भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration – PCA) के फैसले को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने इसे अवैध और गैर-बाध्यकारी करार देते हुए कहा कि यह कोर्ट 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन करता है, और भारत ने इसे कभी मान्यता नहीं दी। यह फैसला जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों से संबंधित था। भारत का कहना है कि ये परियोजनाएं संधि के अनुरूप ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ तकनीक पर आधारित हैं। भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि को निलंबित कर दिया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत का रुख है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, वह संधि के दायित्वों को नहीं मानेगा।