रीवा शहर का “द्वितीय सिंधी फिल्म महाउत्सव”

*सिन्धु यूथ विंग मना रहा

रीवा / नया दौर/
विगत कुछ वर्ष पहले भारत का पहला सिंधी फिल्म महोत्सव रीवा में देने वाली सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था सिंधु यूथ विंग प्रस्तुत कर रही है विंध्य का द्वितीय सिंधी फिल्म महाउत्सव, जो रीवा शहर के सिरमौर चौराहा में स्थित समदड़िया गोल्ड मल्टीप्लेक्स में भव्य, ऐतिहासिक अद्भुत समारोह के रूप में संपन्न होगा।
यह न केवल मनोरंजन का त्यौहार होगा, बल्कि भावनात्मक, शिक्षाप्रद और समाज को सकारात्मक दिशा देने वाली बड़े बैनर तले बनी धर्म, संस्कृति से भरपूर तीन सिंधी फिल्मों का संगम भी।
समाज को सकारात्मक संदेश देने वाली हर फिल्म में छुपा है कला का जादू और भावनाओं का समंदर तीन बड़ी बजट वाली फिल्में न केवल सिंधियत का गर्व मनाएगी बल्कि सामाजिक जागरूकता नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिकता की गहराई भी दिखाएंगी।
पहली फिल्म
युगपुरुष साईं टेऊँराम
एक दीपक की तरह यह फिल्म अपने गहरे आध्यात्मिक संदेशों से अंधकार को हटाती है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि एक बच्चे की सच्ची भक्ति, तपस्या और गुरु का नाम जपकर संसार की भलाई के लिए समर्पण समाज में सकारात्मक मूल्य कैसे पैदा कर सकता है। IMDB रेटिंग 9.7/10 इसकी गुणवत्ता का प्रमाण है।
दूसरी फिल्म
वरदान 3 (मीठड़ी अम्मा)
एक मार्मिक सामाजिक फिल्म जो बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए IAS IPS जैसी सेवाओं में जागरूकता फैलाती है। यह फिल्म युवाओं में नैतिक मूल्यों को जीवित रखने और मातृभूमि के प्रति सम्मान का संदेश देती है।

यह सच कर दिखाती है कि जब संस्कार और मार्गदर्शन सही नहीं मिलता, तो युवा जीवन में भटक सकते हैं, और पैसा पाने की लालसा में अपने सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहर से दूर जा सकते हैं।
तीसरी फिल्म
डेवालो
यह सुपरहिट सिंधी फिल्म परिवार और समाज के आर्थिक विवेक की महत्वपूर्ण सीख देती है। यह फिल्म बताती है कि जिम्मेदारी और आर्थिक समझदारी के बिना कर्ज और गैरजरूरी खर्च परिवार को और व्यापार को कैसे टूटने पर मजबूर कर देते हैं।
सिंधु यूथ विंग की संस्था विनयपूर्वक विंध्य क्षेत्र के सिंधी समाज के प्रत्येक बड़े बुजुर्ग और युवा से आग्रह करती है कि इस अनुपम अवसर पर अपनी उपस्थिति देकर समाज के सकारात्मक बदलाव और संस्कृति के संरक्षण का भागीदार बनें।
यह सिर्फ फिल्में नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक चेतना, हमारी संस्कार यात्रा और हमारी सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक हैं। इस महोत्सव में सिंधियत के वह सजीव रंग देखने को मिलेंगे जो सिंधियत की धड़कनों में बसा हुआ है।