भगवान झूलेलाल ने दो रूप में लीला की एक बालपन में और दूसरा वृद्ध रूप में….संत लाल साई

बिलासपुर //सतना एम.पी –::– बाबा मेहर शाह दरबार सिंधी कॉलोनी में तीन दिवसीय भगवान झूलेलाल साईं जी की संपूर्ण संगीतमय कथा का विशेष आयोजन स्वामी पुरुषोत्तम दास जी के मार्गदर्शन में किया गया
सतना जिले में पहली बार भगवान झूलेलाल साईं जी की संपूर्ण कथा दिनांक 27 से 29 मई तक रोजाना श्याम 6:00 से 9:00 बजे तक दरबार प्रांगण में परम श्रद्धेय संत श्री लाल दास जी के श्री मुख से अमृतवाणी में श्री झूलेलाल कथा का भक्तों को रसपान कराया
कथा की शुरूआत भगवान झूलेलाल जी की मूर्ति पर पुष्प अर्पण कर दीप प्रज्वलित करके आरती की गई संत लाल साई जी ने तीन दिवसीय कथा का शुभारंभ करते हुए आए हुए सभी भक्त जनों को बहुत-बहुत बधाइयां दि ओर शुभकामनाएं दी
कहा कि इस पावन धरती में इस पावन जगह पर पावन अवसर पर आप सभी भक्त जन भगवान झूलेलाल की कथा का रसपान करने आए हैं जो बड़ी खुशी की बात है और प्रथम बार आप की नगरी में भगवान झूलेलाल जी की कथा का आयोजन किया जा रहा है आज तक भगवान झूलेलाल जी की जीतनी कथाएं हुई हैं
या सुनी हैं उनमें कुछ न कुछ उसमें ऐसी बातें जरूर है जो लोगों को पता नहीं थी पर इस बार संतलाल साई जी के मुख से अमृतवाणी में जो झूलेलाल कथा भक्तों ने सुनी उसका रस पान किया वह अलग ही थी उस कथा में कई बातें थी जो हमने आज तक नहीं सुनी थी भगवान झूलेलाल के ” आवरण से लेकर अन्तर्ध्यान तक उन्होंने कैसे भक्तों का उद्धार किया और दुष्टों का संघार किया वह मृरग बादशाह को सद मार्ग पर ले कर आए. कैसे अपने भाइयों को भी सत्य की राह पर लेकर आए ऐसी बातें थी जो आज तक हमने सुनी नहीं थी इस कथा के माध्यम से हमें पता चला और आज तक जितने भी भगवान के अवतार हुए हैं उनमें भगवान झूलेलाल जी का अवतार एक अलग ही था भगवान झूलेलाल वरुण देव के अवतार हैं वरुण देव भगवान विष्णु जी के अवतार हैं कई ऐसे प्रसंग व ऐसी बातें सुनने को मिली इस कथा के माध्यम से जानने को मिली सभी भक्तजन भावविभोर हो गए भगवान झूलेलाल ने दो रूप में अपनी लीलाएं की एक बालपन के रूप में और दूसरी वृद्ध के रूप में जब साईं जी ने अपनी अमृतवाणी में कथा का रसपान भक्तों को करा रहे थे ऐसा लग रहा था कि मानो हम सिंध पहुंच गए हो और सारी घटनाएं हमारे सामने घट रही हो भगवान झूलेलाल ओर भगवान कृष्ण में कई समानताएं है इसका भी एक-एक बारीकी से विस्तार से बताया और कहा कि अपने घरों में दो फोटो या दो मूर्ति अवश्य रखें एक भगवान श्री कृष्ण की और दूसरी भगवान झूलेलाल की वैसे तो हर भगवान की फोटो होनी चाहिए क्योंकि हम हिंदू हैं हिंदू धर्म में सभी भगवानों को हम पूजते हैं मानते हैं पर कम से कम भगवान झूलेलाल भगवान कृष्ण की फोटो या मूर्ति को जरूर होनी चाहिए दूसरे दिन कथा के पूर्व सतना की नगरी में भगवान झूलेलाल जमकर बरसे जो गर्मी से लोग परेशान थे
और मौसम को ठंडक में बदल दिया मेरे भक्तों को कोई तकलीफ ना हो जब-जब जहां-जहां भगवान झूलेलाल की कथा होती है या भगवान झूलेलाल का चालिहा के सत्संग होता है तब तब यह देखा गया है कोई भी मौसम हो उस समय वर्षा जरूर होती है भगवान झूलेलाल जी का अवतरण 950 में हुआ उन्होंने इस धरती में लगभग 12 वर्ष ही अपनी लीलाएं करके अंतर्ध्यान हो गए 750 में जब सिंध के आखिरी सम्राट राजा दाहिर सेन ने बलिदान दिया उसके बाद लगभग 200 साल के बाद सिंध में अत्याचार करने वाला राजा आया भगवान झूलेलाल चाहते तो राजा मृरक शाह को 1 सेकंड में खत्म कर सकते थे या पूरी कौम को हिंदू धर्म में मिला सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि कोई भी भगवान अन्य धर्म के व्यक्ति को अपने धर्म में मिलाने का काम नहीं करता है बल्कि उसे सदमार्ग दिखाने का काम करता है भगवान झूलेलाल ने भी मृरक शाह बादशाह को सद मार्ग दिखाया भगवान झूलेलाल ने अनेक बालपन में लिलाए की भगवान झूलेलाल जी को मिठी ताहयरी का भोग क्यों लगाया जाता है और कोहर का भी भोग क्यों लगाया जाता है चंद्र उत्सव क्यों मनाया जाता है जल की पूजा क्यों की जाती है भगवान झूलेलाल जब अंतर धयान हुए तो संत पूगर को कौन सी ऐसी 7 वस्तुएं दे गए भगवान झूलेलाल के कितने भाई थे ऐसी बहुत सारी बातें थी जो कथा के माध्यम से भक्तों को पता चली सतना के निवासी धन्य हो गए भगवान झूलेलाल जी की कथा का रसपान करके इस कथा को सुनने के लिए सतना के अलावा आसपास के कई शहरों से भी लोग पहुंचे बड़ी संख्या में
इस कथा को कवर करने के लिए हमर संगवारी के प्रधान संपादक विजय दुसेजा बिलासपुर से सतना विशेष रुप से गए थे और उन्होंने पूरी कथा का रसपान किया
तीन दिवसीय कथा का 29 तारीख को रात्रि 11:00 बजे संपन्न हुई इस अवसर पर बाबा पुरुषोत्तम दास जी ने संतलाल साई जी का सम्मान किया व कहा कि हम धन्य हो गए आपके इस अमृतवाणी से भगवान झूलेलाल की कथा का रसपान करके
संतलाल साईं जी के द्वारा भी बाबा पुरुषोत्तम दास जी का सम्मान किया और कहा बड़ी खुशी हुई हमें भी 3 दिन तक यहां पर सतना में भगवान झूलेलाल जी की कथा का रसपान भक्तों को करा कर
सभी भक्तों का और आपका जो प्यार और सनेह मिला हैं हमें
उसे हमेशा याद रखेंगे भगवान झूलेलाल की कृपा आप सभी पर हमेशा बनी रहेविजय दुसेजा की रिपोर्ट