( और विसर्जन किया गया)
बिलासपुर :- हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार अश्वनी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तिथि तक पूर्वजों की आत्म शांति के लिए विधि विधान पूर्वक श्राद्ध करने की परंपरा है अश्वनी मास की अमावस्या आज के दिन सर्व पितृ विसर्जन करने का विधान है आज किए गए श्रद्ध से पितृगण प्रसंन्न होकर जीवन में सुख सौभाग्य और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं सनातन धर्म में हिंदू मान्यता के अनुसार मुख्य रूप से 5 ऋण माने गए हैं प्रथम देव ऋण ,द्वितीय ऋषिऋण, तृतीय पितृऋण,
चतुर्थ मातृ ऋण और पंचम मानव ऋण से मुक्ति पाने के लिए समय-समय पर विधि विधान पूर्वक धार्मिक अनुष्ठान करते रहना चाहिए


15 दिन पूर्व पितृपक्ष आरंभ हुआ था इन 15 दिनों में धार्मिक सत्संग, भागवत कथा का आयोजन किया गया जगह-जगह पूजन पाठ किया गया दान पुण्य के कार्य किए गए और अपने पूर्वजों की याद में कई अनुष्ठान भी करवाए गए आज पितृपक्ष के अंतिम दिवस पर पितरों को विदाई दी गई एवं विसर्जन किया गया इसी कड़ी में मनोहर टॉकीज के पीछे सिंधी कॉलोनी जूना बिलासपुर में भी समाज के लोगों ने अपने-अपने घरों के बाहर गोबर से लेपा करके चौमुखी दिपक बना प्रज्वलित कर
चावल का अखों पा कर (सिंधी समाज का पारम्परिक) अपने पूर्वजों से अपनी भुलचुक गलती के लिए क्षमा मांगी व खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगा




समाज के लोगों ने हर घर के बाहर जा जाकर सभी पितरों के लिए जो दीपक जलाए गए थे उन पर मत्था टेका आशीर्वाद लिया आखिर में चौमुखी दीपक को लेकर अरपा नदी के किनारे पहुंचे






अरपा मैया में विधि विधान के साथ उनका विसर्जन किया गया भगवान झूलेलाल से प्रार्थना की गई कि हमारे पूर्वजों को हमारे पितृ को मोक्ष मिले, शांति मिले व घर में खुशहाली आए इसके लिए पल्लव पाया गया वह अरदास की गई