बिलासपुर /चकरभाठा –::परम पूजनीय श्री महंत बाबा मेहर शाह साहिब जी की12 वा मूर्ति स्थापना दिवस बाबा मेहर शाह दरबार चकरभाटा में हर्षोल्लास के साथ दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम के प्रथम दिन राजीम छत्तीसगढ़ से पधारे
भजन मंडली के द्वारा संध्या 6:00 से 8:00 सुंदरकांड का पाठ किया गया पाठ समापन के बाद प्रसाद वितरण किया गया दुसरे दिन प्रातः 8:00 से 10:00 श्री सुखमणि साहब का पाठ किया गया 10:00 से 12:00 तक रीवा मध्य प्रदेश से पधारे
प्रकाश जगियासी के द्वारा संगीत मय भजनों की शानदार प्रस्तुति दी जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे दोपहर 12:00 से 1:00 संत जनों की अमृतवाणी से सुनकर साध संगत निहाल हुई बाबा आनंद राम दरबार के भाई साहब एकादशी वाले बलराम भैया जी के द्वारा भक्ति भरा भजन गाया गया वह भक्त जनों को भक्ति से जुड़ने के लिए भजन के माध्यम से बताया अब जिस घड़ी का इंतजार था सबको
वह घड़ी आ गई बाबा पुरुषोत्तम दास जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में सत्संग का सबको रसपान कराया सत्संग में उन्होंने कई प्रसंग सुनाएं
आजकल लोग झूठ ऐसे बोलते हैं जैसे नदी में बाढ़ आ गई हो हद तो तब हो जाती है जब झूठ बोलने के लिए वह अपने माता पिता और गुरु का सहारा लेते हैं
ऐसा ही एक व्यक्ति अपने गुरु का फोटो घर में लगाकर रोज पूजा पाठ करता था एक दिन वह गुरु के पास गया और कहा गुरु जी मुझे आपका एक और फोटो चाहिए गुरु ने कहा तुम्हें तो मैंने फोटो दिया है भक्त ने कहा वह मैंने घर में रखा घर में पूजा करता हूं एक फोटो और चाहिए दुकान में रख कर पूजा करने के लिए
ग्राहक बहुत आते हैं ओर बहुत परेशान करते हैं जितना दाम बताता हूं और मोलभाव करते हैं जब आपका फोटो रहेगा तो मैं बोल सकता हूं आप की कसम खा रहा हूं इसमें कुछ नहीं कमा रहा हूं और सस्ते में दे रहा हूं
गुरु यह बात सुनकर हैरान रह गया
आजकल कुछ लोग भी ऐसा ही करने लगे हैं
झुठ का सहारा और उधार की जिंदगी ज्यादा दिन नहीं चलती है
सच की नाव में बैठकर यह भवसागर पार कर सकते हो
दूसरी कथा थी एक संत था जो सिर्फ सच बोलने वालों के घर में ही जाकर खाना खाता था उसका यह नियम था 1 दिन वह रानी गांव पहुंचा और वहां पता किया कि इस पूरे गांव में सच्चा व्यक्ति कौन है जो सच बोलता हो एक गांव वाले ने बताया कि यहां पर विजय नाम का एक सच्चा व्यक्ति है जो हमेशा सच बोलता है और बड़ा पैसे वाला भी है बड़ा घर उसी का ही है वह संत उसके घर पहुंचे विजय बहुत खुश हुआ कि संत मेरे घर पहुंचे हैं संत का सत्कार किया और जलपान की व्यवस्था की संत जैसे ही बैठे भोजन करने के लिए तो वह सोचने लगे कि पहले मैं परीक्षा ले लेता हूं कि यह सच्चा है कि नहीं फिर मैं भोजन करूंगा नहीं तो मेरा नियम टूट जाएगा संत ने विजय से पूछा कि मुझे तीन बातें बताओ विजय ने कहा बताइए संत जी ने पूछा तुम्हारे कितने बच्चे हैं विजय
ने कहा मेरा एक ही बेटा है संत ने सोचा यह तो बड़ा झूठा निकला मैंने तो बाहर में सुना है उसके तीन बच्चे हैं फिर संत ने पूछा तुम्हारी उम्र कितनी है विजय ने कहा 20 साल है संत ने देखा यह तो 70 साल से ऊपर लग रहा है
बडा झूठा है
फिर संत ने कहा तुम्हारे पास धन दौलत कितनी है मकान कितने हैं दुकान कितने हैं विजय ने कहा मेरे पास तीन मकान है
संत उठ खड़ा हुआ और जाने लगा ऐसे झुठे के घर में भोजन नहीं कर सकता जो झूठ हि झूठ बोलता हो और तुम झूठे हो विजय ने संत के पांव पकड़ लिए और कहा संत जी मुझे 2 मिनट बोलने का मौका दीजिए मैं साबित कर लूंगा कि मैं झूठा नहीं हूं मैंने जो कहा है वह सत्य कहा है संत ने कहा ठीक है साबित करो विजय ने अपने नौकर को कहा जाओ मेरे बड़े बेटे को बुलाकर लाओ नौकर गया और कहा भैया बाबूजी बुला रहे हैं बड़े बेटे ने कहा बाबूजी को काम धाम नहीं है सारा दिन मुझे परेशान करते हैं जाकर बोल दो मैं नहीं हूं रूम में
नौकर ने आकर सच बताया विजय ने कहा ठीक है मेरे दूसरे बेटे को बुलाकर लाओ नौकर फिर गया दूसरे बेटे को बुलाने उसने भी वही जवाब दिया नौकर फिर वापस आकर सच बताया विजय ने कहा कोई बात नहीं तुम जाओ मेंरे तीसरे बेटे को बुलाओ तीसरा बेटा गोविंद था
नोकर ने गोविंद को कहा बाबूजी बुला रहे हैं गोविंद ने कहा बाबूजी बुला रहे हैं तुरंत सारा काम छोड़कर
आ गया ओर कहा बताइए क्या काम है बाबूजी
विजय ने संत से कहा मेरे तीन बेटे हैं पर आपने देखा ना दो बेटे मेरी बात सुनते ही नहीं है मेरा कहना मानते ही नहीं है तो वह मेरे काहे के बेटे हैं यही मेरा एक बेटा है जो हमेशा मेरी सेवा करता है और मेरी एक बात सुन कर खड़ा रहता है अच्छा ओर सच्चा बेटा मेरा यही है एक संत का अब दूसरी बात बताओ कि तुम्हारे पास तीन मकान कैसे हैं विजय ने कहा मेरे पास प्रॉपर्टी बहुत है धन दौलत भी बहुत है यह सच है पर मैं उसे अपना नहीं मानता हूं
मेरा सिर्फ एक दवा खाना है और एक भगवान का मंदिर है और एक अनाज की कोठी है इन तीनों को ही मैं अपना मानता हूं बाकी को मैं अपना नहीं मानता हू
संत ने कहा अब तीसरी बात बताओ कि तुम्हारी उम्र 20 साल कैसे हैं विजय ने कहा मेरी उम्र 70 साल के ऊपर है पर 20 साल पहले मैंने गुरु का नाम लिया है वह भगवान का सिमरन करना नाम जपना शुरू किया है तो मैं इसीलिए अपनी उम्र 20 साल बताइए 20 साल से ही भक्ति करनी शुरू की है इससे पहले जो मैंने कुछ नहीं किया उसे मैं अपनी उम्र नहीं मानता हूं संत विजय की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुए वह उनके घर का भोजन ग्रहण किया ओर आशीर्वाद देकर आगे बढ़े बाबा पुरुषोत्तम दास जी ने अपनी अमृतवाणी में कई भजन भी गाए हैं भगवान को पाना है वह इस जीवन को सवारना है तो राम नाम का जाप करो कृष्णा का नाम लो यह
शरीर मिट्टी में बना है और मिट्टी में ही मिल जाएगा अंत में राम नाम का ही नाम काम आएगा अंत समय पछताने से अच्छा है कि अभी से ही राम नाम का नाम जप करे
तेरी सारी जिंदगी संवर जाएगी धन दौलत घर परिवार जमीन ज्यादा अंत समय में कोई साथ नहीं जाएगा कोई काम नहीं आएगा सिर्फ प्रभु का नाम ही साथ जाएगा वही काम आएगा जीने के लिए धन दौलत जरूरी है पर असली जीवन तब है जब आप प्रभु का नाम लेकर सच बोलकर कार्य करोगे सच की राह पर चलोगे धर्म के कार्य करोगे सबका भला सोचोगे भला करोगे तभी इस जीवन का उद्धार होगा अच्छे कर्म करोगे तो अगले जन्म में भी अच्छा जीवन मिलेगा कार्यक्रम के आखिर में भोग साहब लगाया गया आरती की गई केक काटा गया प्रसाद वितरण किया गया बाबा मेहर शाह दरबार सेवा समिति के द्वारा संत जनों का स्वागत व सत्कार किया गया सम्मान किया गया वह प्रभु का प्रसाद आम भंडारा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में वाधवानी परिवार व नागदेव परिवार के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा