सिख धर्म के नवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर छत्तीसगढ़ में शहीदी नगर कीर्तन यात्रा का आगमन

सिख धर्म के नवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत शताब्दी के उपलक्ष्य में असम से प्रारंभ हुई शहीदी नगर कीर्तन यात्रा का छत्तीसगढ़ में भव्य स्वागत की तैयारियाँ जोरों पर हैं।

यह शहीदी यात्रा 17 सितंबर को छत्तीसगढ़ की धरती पर प्रवेश करेगी। सुबह 10 बजे यह यात्रा कवर्धा और बेमेतरा होते हुए बिलासपुर पहुंचेगी, जहां रात्रि विश्राम होगा।
18 सितंबर को यह यात्रा बिलासपुर से आरंभ होकर पाली और कटघोरा मार्ग से होते हुए रात को कोरबा में ठहरेगी।
17 सितंबर को कवर्धा बेमेतरा होते हुए मार्ग दयालबंद गुरुद्वारा विश्राम बिलासपुर करी । बिलासपुर सदर बाजार करोना चौक में पास इस ऐतिहासिक यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। बिलासपुर दयालबंद गुरुद्वारा के विश्राम करके 18 सितंबर को नगर भ्रमण करते हुए पाली कटघोरा का के लिए निकली।

नवंबर में विशेष आयोजन

इस शताब्दी वर्ष के अंतर्गत नवंबर माह में बड़े पैमाने पर विशेष आयोजन प्रस्तावित हैं। इनमें जिला व प्रदेश स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के सभी 33 जिलों से 9वीं से 12वीं तक के लगभग 20,000 विद्यार्थी भाग लेंगे।

18 सितंबर को बिलासपुर गुरबानी कीर्तन भव्य स्वागत किया गया समागम आयोजित होगा। इसमें विशेष रूप से एक जैसे परिधान में बच्चे गुरबानी कीर्तन प्रस्तुत करते रहे, जो आयोजन का प्रमुख आकर्षण रहा।

गुरुद्वारा प्रबंधक महिला अध्यक्ष श्रीमती मीना सलूजा एवं समाजसेवी चंचल सलूजा के नेतृत्व ऐतिहासिक यात्रा का भव्य स्वागत किया गया सदर बाजार करोना चौक में किया गया निर्मलजीत छाबड़ा, इंद्रजीत सलूजा, किरण अरोड़ा, रिंकी सलूजा सुदेश सलूजा लवली लूथरा लवली लवली, राजा उपवेजा बलवीर सिंह सलूजा सुरजीत सलूजा प्रीतम सिंह सलूजा बंटी लोगनि चीकू दुआसमितियों के अध्यक्षों सहित विभिन्न सिख संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी विशेष रूप से उपस्थित रहे। साथ ही समाजसेवी तथा के विभिन्न गुरुद्वारों और संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए।

गौरतलब है कि गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस शहीदी शताब्दी पर आयोजित हो रही नगर कीर्तन यात्रा और कार्यक्रमों का उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदान और शिक्षाओं से अवगत कराना है।

छत्तीसगढ़ की धरती पर होने जा रहा यह आयोजन न केवल सिख समाज बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व का अवसर है।