अमरावती (महाराष्ट्र) : आज सनातनी सिंधु समाज की एकजुटता के लिए बहुत आवश्यक है कि समाज का एक अपना सिंन्धु सनातनी ग्रन्थ हो। जिस ग्रन्थ को हम अपना ग्रन्थ कह सके। क्योकि आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। इसलिये सनातनी-सन्तो महापुरुषों की सनातनी-वाणी का संकलन कर एक सनातनी-ग्रन्थ प्रकाशित किया जाएगा। उक्त आशय की जानकारी अमरावती (महा) में दो दिवसीय सन्त सम्मेलन के दौरान आयोजित “विशाल सनातन धर्म सभा” के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम महाराज जी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में दी। महामंडलेश्वर जी ने आगे बताया कि आज सिंधु समाज को अन्य मजहबो और पन्थो द्वारा अनेक प्रकार के आकर्षण और प्रलोभन से सनातन संस्कृति और परम्पराओ से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। सिंधी समाज में इतने बड़े स्तर पर हो रहा धर्मान्तरण चिंता का विषय है। परन्तु सिंधु सन्त समाज ने अब पूरी तरह कमर कस ली है। और उसी दिशा में ये बहुत बड़ा कदम लिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि अखिल भारतीय सिंधु सन्त समाज ट्रस्ट द्वारा एकमत होकर “श्री गुरु सनातन आदि ग्रन्थ” नामक ग्रन्थ का संकलन करने का निर्णय लिया है। इस ग्रन्थ की मर्यादाएं सनातनी परम्परानुसार निर्धारित की जाएगी। और वो ग्रन्थ हमारे सिंधु मन्दिरों और अन्य सनातनी धर्म स्थानों में सनातनी स्वरूप के साथ विराजमान होगा। सद्गुरु कबीर, सन्त रैदास, भक्तिमति मीराबाई, महापुरुष सूरदास, सन्त कंवरराम, सन्त पहलाज राम, सामी साहिब जैसे सदैव मानव उत्थान और परमार्थ चिंतन में रहने वाले सन्तो महापुरुषों और भक्तो की वाणी इस ग्रन्थ में संकलित होगी, अतः इस ग्रन्थ में किसी भी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के भेदभाव के बिना सम्पूर्ण मानव जाति के लिए संदेश होगा।
विशाल भक्त समुदाय की उपस्थिति में इतनी महत्वपूर्ण घोषणा के अलावा उन्होंने बताया कि हमारा समाज अनेक मजहबो, पन्थो मत-मतान्तरों में बंट जाने के कारण हमारी सामाजिक एकता कमजोर हो गयी है। ये सनातनी ग्रन्थ हमारी सामाजिक एकता को मजबूत करेगा। महामंडलेश्वर जी ने बताया कि संस्था के निर्णय अनुसार सभी प्रान्तों के अनेक सिंधी धर्म स्थानो से श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के स्वरूप ससम्मान पंजाबी गुरुद्वारों में सौपे जा रहे है। आगामी 10 अप्रैल तक देश के अन्य सभी सिंधी टिकाणो से श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी ससम्मान पंजाबी गुरुद्वारों में सौप दिए जाएंगे। उसके पश्चात महामंत्री स्वामी हंसदास उदासी जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तरीय “पंचायत समन्वय समितियां” बनाई जाएगी। ये समितियां नगरों की पूज्य सिंधी पंचायतो से सम्पर्क करेगी और संस्था द्वारा धर्म और संस्कृति प्रचार-प्रसार, सामाजिक एकजुटता, धर्मान्तरण रोकने और सिंन्धु संस्कृति के रीति रिवाजों और त्योहारों के प्रति समाज को जागरूक करने हेतु बनाई गई योजनाओं की जानकारी देगी और उस पर मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करेगी। उसके बाद प्रांतीय स्तर और रास्ट्रीय स्तर पर धर्म सभाएं आयोजित की जाएगी। धर्म मंच पर उपस्थित अन्य महापुरुषों ने भी अपने आशीर्वचन प्रदान किये। अंत मे इस सन्त सम्मेलन के आयोजक पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ के पीठाधीश्वर डॉ स्वामी युधिष्ठर लाल जी ने सभा के अंत मे कहा कि आज इस धर्म सभा से सिंधी समाज को प्राप्त होने वाले नवीन ग्रन्थ और सामाजिक एकता का जो मन्त्र हमे प्राप्त हुआ है, आप सभी को ज्यादा से ज्यादा उसका प्रसार करना है। विशाल सनातन धर्म सभा मे राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी खिम्यादास जी, संरक्षक स्वामी श्यामदास जी, महामंत्री स्वामी हंसदास जी, कोषाध्यक्ष स्वामी स्वरूपदास जी, सलाहकार स्वामी अर्जुनदास जी, महंत हनुमान राम जी, स्वामी माधवदास जी सहित देश के अनेक नगरों से पधारे सन्त महापुरुष और भारी तादाद में भक्त भक्तगण सम्मिलित हुए।