जेल अभिरक्षा में दूसरी मौत, फिर से न्यायिक जाँच कमिटी गठित, परिजनों ने सौंपा आई जी को ज्ञापन।

चांपा : घटना का विवरण इस प्रकार है चांपा हनुमान चौक निवासी नितेश वीरानी का मित्र संतोष देवांगन द्वारा एक जमीन के सौदे का इकरारनामा में नितेश वीरानी बतौर गवाह हस्ताक्षर किया था और उसमे रामलाल थवाईत जो की शिकायतकर्ता अनीता देवांगन के अनुसार गोरेलाल तेंदुलकर जो की असली जमीन मालिक है बनकर जमीन का दस्तावेज तैयार करवाया और अनीता के पुत्र शिवेंद्र देवांगन के नाम पर मुख्तियारनामा निष्पादित करवाया जिससे पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया जब उक्त भूमि को अनीता ने अपने नाम पुत्र के माध्यम से रजिस्ट्री करवाई है. भा. दं सं 1860 के तहत धारा 419,420,467,468,471,12-B के तहत गिरफ़्तारी हुई थी। शिकायतकर्ता ने इकरारनामा के आधार पर मृतक नितेश वीरानी को भी अभियुक्त बनाया है किन्तु मृतक न मुख्तियारनामा में गवाह था और न ही रजिस्ट्री में. ऐसे में पुलिस की विवेचना पर शंका होती है की आखिर मृतक कैसे पूरी फर्जीवाड़ा में बराबर का भागीदार रहा होगा जबकि रजिस्टर्ड गवाहों की गिरफ़्तारी ही नहीं हुई। मुख्तियारनामा और रजिस्ट्री में जो गवाह है। उनके नाम पर कोई एफ आई आर नहीं.हुई जेल अभिरक्षा में मृत होने पर आक्रोशित परिजनों ने बिलासपुर आई जी को ज्ञापन सौपा जिसमे जाँच के मुख्य बिंदु हैl

घटना के एक दिन पूर्व परिजन जेल भेट मुलाकात में मिले तब मृतक एकदम स्वस्थ था कोई चिंता की बात नहीं बताई थी। जेल प्रशासन द्वारा तबियत ख़राब होना और हॉस्पिटल में भर्ती की बात नहीं बताई। अचानक जेल का सिपाही परिजन को फोनकर जानकारी देता है की आपका बेटा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में मृतक से परिजनों द्वारा दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात को मौके पर उपस्थित जेल सिपाही ने मना कर दिया बहुत कुछ कागजी कार्यवाही बाकि है बोलकर मृतक को पुनः वापस जेल ले गया तब मृतक अधमरी हालत में पहुँच चूका था। मृतक के शरीर में अनेको चोट के निशान गले और सीने में यह दर्शा रहा है की जेल अभिरक्षा में उसके साथ मार पिट हुई है जो जेल प्रशासन छुपाने में लगा था। थाना प्रभारी द्वारा अधूरी विवेचना कर बाकि आरोपियों को छोड़ दिया गया। बिलासपुर आई जी पुलिस विभाग की कार्यवाही पर जाँच होगी यदि गलत पाया गया तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी जेल प्रशासन पर हमारा कोई जवाबदारी नहीं है।