सूरजपुर/नगर पंचायत जरही।
अश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत के अवसर पर नगर पंचायत जरही का डुमरिया छठ घाट आस्था का केंद्र बना रहा। संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए सैकड़ों माताएँ और बहनें निर्जला व्रत रखकर सुबह से ही घाट पर जुटीं। परंतु आस्था के इस पर्व पर घाट की दुर्दशा देखकर महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा।

पूजा के बीच गंदगी का अंबार
व्रती महिलाओं ने स्नान-पूजन के दौरान बताया कि डुमरिया घाट पर चारों ओर गंदगी का ढेर था। कई जगह शराब और बीयर की खाली बोतलें बिखरी पड़ी थीं। कचरे की बदबू और गंदगी के बीच किसी तरह उन्होंने अपने-अपने पूजा-पाठ पूरे किए। श्रद्धालुओं का कहना था कि ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा गया।
नगर पंचायत पर गंभीर सवाल
महिलाओं और ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि नगर पंचायत जरही प्रशासन ने घोर लापरवाही बरती है। जब पहले से ज्ञात था कि आज सैकड़ों महिलाएँ घाट पर व्रत करेंगे, तो सफाई क्यों नहीं कराई गई? जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि वादों में नगर को साफ-सुथरा रखने की बात करते हैं, पर सबसे अहम पर्व पर ही डुमरिया घाट को साफ कराना जरूरी नहीं समझा।
महिलाओं का बयान
“देश को यहीं के कोयले से रोशन किया जाता है, लेकिन हमारे घाट पर सफाई तक नहीं हो सकी। यह शर्मनाक है।” – व्रती महिला
“गंदगी के बीच पूजा करना पड़ा, प्रशासन को तनिक भी संवेदना नहीं है।” – दूसरी महिला श्रद्धालु
“अगर अगले पर्व तक सफाई की व्यवस्था नहीं हुई तो आने वाला समय में येसे जनप्रतिनिधि का मजबूरन बहिष्कार करेंगे।” जरही कालोनी की महिलाएँ व ग्रामीण बोले।
आस्था पर चोट, जनाक्रोश गहराया
श्रद्धालुओं का कहना था कि मातृत्व और संतान सुख के इस पर्व पर घाट की दुर्दशा ने पूरे नगर पंचायत की कार्यशैली को उजागर कर दिया है। महिलाओं ने कहा कि वे तो आस्था से बंधी थीं, इसलिए गंदगी के बीच भी पूजा संपन्न किया, लेकिन आने वाले दिनों में यदि घाट की साफ-सफाई नहीं की गई तो जिम्मेदारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।