विशाखापटनम की लंबे समय से सक्रिय हिंदी साहित्य संस्था सृजन ने विविध विधाओं की रचनाओं पर स आज अपने 162वें कार्यक्रम के रूप में साहित्य चर्चा का ऑनलाइन आयोजन किया। सृजन के रचनाकारों ने अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की जिस पर सदस्यों द्वारा विस्तृत चर्चा हुई। इस मासिक साहित्य कार्यक्रम में डॉ टी महादेव राव सृजन ने संस्था की गतिविधियों और क्रियाशीलता पर अपनी बातें रखी।
कार्यक्रम का आरंभ सृजन के वरिष्ठ सदस्य एल चिरंजीवी राव के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने बताया सृजन न केवल साहित्य के प्रति प्रतिबद्ध संस्था है बल्कि नए और पुराने रचनाकारों को साहित्य सृजन के लिए निरंतर प्रेरित करता रहता है। हिंदीतर क्षेत्र में हिंदी साहित्य की अलख जगाने को प्रतिबद्ध यह संस्था लंबे समय से इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही है। कार्यक्रम का संचालन नीरव कुमार वर्मा अध्यक्ष सृजन ने सफलतापूर्वक किया। आरंभ में कार्यक्रम की शुरुआत हुई सरस्वती वंदना से जिसे लिखा और प्रस्तुत किया एल चिरंजीवी राव ने।
साहित्य चर्चा में डॉ के अनीता ने तेलुगू से अनूदित कहानी सुनाई “मेहनत का फल”, जिसमें मानवीय गुणों से भरपूर मनुष्य के व्यवहार, संकल्प और मेहनत की बात प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। एल चिरंजीव राव ने अपने लेख सॉनेट काव्य विधा पर अपने विचार एक लेख के माध्यम से रखा। शेक्स्पियर से वर्तमान हिंदी में भी लिखी जा रही चौदह पंक्तियों की रचना सॉनेट पर अच्छी जानकारी थी। मीना गुप्ता ने अपनी कहानी नया भारत में गाँव से विमुख होते युवा वर्ग और उससे उत्पन्न स्थितियों का भावुक परिस्थितियों का विवरण प्रस्तुत किया। डॉ मधुबाला कुशवाहा ने हमेशा खुश रहने और मुसकुराते रहने की सकारात्मक बातों को रेखांकित किया अपनी कविता मुसकुराना ज़रूरी है में। भारती शर्मा की कविता सांस में शिव तांडव की भांति विविध ध्वनियों से प्रभावित मनुष्य के जीव वायु सांस पर अपनी बात बताई। अवसाद कहानी में सीमा वर्मा ने आस पड़ोस के पात्रों से मानवीय सम्बन्धों की मर्मस्पर्शी और प्रभावी कथा प्रस्तुत की जिसमें संतान से दूर माँ का अवसाद, अकेलापन, फिर से बेटों को पा जानी की लालसा सशक्त थी। एसवीआर नायुडु की कविता मेरी प्रेमिका में धन, स्वर्ण के लिए लालायित प्रेमिका पर हास्य था। समय आगे निकाल जाता है और यादें रह जाती हैं उस समय के धरोहर के रूप में। इसे केंदीय भाव बनाकर अपनी कविता यादें पढ़ा पारस नाथ यादव ने। डॉ टी महादेव राव ने अपनी व्यंग्य रचना कुत्तापन और आदमीयत में आज के हालातों में मानवमूलयों के ह्रास और जानवरों के प्रति प्रेम पर समाज पर कटाक्ष पेश किया। नीरव वर्मा ने अपनी कविता मृगतृष्णा में जीवन के अर्ध सत्यों, मन और शब्दों के बीच की कठिन राह तथा स्वयं को तलाशते एकाकी मनुष्य की मनोवेदना बखूबी प्रस्तुत किया,
इस कार्यक्रम में डॉ शकुंतला बेहुरा ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। सारी रचनाओं पर चर्चा हुई और सभी ने इस विविध विधाओं की साहित्य चर्चा को उपयोगी, प्रेरणास्पद और लेखन के लिए उत्प्रेरक बताया। कार्यक्रम का समापन सृजन के सचिव डॉ टी महादेव राव के कार्यक्रम की संक्षेपिका प्रस्तुत करने और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
डॉ टी महादेव राव, सचिव सृजन , विशाखापटनम