सड़क दुर्घटना पीड़ितों के प्रति दी गई मौन श्रद्धांजलि एवं प्रभावितों को दिया गया शांति दान
आईजी मुनव्वर खुर्शीद व मनोहर भंडारी गुरुजी सहित अनेक गणमान्य नागरिकों की रही उपस्थिति
सुरक्षा सेवा में लगे सिपाहियों का किया गया सम्मान
बिलासपुर, 17 नवंबर, 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ट्रांसपोर्ट विंग द्वारा बिलासपुर के शिव-अनुराग भवन में सड़क दुर्घटना पीड़ितों की स्मृति में विश्व यादगार दिवस के अवसर पर आयोजित ‘सुहाना सफर’ कार्यक्रम में, मुख्य वक्ता बी.के. कविता दीदी ने जीवन यात्रा को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा दी।


मुंबई से पधारीं और ट्रांसपोर्ट एंड ट्रैवल विंग की नेशनल कोऑर्डिनेटर बी.के. कविता दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि लोग भले कहते हैं कि “जिंदगी एक सफर है सुहाना, यहां कल क्या हो? किसने जाना?”*, लेकिन चूंकि भविष्य में परमात्मा द्वारा *एक नई दुनिया की स्थापना* का दिव्य कर्तव्य किया जा रहा है, हम अनुभव करते हैं कि “यहां कल क्या हो, यह हमने जाना”।
मन के विचारों के ट्रैफिक से होती है डबल दुर्घटना…
उन्होंने कहा कि जब मन के विचारों का ट्रैफिक बहुत बढ़ जाता है, तब दुर्घटनाएं होती हैं—न केवल सड़कों पर, बल्कि शब्दों के माध्यम से भी, जिससे रिश्तों में दूरियां आती हैं।
‘नो नेटवर्क ज़ोन’ की अनिवार्यता:
बी.के. कविता दीदी ने आज की टेक्नोलॉजी पर अत्यधिक निर्भरता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें साधनों का उपयोग करना चाहिए, न कि साधन हमारा उपयोग करें। इसके लिए उन्होंने सभी को प्रतिदिन एक ‘नो नेटवर्क ज़ोन’ बनाने की सलाह दी। यह समय 10 मिनट से 60 मिनट तक का हो सकता है, जब हम इन साधनों से दूर रहें।


सच्चे योगी के पाँच लक्षण:
दीदी जी ने सच्चे योगी के पाँच लक्षण भी स्पष्ट किए, जिनके माध्यम से जीवन को योगी जीवन बनाया जा सकता है: संयम (Discipline), संतोष, सदाचार, सद्व्यवहार और समर्पण भाव।
उन्होंने प्रेरणा दी कि हमें अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाना है, ताकि हम अपने भाग्य के निर्माता बन सकें और कल एक श्रेष्ठ भारत का निर्माण कर सकें। यह “सुहाना सफर” हमें दुर्घटना पीड़ितों के लिए शांति का दान देने और प्रेरणादायक जीवन जीने की ओर ले जाता है।
कार्यक्रम में पुलिस महानिरीक्षक, रेलवे पुलिस, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर के मुनव्वर खुर्शीद साहेब, रायपुर के एडिशनल कलेक्टर हर्ष पाठक, महायोग पीठधारा के आचार्य मनोहर भंडारी गुरुजी सहित अनेक गणमान्य नागरिक शामिल थे।
रेलवे पुलिस महानिरीक्षक मुनववर खुर्शीद साहिब जी ने अपने उद्बोधन में वर्दीधारी कर्मचारियों की 24 घंटे की सेवा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल रोज़ 2 करोड़ 40 लाख लोगों का सफर कराती है। सड़क सुरक्षा के संबंध में संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि “सेफ ड्राइविंग लेन ड्राइविंग इज सेव ड्राइविंग” और हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि घर पर कोई हमारा इंतजार कर रहा है। उन्होंने आरपीएफ द्वारा चलाए जा रहे अनेक समाज सेवा अभियानों का उल्लेख किया।
उन्होंने संस्था की प्रगति को सराहते हुए कहा—
“जानबे मंजिल थी मगर लोग आते गए, लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया।”
उन्होंने संस्था के महिला-नेतृत्व को इसकी विशिष्टता बताते हुए कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा महिला-प्रधान आध्यात्मिक संगठन है। छत्तीसगढ़ में भी संस्था तनाव-रहित और मूल्य-आधारित जीवन के संदेश को प्रभावी रूप से पहुँचा रही है।
अंत में उन्होंने मंच से सभी वर्दीधारी साथियों को तनाव कम करने और आध्यात्मिकता के लिए समय निकालने की प्रेरणा दी।
मुख्य आकर्षण और सम्मान समारोह:
मौन श्रद्धांजलि: कार्यक्रम का एक अत्यंत भावपूर्ण हिस्सा सड़क दुर्घटना में पीड़ित व्यक्तियों और दिवंगत आत्माओं के लिए दीप प्रज्वलन और मौन श्रद्धांजलि (शांति दान) अर्पित करना था।
सम्मान समारोह: समाज सेवा में कार्यरत यातायात पुलिस, रेलवे सुरक्षा बल और भूतपूर्व सैनिकों को मोमेंटो और वरदान कार्ड देकर सम्मानित किया गया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां: कुमारी अनन्या बहन द्वारा स्वागत नृत्य (“स्वागत है दिल से आपका…”) और कुमारी गौरी बहन द्वारा ‘हमसफर सफर में खो गए किधर’ थीम गीत पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया गया, जो दुर्घटना पीड़ितों को समर्पित था।



आयोजन का समापन:
कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने किया। दीदी ने कहा कि ट्रैफिक लाइट का आध्यात्मिक संदेश ऐसा है, जैसे जीवन के हाईवे पर GPS लगाना। जैसे GPS हमें सही दिशा दिखाता है और रुकावटों पर रुकने का संकेत देता है, वैसे ही रेड, येलो और ग्रीन सिग्नल हमें आंतरिक रूप से ‘रिलैक्स’ होने, अपनी सच्ची पहचान (‘योर आइडेंटिटी’) याद रखने, और अंततः परमात्मा (‘गॉड रियलाइजेशन’) से जुड़ने का मार्ग दिखाते हैं, जिससे हमारा सफर सुरक्षित और सुहाना हो जाता है।
समापन सभी को ईश्वरीय प्रसाद वितरण और परमात्म स्मृति के साथ हुआ, जिसमें यह भाव व्यक्त किया गया कि “सफर कितना भी मुश्किल हो प्रभु आसान कर देंगे”