विदेश में भी मिली भारतीय संस्कृति और परमात्मा की मदद – ब्रह्माकुमारी कविता दीदी

ब्रह्माकुमारीज़, प्रभु-दर्शन भवन टिकरापारा में साझा किये ईश्वरीय मदद के अनुभव

बिलासपुर टिकरापारा, 19 नवंबर 2025-
ब्रह्माकुमारीज़, प्रभु-दर्शन भवन टिकरापारा में आयोजित विशेष आध्यात्मिक कार्यक्रम में मुंबई से पधारी वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बी.के. कविता दीदी ने सेवाओं में “परमात्मा की अदृश्य सहायता” और विदेशों में भारतीय आध्यात्मिक पहचान की महिमा पर प्रेरक प्रकाश डाला।

विदेशों में भी बीके का लक्ष्मीनारायण बैज’ बना सम्मान, सुरक्षा और संस्कृति का दूत

कविता दीदी जी ने बताया कि अनेक अंतरराष्ट्रीय सेवाओं के दौरान भाषा, पहचान और संसाधनों की कमी होने के बावजूद केवल “ओम शांति” और “ब्रह्माकुमारीज़ का समर्पित बैज – जिसमें संस्था द्वारा दैवीय गुणों की धारणा के लक्ष्य के लिए बने लक्ष्मी नारायण के चित्र”* ने भारतीय संस्कृति की पहचान बनकर सहज सहयोग दिलाया।
उन्होंने कहा कि विदेशी भूमि पर भी भारतीयों के प्रति सम्मान और आध्यात्मिकता के प्रति आकर्षण अद्भुत रूप से अनुभव होता है।

ईश्वरीय सेवाओं में परमात्मा की अदृश्य व्यवस्था

कई देशों में रोड सेफ्टी सेवा प्रस्तुत करते समय मानव स्तर पर जहाँ साधन सीमित दिखे, वहीं ईश्वरीय सहयोग समय पर प्रकट होता गया। मॉरीशियस में सरकारी सहयोग का सहज मिलना, ब्राजील की कॉन्फ्रेंस में भाषा की चुनौती को हल करने हेतु एक बहन का केवल अनुवाद के लिए पहुँचना – इन अनुभवों को उन्होंने परमात्मा की विशेष व्यवस्था बतायी।

सेवा का अर्थ—जिम्मेदारी और योग का बल
समापन में कविता दीदी ने कहा कि जब सेवाधारी का संकल्प पवित्र हो और साथ परमात्मा का हो, तो हर मार्ग सुगम होता जाता है। सेवा में प्राप्त ईश्वरीय सहयोग को ही उन्होंने भारतीय संस्कृति की वास्तविक आध्यात्मिक शक्ति बताया।

इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी के साथ राज किशोर नगर, नरियारा, कोतमीसुनार, बलौदा एवं टिकरापारा की समर्पित बहनें व संस्था के अन्य सदस्य उपस्थित रहे जिन्हें अंत में दीदी ने ईश्वरीय प्रसाद व ब्लेसिंग कार्ड दिया।