों को कोटि-कोटि प्रणाम..वंदन..अभिनंदन…🙏
संकलन एवँ साभार प्रस्तुति…✍️इन्दू गोधवानी रायपुर 9425514255